देहरादून: माता दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां महागौरी ने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने महागौरी को दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौर हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.
महागौरी का स्वरूप
मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है.
पापों से मुक्ति दिलाती हैं महागौरी
अष्टमी में मां महागौरी की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि महागौरी माता की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन में विचारों की शुद्धता आती है. महागौरी हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती हैं.
मां गौरी की पूजा विधि
पीले वस्त्र धारण करके महागौरी की पूजा आरम्भ करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें. उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करें. मां गौरी के लिए मंत्र- मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए ‘ऊँ भगवते महागौर्यै नमः’ इसी मंत्र का जाप करना चाहिए.