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दीवाली के बाद देहरादून का वायु प्रदूषण दिल्ली से कर रहा मुकाबला, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम भरे दिन - किशोरियों के लिए प्रदूषण खतरा

Air pollution dangerous for pregnant women दीवाली के अगले दिन यानी 13 नवंबर को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 900 के पार था. अगर AQI 500 से ऊपर जाता है तो ये इमरजेंसी वाली स्थिति होती है. वहीं अगर हवा की स्वच्छता की बात की जाए तो AQI 0-50 सही माना जाता है. इन दिनों उत्तराखंड में भी दिल्ली से मिलते हुए हालात हैं. दीवाली की रात देहरादून का AQI 300 के पार पहुंच गया था. महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमिता प्रभाकर का कहना है कि ये वायु प्रदूषण महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक है. Air pollution increased in Dehradun

Air pollution increased in Dehradun
देहरादून प्रदूषण समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 15, 2023, 3:03 PM IST

Updated : Nov 16, 2023, 11:23 AM IST

स्वास्थ्य के लिए खतरनाक वायु प्रदूषण

देहरादून: दिवाली के बाद देहरादून की हवा बेहद जहरीली हो गई है. इस समय देहरादून की हवा स्वास्थ्य की दृष्टि से बिल्कुल ठीक नहीं है. स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यह समय शहर में रह रही गर्भवती महिलाओं और किशोरी महिलाओं के लिए बेहद जोखिम भरा है.

दिल्ली की तरह देहरादून भी प्रदूषण की गिरफ्त में: सर्दी की ऋतु आते-आते उत्तर भारत के तमाम बड़े शहरों में वायु प्रदूषण के मामले लगातार बढ़ने लगते हैं. कुछ सालों तक हवा में घुलते इस जहर की सुर्खियां केवल देश की राजधानी दिल्ली तक ही सीमित रहती थी. लेकिन अब दिल्ली, एनसीआर सहित उत्तर भारत के अन्य शहर भी सर्दियों में बढ़ने वाले प्रदूषण की चपेट में आने लगे हैं. धीरे-धीरे अब उत्तराखंड की राजधानी दून वैली भी सर्दियों में बढ़ाने वाले वायु प्रदूषण से अछूती नहीं रह गई है. पॉल्यूशन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से नवंबर के बाद हर दिन देहरादून शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का ग्राफ बढ़ता जाता है.

उत्तराखंड के कई शहर प्रदूषित: उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मिले आंकड़ों के अनुसार नवंबर 5 तारीख के बाद लगातार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI बढ़ा है. देहरादून शहर में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा घंटाघर, नेहरू कॉलोनी और दून यूनिवर्सिटी में तीन AQI स्टेशन स्थापित किए गए हैं. 5 नवंबर के बाद देहरादून शहर का औसतन AQI-100 से ऊपर ही रहा है. वहीं दीवाली की रात यह तकरीबन तीन गुना बढ़कर 300 के पार पहुंच गया था. उत्तराखंड के अन्य शहरों की बात करें तो देहरादून के अलावा हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी को छोड़कर सभी जगह पर वायु प्रदूषण या AQI मॉडरेट हैं. देहरादून में दीवाली की रात AQI बेहद खराब रहा तो वहीं हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब रहा.

वायु प्रदूषण से निकलता है खास तरह का रसायन: देहरादून शहर में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को देखते हुए मशहूर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमिता प्रभाकर का कहना है कि यह महिलाओं के लिए खतरे का संकेत है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण किसी भी तरह का हो, वह शरीर पर बेहद बुनियादी तौर पर असर डालता है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण का सबसे बड़ा असर हमारे प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है. उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण से एक खास तरह का रसायन (Endocrine-disrupting chemicals) निकलता है. ये खास तरह का रसायन हमारे डीएनए और जींस के स्तर पर असर डालता है. उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में मौजूद हार्मोंस का तंत्र बेहद नाजुक और संवेदनशील होता है.

गर्भवती और किशोरी महिलाओं पर प्रदूषण का गहरा असर: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमिता प्रभाकर ने बताया कि बच्चों में और किशोरावस्था में हार्मोंस तंत्र और भी ज्यादा नाजुक और बेहद संवेदनशील होता है और शरीर पर पड़ने वाले हर एक असर का इस पर प्रतिबिंब देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि किशोरावस्था में प्रजनन अंग बेहद नाजुक और संवेदनशील होते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में हुए शोध में यह देखा गया कि खासतौर से किशोरी बालिकाओं में और महिलाओं में प्रदूषण का काफी गहरा असर हुआ है. उन्होंने कहा कि विवाहित महिलाओं में इन फर्टिलिटी यानी कि बांझपन की समस्या इसका एक बड़ा उदाहरण है. उन्होंने कहा किशोरी बालिकाओं में पीरियड्स जल्दी हो जाना भी शोध में पाया गया है कि प्रदूषण की वजह से होना पाया गया है.

सिंथेटिक चीजों का कम इस्तेमाल करें: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमिता प्रभाकर ने खास और से महिलाओं को इस प्रदूषण भरे माहौल और सर्दी ऋतु में अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए सलाह दी है. खासतौर से परिजनों को और पेरेंट्स को अपने बच्चों का ख्याल रखना होगा. उन्हें इस तरह का माहौल देना होगा कि वह वायु प्रदूषण के संपर्क में काम से काम आएं. उन्होंने कहा कि कुछ चीजें तो हमारे हाथ में नहीं हैं. जैसे कि हम किस शहर में रहते हैं, लेकिन हम अपने घर के माहौल को साफ सुथरा और वायु प्रदूषण रहित बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कम से कम रसायन और सिंथेटिक का इस्तेमाल करें जिसमें कि परफ्यूम इत्यादि आते हैं. साथ ही रेडिएशन और तमाम तरह के मोबाइल इक्विपमेंट के इस्तेमाल को हमें सीमित करना चाहिए.

दिल्ली से कुछ ज्यादा साफ नहीं दून वैली: स्त्री रोग विशेषज्ञ सुमिता प्रभाकर का कहना है कि जिस तरह से इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली को लेकर वायु प्रदूषण पर बहस छिड़ी हुई है, अगर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और पूरी दून घाटी को देखा जाए तो यह भी कुछ ज्यादा बेहतर नहीं है. उन्होंने बताया कि देहरादून शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है. उन्होंने बताया कि देहरादून शहर घाटी में बसा हुआ है. यहां पर निकलने वाला प्रदूषण घाटी में ही फंसा रहता है. इससे लगातार देहरादून शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहाड़ों और दूर दराज के इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स भले ही अच्छा हो सकता है, लेकिन देहरादून शहर आज प्रदूषण से अनछुआ नहीं है. देहरादून कभी स्वच्छ आब-ओ-हवा के लिए जाना और पहचाना जाता था. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि देहरादून में लड़कियों में हार्मोंस डिसऑर्डर की समस्या इस तरह से मिल रही है, जिस तरह से दिल्ली और अन्य बड़े मेट्रोपोलिटन शहरों में देखने को मिलती है.
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स्वास्थ्य के लिए खतरनाक वायु प्रदूषण

देहरादून: दिवाली के बाद देहरादून की हवा बेहद जहरीली हो गई है. इस समय देहरादून की हवा स्वास्थ्य की दृष्टि से बिल्कुल ठीक नहीं है. स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यह समय शहर में रह रही गर्भवती महिलाओं और किशोरी महिलाओं के लिए बेहद जोखिम भरा है.

दिल्ली की तरह देहरादून भी प्रदूषण की गिरफ्त में: सर्दी की ऋतु आते-आते उत्तर भारत के तमाम बड़े शहरों में वायु प्रदूषण के मामले लगातार बढ़ने लगते हैं. कुछ सालों तक हवा में घुलते इस जहर की सुर्खियां केवल देश की राजधानी दिल्ली तक ही सीमित रहती थी. लेकिन अब दिल्ली, एनसीआर सहित उत्तर भारत के अन्य शहर भी सर्दियों में बढ़ने वाले प्रदूषण की चपेट में आने लगे हैं. धीरे-धीरे अब उत्तराखंड की राजधानी दून वैली भी सर्दियों में बढ़ाने वाले वायु प्रदूषण से अछूती नहीं रह गई है. पॉल्यूशन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से नवंबर के बाद हर दिन देहरादून शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का ग्राफ बढ़ता जाता है.

उत्तराखंड के कई शहर प्रदूषित: उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मिले आंकड़ों के अनुसार नवंबर 5 तारीख के बाद लगातार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI बढ़ा है. देहरादून शहर में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा घंटाघर, नेहरू कॉलोनी और दून यूनिवर्सिटी में तीन AQI स्टेशन स्थापित किए गए हैं. 5 नवंबर के बाद देहरादून शहर का औसतन AQI-100 से ऊपर ही रहा है. वहीं दीवाली की रात यह तकरीबन तीन गुना बढ़कर 300 के पार पहुंच गया था. उत्तराखंड के अन्य शहरों की बात करें तो देहरादून के अलावा हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी को छोड़कर सभी जगह पर वायु प्रदूषण या AQI मॉडरेट हैं. देहरादून में दीवाली की रात AQI बेहद खराब रहा तो वहीं हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब रहा.

वायु प्रदूषण से निकलता है खास तरह का रसायन: देहरादून शहर में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को देखते हुए मशहूर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमिता प्रभाकर का कहना है कि यह महिलाओं के लिए खतरे का संकेत है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण किसी भी तरह का हो, वह शरीर पर बेहद बुनियादी तौर पर असर डालता है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण का सबसे बड़ा असर हमारे प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है. उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण से एक खास तरह का रसायन (Endocrine-disrupting chemicals) निकलता है. ये खास तरह का रसायन हमारे डीएनए और जींस के स्तर पर असर डालता है. उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में मौजूद हार्मोंस का तंत्र बेहद नाजुक और संवेदनशील होता है.

गर्भवती और किशोरी महिलाओं पर प्रदूषण का गहरा असर: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमिता प्रभाकर ने बताया कि बच्चों में और किशोरावस्था में हार्मोंस तंत्र और भी ज्यादा नाजुक और बेहद संवेदनशील होता है और शरीर पर पड़ने वाले हर एक असर का इस पर प्रतिबिंब देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि किशोरावस्था में प्रजनन अंग बेहद नाजुक और संवेदनशील होते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में हुए शोध में यह देखा गया कि खासतौर से किशोरी बालिकाओं में और महिलाओं में प्रदूषण का काफी गहरा असर हुआ है. उन्होंने कहा कि विवाहित महिलाओं में इन फर्टिलिटी यानी कि बांझपन की समस्या इसका एक बड़ा उदाहरण है. उन्होंने कहा किशोरी बालिकाओं में पीरियड्स जल्दी हो जाना भी शोध में पाया गया है कि प्रदूषण की वजह से होना पाया गया है.

सिंथेटिक चीजों का कम इस्तेमाल करें: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमिता प्रभाकर ने खास और से महिलाओं को इस प्रदूषण भरे माहौल और सर्दी ऋतु में अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए सलाह दी है. खासतौर से परिजनों को और पेरेंट्स को अपने बच्चों का ख्याल रखना होगा. उन्हें इस तरह का माहौल देना होगा कि वह वायु प्रदूषण के संपर्क में काम से काम आएं. उन्होंने कहा कि कुछ चीजें तो हमारे हाथ में नहीं हैं. जैसे कि हम किस शहर में रहते हैं, लेकिन हम अपने घर के माहौल को साफ सुथरा और वायु प्रदूषण रहित बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कम से कम रसायन और सिंथेटिक का इस्तेमाल करें जिसमें कि परफ्यूम इत्यादि आते हैं. साथ ही रेडिएशन और तमाम तरह के मोबाइल इक्विपमेंट के इस्तेमाल को हमें सीमित करना चाहिए.

दिल्ली से कुछ ज्यादा साफ नहीं दून वैली: स्त्री रोग विशेषज्ञ सुमिता प्रभाकर का कहना है कि जिस तरह से इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली को लेकर वायु प्रदूषण पर बहस छिड़ी हुई है, अगर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और पूरी दून घाटी को देखा जाए तो यह भी कुछ ज्यादा बेहतर नहीं है. उन्होंने बताया कि देहरादून शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है. उन्होंने बताया कि देहरादून शहर घाटी में बसा हुआ है. यहां पर निकलने वाला प्रदूषण घाटी में ही फंसा रहता है. इससे लगातार देहरादून शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहाड़ों और दूर दराज के इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स भले ही अच्छा हो सकता है, लेकिन देहरादून शहर आज प्रदूषण से अनछुआ नहीं है. देहरादून कभी स्वच्छ आब-ओ-हवा के लिए जाना और पहचाना जाता था. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि देहरादून में लड़कियों में हार्मोंस डिसऑर्डर की समस्या इस तरह से मिल रही है, जिस तरह से दिल्ली और अन्य बड़े मेट्रोपोलिटन शहरों में देखने को मिलती है.
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Last Updated : Nov 16, 2023, 11:23 AM IST
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