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उत्तराखंड परिवहन और रोडवेज कर्मचारी यूनियन की आज शाम बैठक, इन 6 बिंदुओं पर होगी चर्चा - उत्तराखंड परिवहन

उत्तराखंड परिवहन निगम और उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की बैठक आज शाम होगी. बीते सप्ताह उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने विभाग में प्रबंधन सुधार के लिए बैठक का समय तय किया था.

Uttarakhand Transport Corporation
उत्तराखंड परिवहन निगम
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Published : Dec 21, 2021, 2:45 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) में प्रबंधन सुधार विषय को लेकर आज शाम 4 बजे परिवहन मुख्यालय में आलाधिकारियों और उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की बैठक आयोजित की जाएगी. इस मामले में परिवहन मुख्यालय महाप्रबंधक दीपक जैन द्वारा रोडवेज कर्मचारी यूनियन महामंत्री अशोक चौधरी को पत्र लिखकर 5 प्रतिनिधियों को निगम मुख्यालय आमंत्रित किया गया है. इस बैठक की अध्यक्षता रोडवेज प्रबंधन निदेशक की ओर से की जाएगी.

बता दें, बीते सप्ताह उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन द्वारा परिवहन विभाग में लंबे समय से 6 बिंदुओं पर प्रबंधन सुधार के लिए आज बैठक का समय तक किया गया था. कर्मचारी यूनियन ने इस बात की भी चेतावनी दी थी कि अगर निगम में प्रबंधन सुधार विषय पर कोई कार्रवाई रोडवेज बोर्ड द्वारा नहीं की जाती, तो 22 दिसंबर से प्रदेशभर के सभी रोडवेज कर्मचारी काला फीता बांधकर विरोध करेंगे.

उत्तरांचल कर्मचारी यूनियन की इस चेतावनी का संज्ञान लेते हुए परिवहन निगम मुख्यालय ने रोडवेज प्रतिनिधियों के साथ आज शाम बैठक आयोजित की है. इस बैठक में करोड़ों के घाटे से जूझ रहे परिवहन निगम और उसमें चल रहे प्रबंधन में सुधार लाने की दिशा में कई फैसले हो सकते हैं.

प्रबंधन सही नहीं होने के कारण ही 520 करोड़ के राजस्व का घाटा: उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मुताबिक परिवहन निगम में मूल रूप से 6 बिंदुओं पर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है. उत्तराखंड परिवहन निगम के गठन (नवंबर 2003) से लेकर अब तक रोडवेज को 520 करोड़ के राजस्व का घाटा हो चुका है. ऐसे में इस वित्तीय घाटे से उबरने से लिए रोडवेज में फैली प्रबंधन अव्यवस्था को दुरुस्त करना अब जरूरी हो गया है.

पढ़ें- युवा CM धामी ने क्रिकेट में आजमाया हाथ, तेजस्वी सूर्या की युवा मोर्चा को 4 रन से हराया

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के इन 6 बिंदुओं पर सुधार की आवश्यकता

1- ई-टिकटिंग मशीन: परिवहन निगम में ई-टिकटिंग मशीन सबसे प्रमुख टूल्स में से एक है. लेकिन ई-टिकटिंग मशीनों की दशा ठीक नहीं है, जिससे परिचालकों का कार्य विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है. यही कारण है कि इसमें भ्रष्टाचार होने की प्रबल संभावना है. परिवहन निगम प्रबंधन द्वारा पिछले 3 साल से नई टिकट मशीनों की उपलब्धता के लिए एक या 2 माह का समय घोषित किया जाता है लेकिन अभी तक इसमें कार्रवाई शून्य है. परिचालक ई-टिकटिंग मशीन में जल्दी टिकट न बनने के कारण मार्ग से बस में कम सवारी ले जा रहे हैं, जिससे रोडवेज को राजस्व का घाटा सीधे तौर पर हो रहा है.

2- डीजल एवं फास्टैग फिजूलखर्ची: रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मुताबिक परिवहन निगम ने पूर्व में यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी दशा में प्राइवेट पंपों से डीजल क्रय नहीं जाएगा. लेकिन वित्तीय कु-प्रबंधन और जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की जा रही हैं कि जिसके कारण रोडवेज की बसों में डीजल प्राइवेट पंपों से क्रय किया जा रहा है. जबकि प्राइवेट पंप से डीजल ₹3 प्रति लीटर से अधिक महंगा मिलता है, जिसके कारण प्रत्येक माह कई लाख रुपए की आर्थिक हानि भी निगम को रही है. इसी प्रकार टोल की मद में महीने में कई बार टोल का फास्टैग खाता निष्क्रिय होने के कारण बसों को दोगुना टोल भुगतान करना पड़ता है, जो कि घोर लापरवाही का नतीजा है. ऐसे में परिचालकों को स्वयं के टोल खाते से भुगतान की अनुमति दी जाए. ऐसा करके निगम को लाखों की आर्थिक हानि से बचाया जा सकता है. वहीं, डीजल बजट के भुगतान और कुल खाते को शत-प्रतिशत सक्रिय रखने की आवश्यकता है.

3- बस उपयोगिता के अनुसार अधिकारियों की तैनाती: परिवहन निगम के विभिन्न डिपो में अधिकारियों, सुपरवाइजर एवं कर्मचारियों की तैनाती में वहां पर की जाए जहां बस उपयोगिता हो. वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को संबद्ध किया गया है. ऐसे में अभियान चलाकर बस एवं डिपो की उपयोगिता के अनुसार तैनाती करने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की संबद्धता समाप्त करते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है.

4- समान कार्य समान वेतन: कर्मचारी यूनियन के मुताबिक पूर्व में उच्चतम न्यायालय नैनीताल द्वारा विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को समान कार्य समान वेतन के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट के आदेशानुसार रोडवेज प्रबंध निदेशक (अध्यक्ष) द्वारा न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था, जिसमें परिवहन निगम में कार्यरत विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को समान काम समान वेतन के भुगतान वचन दिया गया था. लेकिन विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को प्रोत्साहन देने के बजाए उनके 4 अवकाश में मद किलोमीटर तथा उपस्थिति की विधि विपरीत शब्द जोड़कर अनेक कर्मियों को भुगतान से वंचित किया जा रहा है.

5- महंगाई भत्ता: उत्तराखंड सरकार द्वारा परिवहन निगम कर्मियों को जुलाई माह से महंगाई भत्ता प्रदान करने का निर्देश दिए गए थे लेकिन रोडवेज प्रबंधन द्वारा जनवरी माह से भुगतान के आदेश दिए गए, जो कि कर्मचारियों के साथ अन्याय है. इसी प्रकार विशेष श्रेणी संविदा कर्मियों को भी प्रति किलोमीटर दर में वृद्धि जुलाई माह से होनी चाहिए थी लेकिन अब नियमित कर्मियों की देय 11% महंगाई भत्ते का एरियर बनवाकर और विशेष श्रेणी संविदा चालकों और परिचालकों को 13 पैसे और 11 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि जुलाई माह से लागू करते हुए एरियर उपलब्ध कराने में आनाकानी हो रही है.

6- कार्य लेने के उपरांत भी भुगतान ना होना: परिवहन निगम के विभिन्न बस स्टेशननों पर कार्यशाला से निगम एवं अनुबंधित बसें उपलब्ध कराई जाती हैं. कई बार यात्री कम होने और अन्य कारणों से बस परिचालक एवं चालक से कई-कई घंटे कार्य लेने के उपरांत भी बस का संचालन मार्ग पर नहीं हो पाता है. ऐसे में विशेष श्रेणी और संविदा श्रेणी के चालक परिचालकों को कोई भुगतान नहीं किया जाता. अगर बस चालक द्वारा अपनी ड्यूटी पर उपस्थित होकर कार्यशाला से बस को बस स्टेशन तक ले जाया जाता है अथवा किसी खराब गाड़ी पर ड्यूटी की जाती है. इसी प्रकार परिचालक द्वारा टिकट मशीन या टिकट बुक प्राप्त कर यात्री बैठाने का प्रयास करते हुए ड्यूटी की जाती है, लेकिन गाड़ी खराब हो जाने के चलते संविदा चालक और परिचालक को न्यूनतम 200 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान दिया जाना चाहिए.

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) में प्रबंधन सुधार विषय को लेकर आज शाम 4 बजे परिवहन मुख्यालय में आलाधिकारियों और उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की बैठक आयोजित की जाएगी. इस मामले में परिवहन मुख्यालय महाप्रबंधक दीपक जैन द्वारा रोडवेज कर्मचारी यूनियन महामंत्री अशोक चौधरी को पत्र लिखकर 5 प्रतिनिधियों को निगम मुख्यालय आमंत्रित किया गया है. इस बैठक की अध्यक्षता रोडवेज प्रबंधन निदेशक की ओर से की जाएगी.

बता दें, बीते सप्ताह उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन द्वारा परिवहन विभाग में लंबे समय से 6 बिंदुओं पर प्रबंधन सुधार के लिए आज बैठक का समय तक किया गया था. कर्मचारी यूनियन ने इस बात की भी चेतावनी दी थी कि अगर निगम में प्रबंधन सुधार विषय पर कोई कार्रवाई रोडवेज बोर्ड द्वारा नहीं की जाती, तो 22 दिसंबर से प्रदेशभर के सभी रोडवेज कर्मचारी काला फीता बांधकर विरोध करेंगे.

उत्तरांचल कर्मचारी यूनियन की इस चेतावनी का संज्ञान लेते हुए परिवहन निगम मुख्यालय ने रोडवेज प्रतिनिधियों के साथ आज शाम बैठक आयोजित की है. इस बैठक में करोड़ों के घाटे से जूझ रहे परिवहन निगम और उसमें चल रहे प्रबंधन में सुधार लाने की दिशा में कई फैसले हो सकते हैं.

प्रबंधन सही नहीं होने के कारण ही 520 करोड़ के राजस्व का घाटा: उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मुताबिक परिवहन निगम में मूल रूप से 6 बिंदुओं पर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है. उत्तराखंड परिवहन निगम के गठन (नवंबर 2003) से लेकर अब तक रोडवेज को 520 करोड़ के राजस्व का घाटा हो चुका है. ऐसे में इस वित्तीय घाटे से उबरने से लिए रोडवेज में फैली प्रबंधन अव्यवस्था को दुरुस्त करना अब जरूरी हो गया है.

पढ़ें- युवा CM धामी ने क्रिकेट में आजमाया हाथ, तेजस्वी सूर्या की युवा मोर्चा को 4 रन से हराया

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के इन 6 बिंदुओं पर सुधार की आवश्यकता

1- ई-टिकटिंग मशीन: परिवहन निगम में ई-टिकटिंग मशीन सबसे प्रमुख टूल्स में से एक है. लेकिन ई-टिकटिंग मशीनों की दशा ठीक नहीं है, जिससे परिचालकों का कार्य विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है. यही कारण है कि इसमें भ्रष्टाचार होने की प्रबल संभावना है. परिवहन निगम प्रबंधन द्वारा पिछले 3 साल से नई टिकट मशीनों की उपलब्धता के लिए एक या 2 माह का समय घोषित किया जाता है लेकिन अभी तक इसमें कार्रवाई शून्य है. परिचालक ई-टिकटिंग मशीन में जल्दी टिकट न बनने के कारण मार्ग से बस में कम सवारी ले जा रहे हैं, जिससे रोडवेज को राजस्व का घाटा सीधे तौर पर हो रहा है.

2- डीजल एवं फास्टैग फिजूलखर्ची: रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मुताबिक परिवहन निगम ने पूर्व में यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी दशा में प्राइवेट पंपों से डीजल क्रय नहीं जाएगा. लेकिन वित्तीय कु-प्रबंधन और जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की जा रही हैं कि जिसके कारण रोडवेज की बसों में डीजल प्राइवेट पंपों से क्रय किया जा रहा है. जबकि प्राइवेट पंप से डीजल ₹3 प्रति लीटर से अधिक महंगा मिलता है, जिसके कारण प्रत्येक माह कई लाख रुपए की आर्थिक हानि भी निगम को रही है. इसी प्रकार टोल की मद में महीने में कई बार टोल का फास्टैग खाता निष्क्रिय होने के कारण बसों को दोगुना टोल भुगतान करना पड़ता है, जो कि घोर लापरवाही का नतीजा है. ऐसे में परिचालकों को स्वयं के टोल खाते से भुगतान की अनुमति दी जाए. ऐसा करके निगम को लाखों की आर्थिक हानि से बचाया जा सकता है. वहीं, डीजल बजट के भुगतान और कुल खाते को शत-प्रतिशत सक्रिय रखने की आवश्यकता है.

3- बस उपयोगिता के अनुसार अधिकारियों की तैनाती: परिवहन निगम के विभिन्न डिपो में अधिकारियों, सुपरवाइजर एवं कर्मचारियों की तैनाती में वहां पर की जाए जहां बस उपयोगिता हो. वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को संबद्ध किया गया है. ऐसे में अभियान चलाकर बस एवं डिपो की उपयोगिता के अनुसार तैनाती करने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की संबद्धता समाप्त करते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है.

4- समान कार्य समान वेतन: कर्मचारी यूनियन के मुताबिक पूर्व में उच्चतम न्यायालय नैनीताल द्वारा विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को समान कार्य समान वेतन के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट के आदेशानुसार रोडवेज प्रबंध निदेशक (अध्यक्ष) द्वारा न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था, जिसमें परिवहन निगम में कार्यरत विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को समान काम समान वेतन के भुगतान वचन दिया गया था. लेकिन विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को प्रोत्साहन देने के बजाए उनके 4 अवकाश में मद किलोमीटर तथा उपस्थिति की विधि विपरीत शब्द जोड़कर अनेक कर्मियों को भुगतान से वंचित किया जा रहा है.

5- महंगाई भत्ता: उत्तराखंड सरकार द्वारा परिवहन निगम कर्मियों को जुलाई माह से महंगाई भत्ता प्रदान करने का निर्देश दिए गए थे लेकिन रोडवेज प्रबंधन द्वारा जनवरी माह से भुगतान के आदेश दिए गए, जो कि कर्मचारियों के साथ अन्याय है. इसी प्रकार विशेष श्रेणी संविदा कर्मियों को भी प्रति किलोमीटर दर में वृद्धि जुलाई माह से होनी चाहिए थी लेकिन अब नियमित कर्मियों की देय 11% महंगाई भत्ते का एरियर बनवाकर और विशेष श्रेणी संविदा चालकों और परिचालकों को 13 पैसे और 11 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि जुलाई माह से लागू करते हुए एरियर उपलब्ध कराने में आनाकानी हो रही है.

6- कार्य लेने के उपरांत भी भुगतान ना होना: परिवहन निगम के विभिन्न बस स्टेशननों पर कार्यशाला से निगम एवं अनुबंधित बसें उपलब्ध कराई जाती हैं. कई बार यात्री कम होने और अन्य कारणों से बस परिचालक एवं चालक से कई-कई घंटे कार्य लेने के उपरांत भी बस का संचालन मार्ग पर नहीं हो पाता है. ऐसे में विशेष श्रेणी और संविदा श्रेणी के चालक परिचालकों को कोई भुगतान नहीं किया जाता. अगर बस चालक द्वारा अपनी ड्यूटी पर उपस्थित होकर कार्यशाला से बस को बस स्टेशन तक ले जाया जाता है अथवा किसी खराब गाड़ी पर ड्यूटी की जाती है. इसी प्रकार परिचालक द्वारा टिकट मशीन या टिकट बुक प्राप्त कर यात्री बैठाने का प्रयास करते हुए ड्यूटी की जाती है, लेकिन गाड़ी खराब हो जाने के चलते संविदा चालक और परिचालक को न्यूनतम 200 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान दिया जाना चाहिए.

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