देहरादून: उत्तराखंड सरकार द्वारा हर रोज बड़ी तादाद में मैदानी जिलों के साथ-साथ पहाड़ों पर प्रवासी लोगों को भेजा जा रहा है. ऐसे में लोगों को राहत तो मिल रही है लेकिन प्रदेश में बाहरी राज्यों से आने वाले लोग पहाड़ के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं.
दरअसल, दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना महामारी जून में और भी बढ़ सकती है. ऐसे में बाहरी राज्यों से घर वापसी कर रहे लोगों का इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ रहा है.
उत्तराखंड सरकार हर दिन हजारों की संख्या में प्रवासियों की घर वापसी करा रही है. 4 मई से शुरू हुए लॉकडाउन के तीसरे चरण में अबतक हर रोज हजारों लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से उत्तराखंड पहुंच चुके हैं. वहीं, प्रदेश मुख्यालय से होते हुए यह लोग पहाड़ों की ओर लगातार रुख कर रहे हैं. बीते 8 दिनों के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो अबतक 18,156 लोग उत्तराखंड वापस आ चुके हैं. वहीं उत्तराखंड वापसी के लिए 1 लाख 75 हजार 880 लोगों ने अपना पंजीकरण करवाया है.
उत्तराखंड में 8 दिनों के भीतर अलग अलग राज्यों से लौटने वाले प्रवासियों की संख्या:-
राज्य | प्रवासियों की संख्या |
हरियाणा | 7,890 |
चंडीगढ़ | 4,701 |
उत्तर प्रदेश | 2,347 |
राजस्थान | 2,269 |
दिल्ली | 257 |
पंजाब | 227 |
गुजरात | 197 |
अन्य राज्यों से | 278 |
ऐसा नहीं है कि सिर्फ बाहरी राज्यों से ही उत्तराखंड आने के लिए प्रवासियों ने पंजीकरण करवाया है, बल्कि उत्तराखंड में रह रहे दूसरे राज्यों के लोग भी अपने राज्यों में लौटने के लिए पंजीकरण करवा रहे हैं. प्रदेश में अबतक करीब 20 हजार लोगों ने अपने राज्य जाने के लिए पंजीकरण करवाया है. इनमें से 4,780 लोगों को उनके गृह राज्य भेजा भी जा चुका है.
प्रवासियों को लाने और ले जाने की प्रक्रिया का जब हमने रियलिटी चेक किया तो मौके पर घर जाने वालों की भारी भीड़ देखने को मिली. वहीं, इस दौरान हमने देहरादून में फंसे चमोली जिले के एक परिवार से बातचीत की. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के चलते पूरा परिवार देहरादून में फंसा था और चमोली जिले के नारायणबगड़ में उनके परिवार की एक वृद्ध महिला अकेली रह रही है, जिसकी चिंता उनके परिवार को सता रही है. अब सरकार के प्रयासों से वो लोग घर जा पा रहे हैं.
इसके अलावा परिवहन निगम की बसों में भेजे जा रहे इन लोगों के सिक्योरिटी चेक को लेकर हमने एसपी ट्रैफिक प्रकाश चंद्र से बातचीत की. उन्होंने बताया कि सभी सुरक्षा मानकों और प्रोटोकॉल के तहत लोगों को परिवहन निगम की बसों से भेजा जा रहा है.
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हालांकि, इस दौरान हमने पाया कि जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना चाहिए, उस तरह से बसों में बैठने वाली सवारियों की तादाद काफी ज्यादा थी. वहीं, प्रदेश के बाहर से आने वाले लोगों की भी केवल थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही थी, लेकिन रेंडम सैंपलिंग जैसी कोई प्रक्रिया यहां पर नजर नहीं आई.
गौर हो कि उत्तराखंड देश के उन राज्यों में शुमार है जहां कोरोना अपना ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाया है. राहत की बात ये है कि उत्तराखंड के सभी पहाड़ी जिले कोरोना मुक्त हैं. 13 में से 10 जिले ग्रीन जोन, 2 ऑरेंज और केवल एक ही रेड जोन में शामिल है. लेकिन जिस तरह कोरोना प्रभावित राज्यों से लोगों को बिना उचित जांच और टेस्ट कराए उत्तराखंड में लाया जा रहा है वो खतरे की घंटी जरूर है.
सरकार को ये जरूर ध्यान देना होगा कि पहाड़ों को कोरोना मुक्त रखना ही होगा और इसके लिये और कड़े कदम उठाए जाने होंगे.