देहरादूनः प्रदेश में स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर मुखर इंटर्न डॉक्टरों ने आंदोलन तेज कर दिया है. इसी कड़ी में दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रशिक्षु डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार किया. साथ ही पैदल मार्च निकालकर कोरोना की रोकथाम और टीकाकरण के लिए जन जागरूकता अभियान भी चलाया.
'वन नेशन वन स्टाइपेंड' की मांग को लेकर आंदोलनरत इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि कोविड सेंटरों पर 18-18 घंटे काम करने के बावजूद उन्हें बहुत कम स्टाइपेंड दिया जा रहा है. दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक उन्हें ₹7500 स्टाइपेंड दिया जाता है, जो अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत कम है.
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एमबीबीएस डॉक्टरों का कहना है कि वे बीते कई दिनों से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन शासन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रहा है. आंदोलनरत डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें अन्य राज्यों की तरह ₹23,500 स्टाइपेंड दिया जाए. ताकि उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
बता दें कि 330 प्रशिक्षु डॉक्टर कोरोना काल में राज्य के तीनों सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ड्यूटी कर रहे हैं. कोविड वॉर्ड, जिला अस्पतालों, कोविड केयर सेंटर, कोविड सैंपलिंग समेत कई जगहों पर इंटर्न कार्यरत हैं, लेकिन इन्हें अन्य राज्यों की अपेक्षा न्यूनतम स्टाइपेंड दिया जा रहा है.
युवा कांग्रेस ने इंटर्न डॉक्टरों के समर्थन में राज्यपाल भेजा ज्ञापन
युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष संदीप चमोली के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को एक ज्ञापन भी भेजा. इस दौरान संदीप चमोली ने कहा कि एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों को एक साल तक प्रशिक्षण के रूप में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अपनी सेवाएं देनी अनिवार्य होती है. ऐसे में उन्हें ₹7500 स्टाइपेंड दिया जाता है, जो आज के समय में अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है.
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संदीप चमोली ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान इंटर्न डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पूरे प्रदेश में मरीजों की सेवा की. ऐसे में उत्तराखंड युवा कांग्रेस ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि इंटर्न डॉक्टरों को अन्य राज्यों की भांति मानदेय मिलना चाहिए.