डोईवालाः कभी जीवनदायिनी रही सुसआ नदी आज प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है. पहले यह नदी हुआ करती थी, लेकिन आज यह गंदे नाले में तब्दील हो गई है. इतना ही नहीं देहरादून की सारी गंदगी और सीवर के नाले नदी में डाले जा रहे हैं. जिसकी वजह से नदी अपना अस्तित्व खो रही है. गंदगी भरे पानी से किसानों की फसलें भी बर्बाद हो रही है. प्रदूषण का मामला अब मानवाधिकार आयोग के पास पहुंच गया है. जिसे गंभीरता से लेते हुए मानवधिकार आयोग के सदस्य आरएस मीणा ने देहरादून डीएम को नोटिस जारी किया है. मामले में 4 हफ्ते के भीतर आख्या मांगी गई है.
उत्तराखंड क्रांति दल के मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने बताया कि देहरादून से आने वाली सुसआ नदी का पानी सीवर में तब्दील हो चुका है. देहरादून की सारी गंदगी और सीवर के नाले मोथरोवाला के पास नदी में डाले जा रहे हैं. अस्पतालों के वेस्टेज भी सुसआ नदी में ही बहाया जा रहा है. यही पानी कई गांव के किसानों के लिए फसलों और पशुओं के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. जिससे किसानों की फसलें तो बर्बाद हो रही हैं, वहीं इस जहरीले पानी से किसानों की त्वचा पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
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बता दें कि क्षेत्र के किसान लंबे समय से सुसआ नदी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री से लेकर संबंधित अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी इस दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है. वहीं, सुसआ नदी के गंदगी भरे पानी को लेकर यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने मानवाधिकार आयोग में अपील दायर की थी. जिस पर मानव अधिकार आयोग की ओर से देहरादून जिलाधिकारी आर राजेश कुमार को 4 हफ्ते के भीतरी पूरी आख्या देने के लिए कहा गया है. इसकी सुनवाई 22 मार्च को होगी.
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