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IMA की पासिंग आउट परेड की तैयारियां पूरी, भारतीय सेना को मिलेंगे 306 अफसर

आईएमए ने 7 दिसंबर को होने वाली पासिंग आउट परेड को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस परेड के बाद 306 कैडेट पास आउट होकर भारतीय सेना में बतौर अफसर के रूप में शामिल होंगे.

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आईएमए ने पूरी की पासिंग आउट परेड की तैयारियां
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Published : Dec 4, 2019, 11:47 PM IST

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) 7 दिसंबर को पासिंग आउट परेड के भव्य आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार है. आईएमए के ऐतिहासिक चैटवुड बिल्डिंग परिसर में 7 दिसंबर को आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में इस बार कुल 377 जेंटलमैन कैडेट पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेंगे. वहीं, 306 कैडेट पास आउट होकर भारतीय सेना में बतौर अफसर के रूप में शामिल होंगे. इनमें से मित्र देशों के 71 कैडेट्स भी अपनी कड़ी प्रशिक्षण को मुकम्मल कर अपने देश की सेना में कमान संभालेंगे.

आईएमए ने पूरी की पासिंग आउट परेड की तैयारियां

बता दें कि देश की आजादी से पहले साल 1932 में 40 जेंटलमैन कैडेट के साथ इस अकादमी का ऐतिहासिक सफर शुरू हुआ था, जो आज तक जारी है. 1932 में IMA के पहले कमांडेंट के रूप में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस ने कमान संभाली थी. उस दौरान आईएमए के पहले बैच का नाम पायनियर रखा गया. इसी पायनियर बैच के फील्ड मार्शल सेम मानेक शॉ, बर्मा के पूर्व सेनाध्यक्ष स्मिथ डन और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी पास आउट हुए थे.

ये भी पढ़ें: नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश में हुए सहायक अध्यापकों के स्थानांतरण पर लगाई रोक

भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए का देश की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है. देश दुनिया में सबसे कठिन और सैनिक तकनीक से बेहद महत्वपूर्ण तरीके से जांबाज योद्धा विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान रखता है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान दिसंबर 1932 में इसी भारतीय सैन्य अकादमी का उद्घाटन तत्कालीन अंग्रेज फील्ड मार्शल फिलिप डब्लू चैटवुड ने किया था, तब से आईएमए के प्रमुख भवन को चैटवुड बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है.

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) 7 दिसंबर को पासिंग आउट परेड के भव्य आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार है. आईएमए के ऐतिहासिक चैटवुड बिल्डिंग परिसर में 7 दिसंबर को आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में इस बार कुल 377 जेंटलमैन कैडेट पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेंगे. वहीं, 306 कैडेट पास आउट होकर भारतीय सेना में बतौर अफसर के रूप में शामिल होंगे. इनमें से मित्र देशों के 71 कैडेट्स भी अपनी कड़ी प्रशिक्षण को मुकम्मल कर अपने देश की सेना में कमान संभालेंगे.

आईएमए ने पूरी की पासिंग आउट परेड की तैयारियां

बता दें कि देश की आजादी से पहले साल 1932 में 40 जेंटलमैन कैडेट के साथ इस अकादमी का ऐतिहासिक सफर शुरू हुआ था, जो आज तक जारी है. 1932 में IMA के पहले कमांडेंट के रूप में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस ने कमान संभाली थी. उस दौरान आईएमए के पहले बैच का नाम पायनियर रखा गया. इसी पायनियर बैच के फील्ड मार्शल सेम मानेक शॉ, बर्मा के पूर्व सेनाध्यक्ष स्मिथ डन और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी पास आउट हुए थे.

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भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए का देश की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है. देश दुनिया में सबसे कठिन और सैनिक तकनीक से बेहद महत्वपूर्ण तरीके से जांबाज योद्धा विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान रखता है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान दिसंबर 1932 में इसी भारतीय सैन्य अकादमी का उद्घाटन तत्कालीन अंग्रेज फील्ड मार्शल फिलिप डब्लू चैटवुड ने किया था, तब से आईएमए के प्रमुख भवन को चैटवुड बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है.

Intro:summary-7 दिसंबर को IMA से 377 जेंटलमैन कैडेट होंगे पास आउट,306 कैडेट भारतीय सेना में बतौर अफसर बनेंगे,पासिंग आउट परेड को लेकर IMA भव्य तैयारियां ..

देहरादून- सालभर के कड़े प्रशिक्षण और देश सेवा अद्भुत जज़्बे के साथ भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए)में आगामी 7 दिसंबर शनिवार को हर वर्ष की तरह होने पासिंग आउट परेड का भव्य आयोजन पूरी तरह तैयार हैं। चेटवूड बिल्डिंग के मुख्य द्वार से अंतिम पग पार कर कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कैडेट पूरे जोश व जुनून से लैस होकर पासिंग आउट परेड के लिए उत्साहित हैं। आईएमए के ऐतिहासिक चेटवूड बिल्डिंग परिसर में हर कदम से कदम मिलाकर 7 दिसंबर को आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में इस बार कुल 377 जैंटलमैन कैडेट पासिंग आउट परेड के हिस्सा होंगे,जबकि इनमें से 306 कैडेट पास आउट होकर भारतीय सेना में बतौर अफसर रूप में शामिल होंगे।
इस पासिंग आउट परेड में मित्र देशों के 71 कैडेट्स भी अपनी कड़ी प्रशिक्षण को मुक्कमल कर पासिंग आउट होकर अपने अपने देश की सेना ने कमान संभालेंगे।


Body:1932 में 40 जेंटलमैन कैडेट पासआउट से हुई थी आईएमए सफर की शुरुआत

देश आजादी से पहले वर्ष 1932 में 40 जैंटलमैन कैडेट के साथ इस अकादमी का ऐतिहासिक सफर शुरू हुआ जो आज तक जारी है। 1932 में आईएमए के पहले कमांडेंट के रूप में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस ने कमान संभाली थी। उस दौरान आई एम ए के पहले बेस्ट का नाम पायनियर रखा गया और इसी पायनियर बैच ने फील्ड मार्शल सेम मानेक शॉ और बर्मा की सेना अध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ ही पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी इसी बैच से पास आउट हुए थे।


अंग्रेज फील्ड मार्शल फील्ड मार्शल फिलिप डब्लू चैटवुड नाम IMA भवन का नाम पड़ा

भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए का देश के रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है, देश दुनिया में सबसे कठिन व सैनिक तकनीक से बेहद महत्वपूर्ण तरीके से जांबाज योद्धा जैसे सैन्य अफसर तैयार करने में आईएमए विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान रखता है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान दिसंबर 1932 में इसी भारतीय सैन्य अकादमी का उद्घाटन तत्कालीन अंग्रेज फील्ड मार्शल फिलिप डब्लू चैटवुड पर किया था, तभी से आईएमए की प्रमुख भवन का नाम चैटवुड बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है।


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