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यूक्रेन से लौटी काशीपुर की कादंबिनी ने बताया 5 किमी पैदल चलकर पार किया बॉर्डर, खौफनाक हैं हालात - यूक्रेन से लौटी उत्तराखंड की छात्रा

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध जारी है. ऐसे में यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे भारतीय छात्रों को सकुशल निकालने के लिए भारत सरकार का प्रयास जारी है. इसी क्रम में यूक्रेन में फंसी काशीपुर निवासी कादंबिनी मिश्रा देर रात काशीपुर पहुंची. कादंबिनी मिश्रा को देख परिवार में खुशी का माहौल है. बता दें कि, कादंबिनी मिश्रा यूक्रेन के इवान फ्रैंक ईव्स शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं और वह पांचवें वर्ष की छात्रा हैं. काशीपुर पहुंचने के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत की.

Kadambini Mishra of Kashipur
यूक्रेन से लौटी काशीपुर की कादंबिनी
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Published : Mar 2, 2022, 1:37 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 2:02 PM IST

काशीपुर: यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का आज सातवां दिन है. वहीं, यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे भारतीय छात्रों को सकुशल निकालने के लिए भारत सरकार का लगातार प्रयास जारी है. इसी क्रम में यूक्रेन में फंसी काशीपुर निवासी कादंबिनी मिश्रा देर रात काशीपुर पहुंची. कादंबिनी मिश्रा को देख परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है. बता दें कि, कादंबिनी मिश्रा यूक्रेन के इवान फ्रैंक ईव्स शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं और वह पांचवें वर्ष की छात्रा हैं. काशीपुर पहुंचने के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत की.

बता दें कि, यूक्रेन में काशीपुर के 8 छात्र-छात्राओं समेत कुल 9 लोग फंसे हुए थे. कादंबिनी मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि वह इवान फ्रैंक ईव्स शहर में वहां की इवान फ्रैंक ईव्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उनके शहर में हालात फिलहाल सामान्य थे लेकिन उनकी इवान फ्रैंक ईव्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुछ टीचर्स के द्वारा युद्ध के हालात होने के बावजूद भी पढ़ाई पर ही जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के हालात बहुत खराब हैं, लेकिन उनके शहर में इतना कुछ नहीं हो रहा है. बॉर्डर पर काफी भीड़ है. उन्होंने कहा कि जो लोग बॉर्डर पार कर रहे है उन्हें दूसरे देश की जनता व प्रशासन के द्वारा काफी मदद की जा रही है.

यूक्रेन से लौटी काशीपुर की कादंबिनी.

यूक्रेन से लौटी कादंबिनी ने सुनाया खौफनाक मंजर: कादंबिनी ने कहा कि उनकी यूनिवर्सिटी की ओर से 20 बसों की व्यवस्था की गई थी और वह बीते शनिवार को निकलने वाले थे, लेकिन वह और अन्य छात्रों ने सोचा कि 20 बसों में काफी भीड़ हो जाएगी. इसीलिए उन्होंने अपने खर्चे पर 2 बसों की व्यवस्था कर शुक्रवार की शाम को निकलना सही समझा. 4 से 5 घंटे का सफर तय करने के बाद वह सीमा पर पहुंचे. जहां पर पहले से ही काफी संख्या में बॉर्डर पार करने के लिए भीड़ जमा थी. सीमा पर 2 से 4 किलोमीटर तक बसों की लंबी लाइन लगी हुई थी. लिहाजा उसने और उनके साथियों ने -2 डिग्री तापमान के बावजूद 4 से 5 किलोमीटर का लंबा सफर पैदल ही तय कर बॉर्डर पार किया. उन्होंने कहा कि उनके शहर में केवल एयरपोर्ट पर ही मिसाइल अटैक हुआ था. जिससे कि एयर ट्रैफिक को रोका जा सके. उन्होंने बॉर्डर पर फंसे छात्र-छात्राओं से धैर्य बरतने की अपील करते हुए कहा कि अगर वह थोड़ा सा संयम और धैर्य बरतेंगे तो सभी छात्र-छात्राएं सकुशल अपने घर पहुंच जाएंगे.

पढ़ें: हरीश रावत ने CM धामी को दी नसीहत, कहा- भ्रम तो एक का टूटना ही है लेकिन BJP के कर्म हैं खराब

इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए कादंबिनी के पिता और काशीपुर के पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी अशोक मिश्रा ने मेडिकल की शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए यूक्रेन, फिलीपींस और बांग्लादेश आदि देशों की यूनिवर्सिटी का रुख करने वाले सभी बच्चे नीट क्वालीफाई हैं और हमारे देश में मेडिकल की पढ़ाई इतनी महंगी हो गई है कि यदि बच्चा मेडिकल की पढ़ाई करना चाहता है तो बाध्य होकर उसके अभिभावक उसे विदेश मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं. वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस इतनी महंगी है कि अभिभावक उसे वहन नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में निजी मेडिकल कॉलेज फल फूल रहे हैं. वहां डोनेशन इतना है कि उससे बहुत कम पैसे में विदेश में अभिभावक अपने बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई पूरी करवा सकते हैं.

देहरादून में NSUI कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को पर्याप्त मदद न मिलने को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क के गेट पर धरना देते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की ओर अपना आक्रोश प्रकट किया है.

प्रदर्शन में शामिल एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने कहा कि बीते दिन यूक्रेन से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें भारतीय छात्र लगातार कह रहे हैं कि बॉर्डर पर केंद्र सरकार की ओर से उन्हें लाने के लिए उपलब्ध कराई जा रही फ्लाइट में जगह नहीं मिल रही है. ऐसे में यूक्रेन बॉर्डर पर हजारों की संख्या में भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. सरकार अब तक करीब 2 हजार छात्रों को ही वहां से निकाल पाई है. जबकि यूक्रेन में लगभग 15 से 20 हजार छात्र फंसे हुए हैं. ऐसे में एनएसयूआई सरकार से मांग करती है कि बजाय चुनाव प्रचार करने के सरकार वहां फंसे छात्र-छात्राओं को निकालने का प्रयास करे, जो छात्र-छात्राएं भारत लौटने की राह देख रहे हैं.

काशीपुर: यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का आज सातवां दिन है. वहीं, यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे भारतीय छात्रों को सकुशल निकालने के लिए भारत सरकार का लगातार प्रयास जारी है. इसी क्रम में यूक्रेन में फंसी काशीपुर निवासी कादंबिनी मिश्रा देर रात काशीपुर पहुंची. कादंबिनी मिश्रा को देख परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है. बता दें कि, कादंबिनी मिश्रा यूक्रेन के इवान फ्रैंक ईव्स शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं और वह पांचवें वर्ष की छात्रा हैं. काशीपुर पहुंचने के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत की.

बता दें कि, यूक्रेन में काशीपुर के 8 छात्र-छात्राओं समेत कुल 9 लोग फंसे हुए थे. कादंबिनी मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि वह इवान फ्रैंक ईव्स शहर में वहां की इवान फ्रैंक ईव्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उनके शहर में हालात फिलहाल सामान्य थे लेकिन उनकी इवान फ्रैंक ईव्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुछ टीचर्स के द्वारा युद्ध के हालात होने के बावजूद भी पढ़ाई पर ही जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के हालात बहुत खराब हैं, लेकिन उनके शहर में इतना कुछ नहीं हो रहा है. बॉर्डर पर काफी भीड़ है. उन्होंने कहा कि जो लोग बॉर्डर पार कर रहे है उन्हें दूसरे देश की जनता व प्रशासन के द्वारा काफी मदद की जा रही है.

यूक्रेन से लौटी काशीपुर की कादंबिनी.

यूक्रेन से लौटी कादंबिनी ने सुनाया खौफनाक मंजर: कादंबिनी ने कहा कि उनकी यूनिवर्सिटी की ओर से 20 बसों की व्यवस्था की गई थी और वह बीते शनिवार को निकलने वाले थे, लेकिन वह और अन्य छात्रों ने सोचा कि 20 बसों में काफी भीड़ हो जाएगी. इसीलिए उन्होंने अपने खर्चे पर 2 बसों की व्यवस्था कर शुक्रवार की शाम को निकलना सही समझा. 4 से 5 घंटे का सफर तय करने के बाद वह सीमा पर पहुंचे. जहां पर पहले से ही काफी संख्या में बॉर्डर पार करने के लिए भीड़ जमा थी. सीमा पर 2 से 4 किलोमीटर तक बसों की लंबी लाइन लगी हुई थी. लिहाजा उसने और उनके साथियों ने -2 डिग्री तापमान के बावजूद 4 से 5 किलोमीटर का लंबा सफर पैदल ही तय कर बॉर्डर पार किया. उन्होंने कहा कि उनके शहर में केवल एयरपोर्ट पर ही मिसाइल अटैक हुआ था. जिससे कि एयर ट्रैफिक को रोका जा सके. उन्होंने बॉर्डर पर फंसे छात्र-छात्राओं से धैर्य बरतने की अपील करते हुए कहा कि अगर वह थोड़ा सा संयम और धैर्य बरतेंगे तो सभी छात्र-छात्राएं सकुशल अपने घर पहुंच जाएंगे.

पढ़ें: हरीश रावत ने CM धामी को दी नसीहत, कहा- भ्रम तो एक का टूटना ही है लेकिन BJP के कर्म हैं खराब

इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए कादंबिनी के पिता और काशीपुर के पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी अशोक मिश्रा ने मेडिकल की शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए यूक्रेन, फिलीपींस और बांग्लादेश आदि देशों की यूनिवर्सिटी का रुख करने वाले सभी बच्चे नीट क्वालीफाई हैं और हमारे देश में मेडिकल की पढ़ाई इतनी महंगी हो गई है कि यदि बच्चा मेडिकल की पढ़ाई करना चाहता है तो बाध्य होकर उसके अभिभावक उसे विदेश मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं. वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस इतनी महंगी है कि अभिभावक उसे वहन नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में निजी मेडिकल कॉलेज फल फूल रहे हैं. वहां डोनेशन इतना है कि उससे बहुत कम पैसे में विदेश में अभिभावक अपने बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई पूरी करवा सकते हैं.

देहरादून में NSUI कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को पर्याप्त मदद न मिलने को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क के गेट पर धरना देते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की ओर अपना आक्रोश प्रकट किया है.

प्रदर्शन में शामिल एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने कहा कि बीते दिन यूक्रेन से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें भारतीय छात्र लगातार कह रहे हैं कि बॉर्डर पर केंद्र सरकार की ओर से उन्हें लाने के लिए उपलब्ध कराई जा रही फ्लाइट में जगह नहीं मिल रही है. ऐसे में यूक्रेन बॉर्डर पर हजारों की संख्या में भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. सरकार अब तक करीब 2 हजार छात्रों को ही वहां से निकाल पाई है. जबकि यूक्रेन में लगभग 15 से 20 हजार छात्र फंसे हुए हैं. ऐसे में एनएसयूआई सरकार से मांग करती है कि बजाय चुनाव प्रचार करने के सरकार वहां फंसे छात्र-छात्राओं को निकालने का प्रयास करे, जो छात्र-छात्राएं भारत लौटने की राह देख रहे हैं.

Last Updated : Mar 2, 2022, 2:02 PM IST
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