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स्कूलों में पेयजल की किल्लत का बाल संरक्षण आयोग लिया संज्ञान, शिक्षा विभाग दिया ये आदेश

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Published : Feb 28, 2022, 9:57 PM IST

स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था न होने के मामले पर ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. बाल आयोग ने इस मामले में शिक्षा विभाग को तत्काल कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं.

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खबर का असर

देहरादून: कुछ दिनों पहले ईटीवी भारत ने स्कूलों में पेयजल की किल्लत की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसका अब असर हुआ है. बाल संरक्षण आयोग ने मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी को पत्र लिखा है. जिसमें ईटीवी भारत की खबर का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से इन हालात पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए गये हैं.

बता दें ईटीवी भारत ने हाल ही में उत्तराखंड के बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में पेयजल की दुर्दशा को अपने एक खास कार्यक्रम 'जंहा बहती है गंगा जमुना, उस प्रदेश के स्कूलों में नहीं जल, आखिर कैसे सवरेंगा कल' के जरिये प्रकाशिक किया था. जिसमें बताया गया था कि प्रदेश के 992 स्कूल ऐसे हैं, जंहा पर पीने तक का पानी नहीं है, कही है भी तो वो पानी पीने लायक ही नहीं है. वहीं, कई स्कूल ऐसे हैं जहां कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.
पढ़ें- ऋषिकेश में हाथी ने साधु को कुचलकर मार डाला, दो ने भागकर बचाई जान

ईटीवी भारत की इस खबर का हवाला देते हुए हरिद्वार के भूपतवाला निवासी समाज सेवी मनोज निषाद ने बाल सरक्षण आयोग में इस मामले को उठाया. बाल सरक्षण आयोग ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है.
पढ़ें- गजराज का खौफ: हरिद्वार में रेलवे स्टेशन पर पहुंचा हाथी तो ऋषिकेश के रामझूला में भी दिखी चहलकदमी

बाल संरक्षण आयोग की इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग भी सकते में हैं. वहीं, माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने आयोग को इस सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध करवाते हुए इस बात को खुद स्वीकारा की प्रदेश के 84 सरकारी माध्यमिक स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था करना बाकी है. इनमें से 40 स्कूलों को पेयजल से जोड़ा जा चुका है. वहीं 44 पर काम चल रहा है.

देहरादून: कुछ दिनों पहले ईटीवी भारत ने स्कूलों में पेयजल की किल्लत की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसका अब असर हुआ है. बाल संरक्षण आयोग ने मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी को पत्र लिखा है. जिसमें ईटीवी भारत की खबर का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से इन हालात पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए गये हैं.

बता दें ईटीवी भारत ने हाल ही में उत्तराखंड के बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में पेयजल की दुर्दशा को अपने एक खास कार्यक्रम 'जंहा बहती है गंगा जमुना, उस प्रदेश के स्कूलों में नहीं जल, आखिर कैसे सवरेंगा कल' के जरिये प्रकाशिक किया था. जिसमें बताया गया था कि प्रदेश के 992 स्कूल ऐसे हैं, जंहा पर पीने तक का पानी नहीं है, कही है भी तो वो पानी पीने लायक ही नहीं है. वहीं, कई स्कूल ऐसे हैं जहां कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.
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ईटीवी भारत की इस खबर का हवाला देते हुए हरिद्वार के भूपतवाला निवासी समाज सेवी मनोज निषाद ने बाल सरक्षण आयोग में इस मामले को उठाया. बाल सरक्षण आयोग ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है.
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बाल संरक्षण आयोग की इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग भी सकते में हैं. वहीं, माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने आयोग को इस सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध करवाते हुए इस बात को खुद स्वीकारा की प्रदेश के 84 सरकारी माध्यमिक स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था करना बाकी है. इनमें से 40 स्कूलों को पेयजल से जोड़ा जा चुका है. वहीं 44 पर काम चल रहा है.

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