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विजया एकादशी पर सभी दुख होंगे दूर! ऐसे करें जगत के पालनहार की पूजा - VIJAYA EKADASHI 2025

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है. आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें व्रत और इसके पूजा नियम.

भगवान विष्णु की पूजा
भगवान विष्णु की पूजा (Canva)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 24, 2025, 11:25 AM IST

हैदराबाद: आज विजया एकादशी आज मनाई जा रही है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान नारायण की आराधना करने से व्यक्ति के सभी दु:ख दूर होते हैं और उसे हर क्षेत्र में सफलता, सुख और समृद्धि मिलती है.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार एकादशी तिथि 23 फरवरी को दोपहर 1:55 बजे शुरू हुई थी और 24 फरवरी तक रहेगी. पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान राम ने भी लंका पर आक्रमण करने से पूर्व यह व्रत रखा था, जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई.

डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया एकादशी के दिन कई शुभ मुहूर्त विद्यमान हैं, प्रातः 05:11 से 06:01 बजे तक, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 से 12:57 बजे तक, विजय मुहूर्त दोपहर 02:29 से 03:15 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 06:15 से 07:40 बजे तक, और अमृतकाल रात 02:07 से 03:45 बजे तक रहेगा.

एकादशी व्रत पूजा विधि
विजया एकादशी व्रत का पालन विधिपूर्वक करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. आज के दिन की पूजा विधि इस प्रकार है.

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सच्चे मन से व्रत का संकल्प लें.
  • घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
  • भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप, फल, मिष्ठान आदि अर्पित करें.
  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। जैसे ॐ नमो भगवते वासुदेवाय.
  • विजया एकादशी की कथा का श्रवण या पाठ करें। यह कथा व्रत के महत्व को दर्शाती है.
  • भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.
  • संभव हो तो रात्रि में जागरण करते हुए भगवान का स्मरण करें, भजन-कीर्तन करें.

व्रत के नियम
विजया एकादशी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है.

  • व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • तामसिक भोजन, जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार आदि का सेवन न करें.
  • झूठ, चोरी, हिंसा आदि से दूर रहें.
  • व्रत के दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है.
  • मन में सकारात्मक विचार रखें और भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखें.

यह भी पढ़ें- आज का राशिफल: नए सप्ताह का पहला दिन, क्या कहते हैं आपके सितारे

हैदराबाद: आज विजया एकादशी आज मनाई जा रही है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान नारायण की आराधना करने से व्यक्ति के सभी दु:ख दूर होते हैं और उसे हर क्षेत्र में सफलता, सुख और समृद्धि मिलती है.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार एकादशी तिथि 23 फरवरी को दोपहर 1:55 बजे शुरू हुई थी और 24 फरवरी तक रहेगी. पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान राम ने भी लंका पर आक्रमण करने से पूर्व यह व्रत रखा था, जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई.

डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया एकादशी के दिन कई शुभ मुहूर्त विद्यमान हैं, प्रातः 05:11 से 06:01 बजे तक, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 से 12:57 बजे तक, विजय मुहूर्त दोपहर 02:29 से 03:15 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 06:15 से 07:40 बजे तक, और अमृतकाल रात 02:07 से 03:45 बजे तक रहेगा.

एकादशी व्रत पूजा विधि
विजया एकादशी व्रत का पालन विधिपूर्वक करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. आज के दिन की पूजा विधि इस प्रकार है.

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सच्चे मन से व्रत का संकल्प लें.
  • घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
  • भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप, फल, मिष्ठान आदि अर्पित करें.
  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। जैसे ॐ नमो भगवते वासुदेवाय.
  • विजया एकादशी की कथा का श्रवण या पाठ करें। यह कथा व्रत के महत्व को दर्शाती है.
  • भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.
  • संभव हो तो रात्रि में जागरण करते हुए भगवान का स्मरण करें, भजन-कीर्तन करें.

व्रत के नियम
विजया एकादशी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है.

  • व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • तामसिक भोजन, जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार आदि का सेवन न करें.
  • झूठ, चोरी, हिंसा आदि से दूर रहें.
  • व्रत के दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है.
  • मन में सकारात्मक विचार रखें और भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखें.

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