देहरादून: निश्चित तौर से आने वाला दौर पीएनजी यानी पाइप नेचुरल गैस का है. जिसको लेकर देश में युद्ध स्तर पर काम चल रहा है. उत्तराखंड की बात करें तो पीएनजी गैस को लेकर काम शुरू हो चुका है. हरिद्वार में पीएनजी गैस कनेक्शन की शुरुआत हो चुकी है तो वहीं, निकट भविष्य में देहरादून शहर को भी पीएनजी गैस लाइन के लिए तैयार किया जा रहा है.
देहरादून में मौजूद भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) में इन गैसों के इस्तेमाल करने के लिए एक खास तरह के बर्नर यानी चूल्हे का आविष्कार किया गया है. जिसके उपयोग से 30 फीसदी तक गैस की बचत की जा सकेगी.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए इस पीएनजी बर्नर के अविष्कारक वैज्ञानिक डॉ. एके जैन ने बताया कि यह स्टोव पूरी तरह से पीएनजी गैस के लिए डेडकेटेड स्टॉप है. पीएनजी यानी नेचुरल गैस एलपीजी गैस से बिल्कुल अलग तरह की गैस होती है. यह हवा से हल्की होती है जबकि, एलपीजी हवा से भारी होती है. उन्होंने बताया कि इस चूल्हे की मिक्सिंग ट्यूब, बर्नर इत्यादि सभी कंपोनेंट पीएनजी गैस के मद्देनजर बिल्कुल अलग तरह से डिजाइन किए गए हैं.
ये भी पढ़े: रिहायशी इलाके में हाथी की धमक से खौफजदा लोग, निजात दिलाने की मांग
सामान्य बर्नर से तुलना में पीएनजी बर्नर से फायदा
वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने बताया कि जब हम सामान्य चूल्हे में पीएनजी गैस का इस्तेमाल करेंगे तो उसमें 20 से 25 फ़ीसदी गैस बर्बाद होगी. जो कि सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के दृष्टिकोण से हानिकारक हैं. पीएनजी बर्नर को बनाने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि यह बर्नर सामान्य बर्नर से काफी किफायती है. खाना बनाते हुए ज्यादा अच्छी तरह से और कम समय, कम खर्च में खाना बनाता है. यह बर्नर 20 से 25 फ़ीसदी गैस की बचत करेगा और पैसे के साथ साथ वायुमंडल में जाने वाली ग्रीन हाउस गैसों की भी बचत करेगा. आसान भाषा मे कहा जाय तो यह चूल्हा आपके 4 सौ रुपए के बिल में 100 रुपए की बचत करेगा.
व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी किफायती
पीएनजी बैनर बनाने वाले वैज्ञानिक डॉ. एके जैन ने बताया कि देश मे अगर प्रत्येक साल 50 लाख पीएनजी चूल्हों को हम बाजार में मौजूद सामान्य एलपीजी चूल्हों से रिप्लेस करें तो हर साल देश मे 1200 करोड़ रुपये की बचत होगी. शोधकर्ताओं ने बताया कि इस पीएनजी चूल्हे की कीमत भी सामान्य एलपीजी चूल्हे के बराबर ही है तो इससे उपभोक्ता की जेब पर भी कोई खास असर नहीं पड़ेगा.