देहरादून: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने सरकार पर गैरसैंण की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पूर्व में त्रिवेंद्र रावत सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था, लेकिन तब से लेकर अभी तक सरकार ने गैरसैंण के विकास के लिए एक रुपए का भी प्रावधान नहीं किया है.
ग्रीष्मकालीन राजधानी सिर्फ शिगूफा: करण माहरा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने जब गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषणा की थी, तभी उन्होंने यह बात कह दी थी कि यह एक चुनावी शिगूफे के सिवा कुछ भी नहीं है. क्योंकि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए हुए 3 साल का वक्त बीत चुका है. लेकिन वहां एक दिन का भी ग्रीष्मकालीन सत्र नहीं चलाया गया. लेकिन जब मैंने और मेरे साथियों ने इसका विरोध किया तब जाकर सरकार को आनन-फानन में वहां 6 दिन का सत्र बुलाना पड़ा. माहरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भाजपा की सरकार से यह पूछना चाहती है कि 26 जनवरी के दिन सरकार के मंत्रिमंडल के किसी मंत्री ने भराड़ीसैंण विधानसभा में पहुंचकर झंडारोहण क्यों नहीं किया?
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सरकार की मंशा पर उठाए सवाल: उन्होंने कहा कि सरकार ने जो इस बार बजट सत्र आयोजित किया, वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए बजट में एक रुपये का प्रावधान नहीं किया, ये सरकार की नीयत को दर्शाता है. करण माहरा ने कहा कि यदि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया है तो वहां कम से कम 6 माह सरकारी कामकाज चलने चाहिए. इन छह महीनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री,चीफ सेक्रेटरी, कैबिनेट मंत्रियों सरकारी कर्मचारियों को वहां रहकर कामकाज चलाना चाहिए, तभी सही मायने में गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी कहलाएगी. उन्होंने कहा कि दरअसल, भाजपा सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर लोगों की आंखों में धूल झोंक रही है. जब से गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित की गई है, तब से लेकर अब तक सरकार उपेक्षा कर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार गैरसैंण की अनदेखी करके उन राज्य आंदोलनकारियों का अपमान कर रही है, जिन्होंने शहादत देकर इस राज्य को बनाया.