देहरादून: उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य ने कांग्रेस में 'घर वापसी' कर ली है. यशपाल के साथ उनके बेटे संजीव आर्य भी दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. जिसके बाद से ही उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है. हर कोई यशपाल आर्य के नफा-नुकसान के समीकरण के गुणा-भाग में लगा है. कुमाऊं के बड़े नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले आर्य का यहां की 10-12 सीटों पर सीधा प्रभाव है ऐसा कहा जाता है. यही कारण है कि इसे भाजपा के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है.
माना तो ये भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी कुछ विधायक कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. हालांकि, फिलहाल इनके नामों की घोषणा नहीं की गई है. चुनाव से ठीक पहले हरीश रावत, बीजेपी में सेंध लगाए बैठे हैं, ताकि घर वापसी के साथ-साथ अन्य नेताओं को भी कांग्रेस में शामिल किया जा सके. अगर, कांग्रेस की गणित सही बैठती है तो निश्चित तौर पर भाजपा की मुश्किलें बढ़नी तय हैं.
दो महीने पहले शुरू हुआ खेल: पिछले दो महीने के भीतर भाजपा ने तीन विधायकों को पार्टी में शामिल करवाया. इसकी शुरुआत धनौल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार से हुई. जिन्होंने साढ़े चार साल बाद अचानक भाजपा का दामन थामा. इसके बाद पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार ने भी भाजपा में घर वापसी की. इसके बाद भीमताल सीट से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा को भी भाजपा ने पार्टी में शामिल करवा लिया. तीन विधायकों को भाजपा में शामिल कराकर भाजपा, कांग्रेस को झटके पे झटके दे रही थी. जिसके बाद कांग्रेस ने भी अपनी चाल चलते हुए हैवीवेट नेता यशपाल आर्य की घर वापसी करवाई. इतना ही नहीं यशपाल आर्य के साथ उनके बेटे ने भी कांग्रेस का दामन थामा.
बनेंगे, बिगड़ेंगे समीकरण: उत्तराखंड की सियासत में यशपाल आर्य का बड़ा सियासी कद है. यशपाल आर्य की घर वापसी से कांग्रेस ने सूबे में क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है. आर्य दलित चेहरा हैं. ऐसा करके कांग्रेस ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि राज्य से बाहर भी संदेश देने की कोशिश की. वहीं, उनकी एंट्री को ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले के चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. यशपाल आर्य का जिले की सियासत में तगड़ा रसूख है. जिले की आधा दर्जन सीटों पर उनका प्रभाव माना जाता है. बीजेपी छोड़कर जाने से पुष्कर धामी को भी बड़ा झटका लग सकता है.
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यशपाल आर्य का कई विधानसभा क्षेत्रों पर प्रभाव: वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा बताते हैं कि यशपाल आर्य का कांग्रेस में बतौर एक अध्यक्ष, उपलब्धि भरा कार्यकाल रहा. ऐसे में अब जब यशपाल आर्य कांग्रेस में दोबारा शामिल हो गए हैं, यह कह सकते हैं कि कांग्रेस को एक मजबूत दलित नेता मिल गया है जोकि कांग्रेस के लिए खुशी की बात है. यशपाल आर्य की घर वापसी भाजपा के लिए चिंता का विषय है. यशपाल आर्य प्रदेश भर में जाना-पहचाना चेहरा हैं. यशपाल आर्य का कुमाऊं की कई विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव है. इसके साथ ही वे प्रदेश में होने वाली दलित पॉलिटक्स का भी बड़ा चेहरा हो सकते हैं. बता दें प्रदेश में 17 फीसदी दलित वोटर हैं. कांग्रेस यशपाल के जरिये इन्हें आसानी से साध सकती है.
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कांग्रेस को उम्मीद, यशपाल के आने से होगा फायदा: इसके साथ ही सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस विधानसभा सीट से विधायक हैं उस सीट पर भी उत्तर प्रदेश के जमाने में यशपाल आर्य विधायक रह चुके हैं. ऐसे में साल 2017 के चुनावों में यशपाल आर्य का फायदा भाजपा को मिला था. अब कांग्रेस को भी उम्मीद है कि साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान यशपाल आर्य का उनको फायदा मिलेगा.
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खेल भाजपा ने शुरू किया, इसे पूरा कांग्रेस करेगी: प्रदेश में चल रही पॉलिटिक्स के बारे में बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भाजपा पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा दल-बदल का खेल राज्य में भाजपा ने शुरू किया था, इसे पूरा कांग्रेस करेगी. उन्होंने कहा कांग्रेस किसी अन्य को छेड़ने में विश्वास नहीं रखती है बल्कि कांग्रेस स्वच्छ प्रतिद्वंदिता, जो राजनीति में होनी चाहिए, उसी पर विश्वास करती है. ऐसे में अगर कोई कांग्रेस को कमजोर समझता है तो ये उसकी बड़ी गलती है.
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कांग्रेस नहीं चाहती कि भाजपा में मचे भगदड़: गणेश गोदियाल ने कहा आने वाले समय में भाजपा के भीतर भगदड़ मचने वाली है. उन्होंने कहा कांग्रेस यह नहीं चाहती कि भाजपा के भीतर भगदड़ मचे. वे चाहते हैं कि नैतिकता के आधार पर भाजपा अपना चुनाव लड़े. साथ ही लोकतंत्र की परंपराओं की इज्जत करते हुए सभी को जनता के निर्णय का सम्मान करना चाहिए. अगर भाजपा किसी तरह के शिगूफे में विश्वास रखती है तो कांग्रेस के पास भी बड़े-बड़े पटाखे मौजूद हैं. उन्होंने कहा भाजपा पर निर्भर करता है कि वह इस खेल को किस तरह से खेलना चाहते हैं. उसी के अनुसार कांग्रेस भी जवाब देगी.
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पारिवारिक कारणों से भाजपा में शामिल हुए थे यशपाल: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा साल 2016 में यशपाल आर्य अपने व्यक्तिगत मामले को लेकर भाजपा में शामिल हुए थे. वह अपने बेटे संजीव आर्य के लिए भी टिकट मांग रहे थे. ऐसे में वह अपने पारिवारिक कारण की वजह से भाजपा में शामिल हुए थे. यही नहीं, यशपाल आर्य ने कांग्रेस के खिलाफ कभी कोई बात नहीं कही. जिसके चलते यशपाल आर्य का पार्टी में स्वागत किया गया. हरीश रावत ने कहा सबका तब तक पार्टी में स्वागत नहीं होगा, जब तक सामूहिक रूप से गलती को स्वीकार कर माफी नहीं मांगते. उन्होंने कहा कांग्रेस में यशपाल आर्य की घर वापसी भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है. वहीं, कांग्रेस के लिए काफी अच्छा है. यशपाल आर्य ने जिन परिस्थितियों में कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थामा था उन परिस्थितियों की तुलना बाकी बागी नेताओं से नहीं की जा सकती है.
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कांग्रेस की किसी भी चाल का भाजपा पर नहीं पड़ेगा असर: वहीं, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन का इस सारे मामले पर कहना है कि यशपाल आर्य की कांग्रेस में घर वापसी से भाजपा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा यशपाल आर्य ने खुद इस बात का जिक्र किया कि वे अपने आप को भाजपा की विचारधारा से जोड़ नहीं सके, जिसके कारण वे कांग्रेस में शामिल हुए. ऐसे में अब प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि किन कारणों और लाभ की वजह से यशपाल आर्य ने घर वापसी की है. साथ ही भसीन ने कहा कि कांग्रेस कुछ भी कर ले, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा ही जीतकर सत्ता पर काबिज होगी.