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IMPACT: प्रशासन की टूटी नींद, पीड़ितों की ली सुध

ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर असर हुआ है. बेसहारा हुए बस्ती के लोगों ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां किया था. जिसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और उन्होंने 3 दिन बाद पीड़ितों की सुध ली.

प्रशासन की टूटी नींद
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Published : Nov 6, 2019, 8:38 PM IST

ऋषिकेशः पिछले दिनों चंद्रभागा नदी पर बसी झुग्गी झोपड़ियों को अतिक्रमण बताकर प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया था. जिसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था ना होने के कारण पिछले 3 दिन तक झोपड़ी में रहने वाले लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर थे. हालत ये थी कि पीड़ितों को पास खाने की भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं थी. वहीं, खबर प्रकाशित होने के बाद अब महकमा हरकत में आया है.

प्रशासन की टूटी नींद

बता दें कि ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर असर हुआ है. बेसहारा हुए बस्ती के लोगों ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां किया था. जिसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और उन्होंने 3 दिन बाद पीड़ितों की सुध ली. वहीं, बेसहारा हुए लोगों का कहना है कि प्रशासन जो खाना लेकर आया है, उसे हम नहीं खायेंगे. उनकी छत छीनकर अब अधिकारी उनसे सहानुभूति का दिखावा कर रहे हैं. वहीं, घर न होने से उनके बच्चों की पढ़ाई का भी काफी नुकसान हो गया है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में तहसीलदार रेखा आर्य ने बताया कि 3 दिनों से लगातार अतिक्रमण की कार्रवाई चन्द्रभागा नदी पर चल रही है. जिसके लिए यहां से बेसहारा होने वाले लोगों के लिए रहने की वैकल्पिक व्यवस्था धर्मशाला गुरुद्वारे आदि जगहों पर की गई है.

ये भी पढ़ेंःमानव श्रृंखला: प्लास्टिक के खिलाफ अभियान में प्लास्टिक का ही इस्तेमाल, सरकार की किरकिरी

वहीं, मेडिकल के लिए एंबुलेंस व डॉक्टरों की टीम यहां समय-समय पर आ रही है. मौके पर लोगों को भोजन दिया जा रहा है. कुछ लोगों के विरोध के चलते थोड़ा दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन अंतिम में लोगों ने भोजन खाना शुरू कर दिया.

बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल उठता है कि चंद्रभागा बस्ती को खाली कराने से पहले प्रशासन ने उनके लिए रहने खाने व स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था पहले से क्यों नहीं की थी. वहीं, खबर प्रकाशित होने के बाद ही क्यों प्रशासन कुंभकरणी नींद से जागा.

ऋषिकेशः पिछले दिनों चंद्रभागा नदी पर बसी झुग्गी झोपड़ियों को अतिक्रमण बताकर प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया था. जिसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था ना होने के कारण पिछले 3 दिन तक झोपड़ी में रहने वाले लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर थे. हालत ये थी कि पीड़ितों को पास खाने की भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं थी. वहीं, खबर प्रकाशित होने के बाद अब महकमा हरकत में आया है.

प्रशासन की टूटी नींद

बता दें कि ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर असर हुआ है. बेसहारा हुए बस्ती के लोगों ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां किया था. जिसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और उन्होंने 3 दिन बाद पीड़ितों की सुध ली. वहीं, बेसहारा हुए लोगों का कहना है कि प्रशासन जो खाना लेकर आया है, उसे हम नहीं खायेंगे. उनकी छत छीनकर अब अधिकारी उनसे सहानुभूति का दिखावा कर रहे हैं. वहीं, घर न होने से उनके बच्चों की पढ़ाई का भी काफी नुकसान हो गया है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में तहसीलदार रेखा आर्य ने बताया कि 3 दिनों से लगातार अतिक्रमण की कार्रवाई चन्द्रभागा नदी पर चल रही है. जिसके लिए यहां से बेसहारा होने वाले लोगों के लिए रहने की वैकल्पिक व्यवस्था धर्मशाला गुरुद्वारे आदि जगहों पर की गई है.

ये भी पढ़ेंःमानव श्रृंखला: प्लास्टिक के खिलाफ अभियान में प्लास्टिक का ही इस्तेमाल, सरकार की किरकिरी

वहीं, मेडिकल के लिए एंबुलेंस व डॉक्टरों की टीम यहां समय-समय पर आ रही है. मौके पर लोगों को भोजन दिया जा रहा है. कुछ लोगों के विरोध के चलते थोड़ा दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन अंतिम में लोगों ने भोजन खाना शुरू कर दिया.

बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल उठता है कि चंद्रभागा बस्ती को खाली कराने से पहले प्रशासन ने उनके लिए रहने खाने व स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था पहले से क्यों नहीं की थी. वहीं, खबर प्रकाशित होने के बाद ही क्यों प्रशासन कुंभकरणी नींद से जागा.

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ऋषिकेश--पिछले दिनों चंद्रभागा नदी पर बसी झुग्गी झोपड़ियों को अतिक्रमण बताकर प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया था । जिसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था ना होने के कारण 3 दिन तक झोपड़ी में रहने वाले लोग खुली छत के नीचे भूखे प्यासे बीमार होने लगे थे । इस खबर को ETV Bharat प्रमुखता से दिखाई जिसके बाद प्रशासन को देर से ही सही लेकिन मानव अधिकार के अंतर्गत दिए जाने वाली सुविधाओं की याद आई तो चंद्रभागा नदी के क्षेत्र में बेसहारा हुए लोगों को भोजन देने पंहुची।





Body:वी/ओ--ईटीवी भारत के साथ बेसहारा हुए बस्ती के पीड़ित लोगों ने अपना दुख सुनाया व बताया कि 3 दिनों से लगातार हमारे यहां झोपड़ियां टूट रही है लेकिन 3 दिन बाद यहां खाना ला रहे है जो हम नहीं खायेंगे । सर से छत छीन कर अब खाना दे कर दिखावा कर रहे है ।वहीं अतिक्रमण से पढ़ाई करने वाले बच्चों की पढ़ाई में काफी नुकसान हो गया है , यहां तक कि कुछ बच्चों की परीक्षा भी छुट गयी है,ईटीवी भारत के साथ बातचीत में तहसीलदार रेखा आर्य ने बताया कि 3 दिनों से लगातार अतिक्रमण की कार्यवाही चन्द्रभागा नदी पर चल रही है , जिसके लिए यहां से बेसहारा होने वाले लोगों के लिए रहने की वैकल्पिक व्यवस्था धर्मशाला गुरुद्वारे आदि जगहों पर की है साथ ही मेडिकल चिकित्सा के लिए एंबुलेंस व डॉक्टरों की टीम यहां समय-समय पर आ रही है वह भोजन के लिए मौके पर लोगों को भोजन दिया जा रहा है कुछ लोगों के विरोध के चलते थोड़ा दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन अंतिम में लोगों ने भोजन देना शुरू कर दिया।




Conclusion:वी/ओ--लेकिन अब सबसे बड़ा प्रश्न उठता है कि चंद्रभागा बस्ती को खाली कराने से पहले प्रशासन ने उनके लिए रहने खाने व स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था पहले से क्यों नहीं की थी अगर खबर दिखाया नहीं जाने के बाद ही क्यों प्रशासन की कुंभकरण की नींद खुली।

बाईट--पीड़ित
बाईट--छात्रा
बाईट--रेखा आर्य(तहसीलदार)
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