देहरादून: उत्तराखंड में तेजी से फैल रहे नशे को रोकने के लिए पुलिस विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है. जिसके तहत हाल ही में हरिद्वार में नशीली दवाओं की बड़ी खेप पकड़ी गई थी. ऐसे में मेडिकल स्टोरों से अवैध रूप से बेची जा रही नशीली दवाओं पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल स्टोरों के लिए तमाम निर्देश जारी किए थे, ताकि युवाओं को मेडिकल स्टोर से मिलने वाली नशीली दवाओं पर रोक लगाई जा सके. लेकिन अभी भी मेडिकल स्टोरों में धड़ल्ले से नशे का व्यापार चल रहा है. वहीं, विभाग मैन पावर का रोना रोता नजर आ रहा है.
फूड एंड ड्रग कंट्रोल विभाग ने मेडिकल स्टोरों के लिए निर्देश जारी किए थे, लेकिन मेडिकल स्टोर इसका कितना अनुपालन कर रहे हैं, इसकी निगरानी करना विभाग भूल ही गया. कुल मिलाकर एफडीए ने मेडिकल स्टोरों के लिए जो निर्देश जारी किए थे, उसके तहत स्टोरों पर नशीली दवाओं के सीमित स्टॉक और बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्सन के दवा देने पर प्रतिबंध है. साथ ही नशीली दवाओं का पूरा रिकॉड भी रखना होगा. इसके अलावा मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट को एप्रन पहनाकर बैठाना अनिवार्य था, लेकिन अभी भी स्टोरों पर न तो कोई फार्मासिस्ट बैठ रहे हैं और ना ही निर्देशों का पालन हो रहा है.
एफडीए के सहायक औषधि नियंत्रक डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव और औषधि नियंत्रक की ओर से आदेश जारी किया गया है कि जो जीवन रक्षक दवाएं हैं, उनके दुरुपयोग पर रोक लगाई जाए. जिसके तहत स्टोरों के लिए ऐसी दवाओं की मात्रा फिक्स की गई है, जिससे विभाग की ओर से आसानी से मॉनिटरिंग की जा सकेगी.
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हालांकि, करीब 60 फीसदी फार्मासिस्ट ऐसे हैं, जो खुद ही मेडिकल स्टोर के लिए लाइसेंस ले रहे हैं. ऐसे में जल्द ही प्रदेश भर में सभी मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट बैठे नजर आएंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि साल में कम से कम एक बार सभी मेडिकल स्टोर का निरीक्षण कर जांच की जाती है. जितनी मैन पावर है, उसके अनुसार काफी कुछ किया जा रहा है, लेकिन जिन मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट नहीं बैठ रहे हैं, उसके लिए जल्द ही अभियान चलाया जाएगा.
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एफडीए के आयुक्त डॉक्टर आर राजेश कुमार ने बताया कि सिस्टेमेटिक इंप्रूवमेंट किया जा रहा है. ड्रग्स कंट्रोल विभाग में मैन पावर की कमी है, लेकिन विभाग कर्मचारियों की कमी को दूर करने का प्रयास कर रहा हैं. हालांकि 19 पदों को भरने के लिए अधियाचन पब्लिक सर्विस कमीशन को भेजा गया हैं, ताकि जल्द से जल्द भर्ती की जा सके.