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AIIMS घोटालों की पोल खोलने वाले IFS संजीव चतुर्वेदी बोले- किसी से न डरें अफसर

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए संजीव चतुर्वेदी ने देश में फैले भ्रष्टाचार पर बेबाकी से अपनी राय रखी. संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि में 2014-15 में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के बाद से वे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं.

ईटीवी भारत के साथ संजीव चतुर्वेदी
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Published : Nov 22, 2019, 4:56 PM IST

Updated : Nov 22, 2019, 6:11 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के हल्द्वानी में वन अनुसंधान केंद्र में तैनात आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को आखिरकार कौन नहीं जानता? आईएफएस संजीव चतुर्वेदी एक ऐसा नाम हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि कोई भी सरकार यह नहीं चाहती कि उनकी पोस्टिंग उनके राज्य में हो. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी लड़ाई लड़ी जिससे न केवल बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों बल्कि सरकार में शामिल नेताओं की भी नींद उड़ गई.

अपनी पहली पोस्टिंग में हरियाणा में वन्य जीव जंतु की तस्करी के मामले में अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का मामला रहा हो या फिर एम्स जैसे संस्थान में 200 से ज्यादा घोटालों को चंद दिनों में उजागर करना. अब संजीव चतुर्वेदी नए मिशन पर हैं.

ईटीवी भारत के साथ संजीव चतुर्वेदी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए संजीव चतुर्वेदी ने देश में फैले भ्रष्टाचार पर बेबाकी से राय रखी. गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी इससे पूर्व एम्स अस्पताल के सीवीओ पद पर तैनात रहे हैं. संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि एम्स में ड्यूटी के दौरान उनका एक ही मकसद था कि किस तरह से उस कॉकस को तोड़ा जाए जिसमें ऊपर से नीचे तक सभी लोग शामिल हैं. संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि 2014-15 में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद से वे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड के 'खेमका' को पद से हटाने के लिए PM मोदी ने किया था फोन? जानें क्या है IFS चतुर्वेदी का मामला

एम्स में काम करने के दौरान भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने से पहले ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया. तत्कालीन सरकार में बैठे मंत्रियों और अधिकारियों को शायद ये रास नहीं आया कि वे भ्रष्टाचार में बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम शामिल करें. वे आगे कहते हैं कि लोगों को ये समझना होगा कि इस समय देश में भ्रष्टाचार को लेकर एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है. जिसमें सर्वोच्च पदों पद बैठे सफेदपोश लोग शामिल हैं. कॉर्पोरेट हस्तियों का भी इन्हें समर्थन है.

डर लगने के सवाल पर संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि मेरे खिलाफ 20 से ज्यादा मुकदमे हैं, लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आगे भी जारी रहेगी. वो कहते हैं कि एम्स में जिम्मेदारियों से बाहर करने के बाद भी कई लोगों की गिरफ्तारी हुई और आज भी कई लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.

पढ़ें- भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते हैं IFS संजीव चतुर्वेदी, केंद्रीय लोकपाल में मांगी प्रतिनियुक्ति

जानिए कौन हैं आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी
संजीव चतुर्वेदी 2002 बैच के हरियाणा कैडर से पासआउट अफसर हैं. संजीव चतुर्वेदी को रेमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने साल 1995 में मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट इलाहाबाद से बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. साल 2002 में इनकी पहली पोस्टिंग हरियाणा के कुरुक्षेत्र में बतौर डीएफओ हुई थी. एम्स में रहते हुए संजीव ने 200 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए थे.

इतना ही नहीं, साल 2014 में स्वास्थ्य सचिव ने उन्हें सबसे ईमानदार अधिकारी का तबका भी दिया था. ये बात अलग है कि सरकार बदलने के बाद उन्हें स्वास्थ्य सचिव ने एम्स से जाने का निर्देश भी जारी किया था. संजीव को एम्स में 4 साल गुजारने थे लेकिन 2 सालों में ही उनको वहां से हटा दिया गया.

देहरादून: उत्तराखंड के हल्द्वानी में वन अनुसंधान केंद्र में तैनात आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को आखिरकार कौन नहीं जानता? आईएफएस संजीव चतुर्वेदी एक ऐसा नाम हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि कोई भी सरकार यह नहीं चाहती कि उनकी पोस्टिंग उनके राज्य में हो. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी लड़ाई लड़ी जिससे न केवल बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों बल्कि सरकार में शामिल नेताओं की भी नींद उड़ गई.

अपनी पहली पोस्टिंग में हरियाणा में वन्य जीव जंतु की तस्करी के मामले में अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का मामला रहा हो या फिर एम्स जैसे संस्थान में 200 से ज्यादा घोटालों को चंद दिनों में उजागर करना. अब संजीव चतुर्वेदी नए मिशन पर हैं.

ईटीवी भारत के साथ संजीव चतुर्वेदी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए संजीव चतुर्वेदी ने देश में फैले भ्रष्टाचार पर बेबाकी से राय रखी. गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी इससे पूर्व एम्स अस्पताल के सीवीओ पद पर तैनात रहे हैं. संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि एम्स में ड्यूटी के दौरान उनका एक ही मकसद था कि किस तरह से उस कॉकस को तोड़ा जाए जिसमें ऊपर से नीचे तक सभी लोग शामिल हैं. संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि 2014-15 में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद से वे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड के 'खेमका' को पद से हटाने के लिए PM मोदी ने किया था फोन? जानें क्या है IFS चतुर्वेदी का मामला

एम्स में काम करने के दौरान भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने से पहले ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया. तत्कालीन सरकार में बैठे मंत्रियों और अधिकारियों को शायद ये रास नहीं आया कि वे भ्रष्टाचार में बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम शामिल करें. वे आगे कहते हैं कि लोगों को ये समझना होगा कि इस समय देश में भ्रष्टाचार को लेकर एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है. जिसमें सर्वोच्च पदों पद बैठे सफेदपोश लोग शामिल हैं. कॉर्पोरेट हस्तियों का भी इन्हें समर्थन है.

डर लगने के सवाल पर संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि मेरे खिलाफ 20 से ज्यादा मुकदमे हैं, लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आगे भी जारी रहेगी. वो कहते हैं कि एम्स में जिम्मेदारियों से बाहर करने के बाद भी कई लोगों की गिरफ्तारी हुई और आज भी कई लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.

पढ़ें- भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते हैं IFS संजीव चतुर्वेदी, केंद्रीय लोकपाल में मांगी प्रतिनियुक्ति

जानिए कौन हैं आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी
संजीव चतुर्वेदी 2002 बैच के हरियाणा कैडर से पासआउट अफसर हैं. संजीव चतुर्वेदी को रेमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने साल 1995 में मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट इलाहाबाद से बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. साल 2002 में इनकी पहली पोस्टिंग हरियाणा के कुरुक्षेत्र में बतौर डीएफओ हुई थी. एम्स में रहते हुए संजीव ने 200 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए थे.

इतना ही नहीं, साल 2014 में स्वास्थ्य सचिव ने उन्हें सबसे ईमानदार अधिकारी का तबका भी दिया था. ये बात अलग है कि सरकार बदलने के बाद उन्हें स्वास्थ्य सचिव ने एम्स से जाने का निर्देश भी जारी किया था. संजीव को एम्स में 4 साल गुजारने थे लेकिन 2 सालों में ही उनको वहां से हटा दिया गया.

Intro:नोट - फ़ाइल एफटीपी से भेजी गयी है इस खबर में फ़ाइल नंबर -----sanjeev chaturvedi -1- mujhe bharstachar se ladne ki kai bar saja mili lekin dara nahi

sanjeev chaturvedi -2 aiims लगाएं



उत्तराखंड के हल्द्वानी में वन अनुसंधान केंद्र में तैनात संजीव चतुर्वेदी को आखिरकार कौन नहीं जानता आईएफएस संजीव चतुर्वेदी एक ऐसा नाम जिनके बारे में कहा जाता है कि कोई भी सरकार यह नहीं चाहती कि उनकी पोस्टिंग उनके राज्य में हो यह बात इसलिए भी है क्योंकि साल 2002 में अपनी पहली पोस्टिंग से लेकर अब तक का जितना भी संजीव चतुर्वेदी का सफल रहा है उनमें उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी लड़ाई लड़ी जिससे ना केवल बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों बल्कि सरकारों में शामिल नेताओं की भी नींद उड़ा के रखी है अपनी पहली पोस्टिंग में हरियाणा में वन्य जीव जंतु की तस्करी के मामले में अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भजेने का मामला रहा हो या फिर एम्स जैसे संस्थान में 200 से ज्यादा घोटालों को चंद दिनों में उजागर कर बड़े-बड़े लोगों को कानूनी पचड़े में डालने का मामला अब संजीव चतुर्वेदी के निशाने पर वह राजनेता शामिल हैं जो सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ गाल बजाने का काम कर रहे हैंBody:ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार किस हद तक देश के सिस्टम में शामिल हो चुका है उस पर तो बेबाकी से बात की ही साथ ही साथ इस भ्रष्टाचार को कैसे मिटाया जा सकता है उन्होंने उस बारे में भी ईटीवी भारत से अपने अनुभव साझा किए आपको बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आई एफ एस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी इससे पूर्व एम्स अस्पताल के सीवीओ पद पर तैनात रहे हैं । संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि एम्स में ड्यूटी के दौरान उनका एक ही मकसद था कि किस तरह से उस कॉकस को तोड़ा जाए जिसमें ऊपर से नीचे तक सभी लोग शामिल है संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि में 2014-15 के समय कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया था उसके बाद वो एक मुश्किल टाइम से गुजर रहे थे और लोगों को यह लगने लगा था कि शायद मैंने जो ईमानदारी के रास्ते पर चलकर कोई गलती कर दी है लेकिन उसी समय 2015 में मुझे रेमैन मैग्सेसे अवार्ड मिला जो अपने अपने तरीके से नेचर का एक संदेश था मेरे लिए कि मैं बिल्कुल सही रास्ते में हूं मुझे किसी बात से घबराने की जरूरत नही है


संजीव चतुर्वेदी की जब एम्स में तैनाती हुई थी और उन्होंने तमाम भ्रष्टाचारियों को जब उजागर किया तो समय से पहले ही उनका स्थानांतरण कर दिया गया बताया जाता है कि तत्कालीन सरकार में बैठे मंत्रियों और अधिकारियों को यह रास नहीं आ रहा था कि वह सीधे तौर पर भ्रष्टाचार में बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम शामिल करें इसको लेकर संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि यह बात सभी को पता है कि उनको वहां से हटाने के लिए किस-किस ने एड़ी से चोटी तक का जोर लगाया और वह भले ही उनके नाम ना लेते हो लेकिन लोगों को यह हकीकत बहुत पहले मालूम हो चुकी है



एम्स के मामले को लेकर संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि लोगों को यह समझना होगा कि इस समय देश में एक पूरा का पूरा एक गिरोह काम कर रहा है जिसमें सर्वोच्च पदों पर बैठे नेता बड़े अधिकारी और कॉर्पोरेट के लोग शामिल हैं जिनके शह पर यह पूरा काम देश के सभी विभागों में हो रहा है । संजीव चतुर्वेदी से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या वही लोग अब बड़े पदों पर बैठे हैं और अभी भी आपके ऊपर नजर रख रहे हैं तो इस पर उन्होंने साफ कहा कि उन्हें इस बात की कभी भी परवाह नहीं रही की जिसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं वह धन बल से कितना मजबूत है वह कितना बड़ा नेता है कितना बड़ा अधिकारी है आज तक इस बात की परवाह उन्होंने नहीं की जबकि उन्हें मालूम है कि लगभग 20 से ज्यादा मुकदमों में आज भी उनको घसीटा जा रहा है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि बाकी मामलों की तरह भी वह इस मामले से भी निकल जाएंगे लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई वह लड़ रहे हैं वह निरंतर उनकी जारी ही रहेगीConclusion:क्या अभी भी एम्स में भ्रष्टाचार उसी तरह से जारी है जिस तरह से आप के समय में हो रहा था

संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि जिस वक्त वो एम्स में तैनात थे उस वक्त उन्होंने पूरी कोशिश की थी कि जिन अधिकारियों के खिलाफ और खासकर उन अधिकारियों के खिलाफ जो हमसे 20 साल बैच में बड़े थे अस्पताल के निदेशक सहित तमाम उन लोगों के खिलाफ जो कार्रवाई आगे बढ़ाई थी वह सिर्फ फाइलों में दबकर ना रह जाए इसके लिए उन्होंने वहां रहते हुए तमाम इंतजाम कर दिए थे और शायद यही कारण रहा कि उनके जाने के बाद भी कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई और आज भी कई लोगों के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है


कौन है आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी


चतुर्वेदी 2002 बैच के पास आउट हरियाणा कैडर के अफसर है संजीव चतुर्वेदी को रेमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है उन्होंने साल 1995 मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट इलाहाबाद से बीटेक की पढ़ाई की है साल 2002 में इन की सबसे पहली पोस्टिंग हरियाणा के कुरुक्षेत्र में बतौर डीएफओ हुई थी एम्स में रहते हुए संजीव ने 200 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए इतना ही नहीं साल 2014 में स्वास्थ्य सचिव ने उन्हें सबसे ईमानदार अधिकारी का तबका भी दिया था वह बात अलग है कि सरकार बदलने के बाद उन्हें स्वास्थ्य सचिव ने उन्हें एम्स से जाने का निर्देश भी जारी किया था संजीव को एम्स में 4 साल गुजारने थे लेकिन 2 सालों में ही उनको वहां से हटा दिया गया
Last Updated : Nov 22, 2019, 6:11 PM IST
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