देहरादूनः उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों की तर्ज पर मैदानी जिलों में भी चिकित्सकों की कमी का खामियाजा जेलों में सजा काट रहे कैदियों को भुगतना पड़ रहा है. प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की हालत किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में राज्य के अधिकांश जेलों में भी स्वास्थ्य उपचार व्यवस्था चिकित्सकों के भारी टोटे के चलते दयनीय स्थिति है. हालत ये है कि वर्षों से जेल प्रशासन संबंधित जनपदों के सीएमओ की समय-समय पर आग्रह कर उनकी मेहरबानी से अपना काम चला रहे हैं.
बता दें कि उत्तराखंड राज्य में 11 जेल हैं, जहां क्षमता से अधिक कैदी सजा काट रहे हैं. समय-समय पर जेलों में कैदियों को हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर व सुगर सहित डेंगू, मलेरिया जैसे अन्य बीमारियों की वजह से समस्या आ जाती है. ऐसे में आपातकाल के वक्त आवश्यकता मुताबिक समय रहते पर्याप्त चिकित्सा मुहैया ना होने के कारण रोगी कैदियों को जिंदगी भी गंवानी पड़ी है.
वहीं, कोरोना महामारी के दौरान देहरादून जेल प्रशासन को आपातकाल स्थिति में मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी (CMO) से आग्रह कर दून अस्पताल में भारी संख्या में कोरोना संक्रमित कैदियों को भर्ती कराना पड़ा था. इस दौरान सबसे बड़ी समस्या अस्पताल में भर्ती शातिर किस्म के अपराधियों की निगरानी व सुरक्षा को लेकर सामने आई थी.
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स्वास्थ्य विभाग से लगातार चिकित्सकों की मांग को लेकर पत्राचार जारी है: जेल आईजी
उधर, उत्तराखंड की जेलों में चिकित्सकों की कमी को लेकर आईजी जेल एपी अंशुमान का कहना है कि इस विषय पर लगातार कारागार विभाग द्वारा डीजी हेल्थ और स्वास्थ्य सचिव को पत्राचार कर चिकित्सकों की मांग के लिए अवगत कराया गया है. हालांकि, संबंधित जनपदों के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी(सीएमओ) द्वारा आवश्यकता पड़ने पर जेल प्रशासन को बीमारी से ग्रस्त रोगियों के उपचार के लिए मदद मिलती रहती है.
वहीं, जेल आईजी का यह भी मानना है कि प्रदेश के कई हिस्सों में चिकित्सकों की कमी है, ऐसे में उम्मीद है कि शासन द्वारा इस मामले पर गौरकर जेल में भी आने वाले दिनों में चिकित्सकों की आवश्यकता की पूर्ति होगी.