देहरादून: विश्व भर में साल 1988 से हर साल 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इस साल विश्व एड्स दिवस की थीम 'सार्वभौमिक एकता, साझा जिम्मेदारी ( Global solidarity, Shared Responsibility)'रखी गई है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम) महामारी के बारे में जागरूक करना है. साथ ही जिन लोगों की अब तक इस जानलेवा बीमारी के चलते मौत हो चुकी है, उन लोगों के प्रति शोक प्रकट करना है.
गौरतलब है कि एड्स एक ऐसी महामारी है जो एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंसी वायरस) संक्रमण से होती है. इस भयानक वायरस के चलते मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और समय बीतने के साथ ही शरीर पूरी तरह अंदर से खोखला हो जाता है. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National AIDS Control Organization) के अनुसार भारत में लगभग 23 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से संक्रमित हैं. वहीं, पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है. उत्तराखंड राज्य में लगभग 11,000 लोग एचआईवी संक्रमण का शिकार हैं.
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प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2,83,510 लोगों की एचआईवी जांच की गई थी. इनमें से 1,075 व्यक्ति एचआईवी संक्रमित पाए गए थे. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3,28,420 लोगों की एचआईवी जांच की गई थी. इनमें से 1,040 व्यक्ति एचआईवी संक्रमित पाए गए थे. वहीं बात वित्तीय वर्ष 2020-21 (अप्रैल-अक्टूबर) की करें तो इस वित्तीय वर्ष में अक्टूबर माह तक 1,29,052 लोगों की एचआईवी जांच की जा चुकी है, जिसमें से 306 लोगों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई है.
13 जनपदों में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या
जिलो के नाम | 2019-20 | 2020-21 |
अल्मोड़ा | 17 | 14 |
बागेश्वर | 02 | 06 |
चमोली | 06 | 02 |
चंपावत | 05 | 01 |
देहरादून | 455 | 109 |
पौड़ी | 20 | 13 |
हरिद्वार | 161 | 56 |
नैनीताल | 181 | 42 |
पिथौरागढ़ | 28 | 20 |
रुद्रप्रयाग | 11 | 05 |
टिहरी | 09 | 10 |
उधम सिंह नगर | 137 | 20 |
कुल संख्या | 1040 | 306 |
गौरतलब है कि ऊपर दिए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 4 जनपदों में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, जिसमें देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जनपद का नाम शामिल है.
क्या हैं एचआईवी के लक्षण और कैसे कराएं जांच ?
एचआईवी संक्रमण के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण वजन का घटना, लंबे समय तक बुखार होना, डायरिया का शिकार होना इत्यादि हैं. यदि आपको लंबे समय तक इस तरह का कोई भी लक्षण महसूस हो तो आपको तुरंत अपनी जांच करानी चाहिए. एचआईवी संक्रमण होने की जानकारी केवल रक्त की जांच से ही संभव है. एचआईवी की जांच से पहले और बाद में प्रशिक्षित परामर्शदाता की ओर से निशुल्क परामर्श दिया जाता है. उत्तराखंड राज्य में 146 एचआईवी जांच केंद्र (ICTC) स्थापित हैं, जहां निशुल्क एचआईवी एड्स की जानकारी और जांच की सुविधा दी जाती है.
किन लापरवाहियों से हो सकता है एचआईवी संक्रमण
असुरक्षित यौन संबंध बनाना
यौन संबंध बनाते समय यदि दोनों में से एक व्यक्ति एचआईवी से ग्रसित है तो दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में एचआईवी वायरस के प्रवेश करने का खतरा 99% तक बढ़ जाता है.
बिना जांच के खून चढ़ाना
अक्सर जब ब्लड डोनेशन कैंप लगाए जाते हैं तो इसमें लिए जा रहे खून की एचआईवी जांच कम होती है. ऐसे में यदि किसी एचआईवी संक्रमित मरीज का खून किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में चढ़ा दिया जाए तो एचआईवी वायरस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में खून के माध्यम से प्रवेश कर जाता है.
एचआईवी संक्रमित मां से शिशु को खतरा
यदि मां एचआईवी संक्रमित है तो जन्म लेने वाले शिशु में भी एचआईवी संक्रमण हो सकता है. वहीं, एचआइवी संक्रमित मां के दूध से भी शिशु में एचआईवी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है.
एक ही नीडल या सिरिंज का अलग-अलग लोगों द्वारा इस्तेमाल करना
अक्सर नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोग सिरिंज और नीडल के माध्यम से भी नशा शरीर में पहुंचाते हैं. इस दौरान कई बार एक ही नीडल का कई लोग इस्तेमाल करते हैं, जिससे एचआईवी संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है. इस दौरान यदि किसी भी एक व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण होता है, तो उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए नीडल को दूसरे व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जाने पर वायरस शरीर में प्रवेश कर जाएगा.