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गौरवशाली है IMA देहरादून का इतिहास, पाकिस्तान को दिया था पहला आर्मी चीफ

आईएमए देहरादून का इतिहास देश के लिए गौरवान्वित रहा है. आईएमए देश को नए सैन्य अधिकारी देता रहा है. जिनके अदम्य साहस और वीरता का दुनिया लोहा मानती है. आईएमए देहरादून एक लंबा इतिहास अपने में संजोए हुए है.

Dehradun news
आईएमए देहरादून.
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Published : Dec 7, 2019, 9:00 AM IST

Updated : Dec 7, 2019, 9:31 AM IST

देहरादून: आईएमए देहरादून का इतिहास देश के लिए गौरवान्वित रहा है. आईएमए देश को नए सैन्य अधिकारी देता रहा है. जिनके अदम्य साहस और वीरता का दुनिया लोहा मानती है. आईएमए देहरादून एक लंबा इतिहास अपने में संजोए हुए है. क्या आपको मालूम है आज जहां ऐतिहासिक परेड होती है वहां पहले क्या हुआ करता था, नहीं तो हम आपको बताते हैं.

देहरादून में जिस जगह पर आज भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए है, वहां 8 से 9 दशक पहले तक रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था. इस जगह पर कॉलेज का 206 एकड़ कैंपस और दूसरी सभी चीजें भारतीय सैन्या अकादमी यानी आईएमए को ट्रांसफर कर दी गई थीं. साल 1932 में 40 जेंटलमैन कैडेट के साथ आईएमए का सुनहरा सफर शुरू हुआ था. आईएमएसए पासिंग आउट होने वाले पहले देश का नाम द पायनियर था.

पढ़ें-IMA की पासिंग आउट परेड में शामिल होंगे रक्षा मंत्री, देश को मिलेंगे 306 आर्मी ऑफिसर

उस वक्त ब्रिगेडियर एलपी कॉलिंस प्रथम आईएमए के कमांडेड बने थे. आईएमए से पास आउट होने वाले पहले जत्थे का नाम 'द पायनियर' रखा गया. इसी बैच से भारत के फील्ड मार्शल सेम मानेकशॉ, बर्मा देश के सेना प्रमुख स्मिथडन और पाकिस्तान के पहले सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे. भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्य बिल्डिंग जहां साल 1932 से पासिंग आउट परेड संपन्न होती थी, इसी मुख्य भवन का नाम एकेडमी को स्थापित करने वाले फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्लू चेटवुड के नाम से रखा गया है.

देहरादून: आईएमए देहरादून का इतिहास देश के लिए गौरवान्वित रहा है. आईएमए देश को नए सैन्य अधिकारी देता रहा है. जिनके अदम्य साहस और वीरता का दुनिया लोहा मानती है. आईएमए देहरादून एक लंबा इतिहास अपने में संजोए हुए है. क्या आपको मालूम है आज जहां ऐतिहासिक परेड होती है वहां पहले क्या हुआ करता था, नहीं तो हम आपको बताते हैं.

देहरादून में जिस जगह पर आज भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए है, वहां 8 से 9 दशक पहले तक रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था. इस जगह पर कॉलेज का 206 एकड़ कैंपस और दूसरी सभी चीजें भारतीय सैन्या अकादमी यानी आईएमए को ट्रांसफर कर दी गई थीं. साल 1932 में 40 जेंटलमैन कैडेट के साथ आईएमए का सुनहरा सफर शुरू हुआ था. आईएमएसए पासिंग आउट होने वाले पहले देश का नाम द पायनियर था.

पढ़ें-IMA की पासिंग आउट परेड में शामिल होंगे रक्षा मंत्री, देश को मिलेंगे 306 आर्मी ऑफिसर

उस वक्त ब्रिगेडियर एलपी कॉलिंस प्रथम आईएमए के कमांडेड बने थे. आईएमए से पास आउट होने वाले पहले जत्थे का नाम 'द पायनियर' रखा गया. इसी बैच से भारत के फील्ड मार्शल सेम मानेकशॉ, बर्मा देश के सेना प्रमुख स्मिथडन और पाकिस्तान के पहले सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे. भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्य बिल्डिंग जहां साल 1932 से पासिंग आउट परेड संपन्न होती थी, इसी मुख्य भवन का नाम एकेडमी को स्थापित करने वाले फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्लू चेटवुड के नाम से रखा गया है.

Intro:summary-देहरादून आईएमए ने दिया था पाकिस्तान का पहला आर्मी चीफ.


वैसे तो देहरादून का अपना इतिहास रहा है लेकिन उसमें भारतीय सैन्य अकादमी आई मैंने भी अपनी वीरगाथा अलग से लिखी है देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी आई एम का गौरवशाली इतिहास रहा है क्या आपका मालूम है कि आज जहां ऐतिहासिक प्रेरित होती है वहां पहले क्या हुआ करता था नहीं तो हम आपको बताते हैं।


देहरादून में जिस जगह पर आज भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए है वह 8 से 9 दशक पहले तक रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था इस जगह पर कॉलेज का 206 एकड़ केंपस और दूसरी सभी चीजें भारतीय सेना अकादमी यानी आईएमए को ट्रांसफर कर दी गई थी आपको बताएं कि साल 1932 में 40 जंतरमेंटर के डेट के साथ आई में का सुनहरा सफर शुरू हुआ था आईएमएसए पास आउट होने वाले पहले देश का नाम द पायनियर था। उस वक्त ब्रिगेडियर एलपी कॉलिंस प्रथम आईएमए के कमांडेड बने थे। आई एम से पास आउट होने वाले पहले जत्थे का नाम द पायनियर रखा गया इसी जत्थे में से देश के फील्ड मार्शल सेम मानेकशॉ और बर्मा देश की सेना अध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान देश के पहले सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे।


Body:भारतीय सैन्य अकादमी आई एम की मुख्य बिल्डिंग जहां सन् 1932 से पासिंग आउट परेड संपन्न होती है इसी मुख्य भवन का नाम एकेडमी को स्थापित करने वाले फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्लू चेटवुड के नाम से रखा गया है।


Conclusion:
Last Updated : Dec 7, 2019, 9:31 AM IST
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