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मसूरी के इस भूतिया होटल में हो रहा हिमालयन कॉन्क्लेव, ब्रिटिश महिला की आत्मा होने का दावा

उत्तराखंड के मसूरी में रविवार यानि आज से हिमालयन कॉन्क्लेव शुरू हो रहा है. सम्मेलन में उत्तराखंड में पहली बार सभी हिमालयी राज्य के मुखिया एक साथ एक ही मंच पर नजर आएंगे.

मसूरी सवॉय होटल.
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Published : Jul 28, 2019, 9:00 AM IST

Updated : Jul 28, 2019, 12:40 PM IST

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी का जिक्र आते ही जहन में सुंदर वादियां, झरने और बर्फ का ख्याल दिल में उमड़ने लगता है. मसूरी की नैसर्गिक सुंदरता अनायास ही लोगों को अपनी ओर खींचती है. यही कारण है कि मसूरी देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक फेमस हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है. जहां छोटे से लेकर बड़े-बड़े होटल और रिसॉर्ट मौजूद हैं. जो कि अपनी-अपनी खूबियों और खासियत के लिए अलग पहचान रखते हैं. इन्हीं में से एक है होटल सवॉय, जो कि अपने इतिहास के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है.

मसूरी होटल सवॉय.
गौर हो कि उत्तराखंड के मसूरी में रविवार यानि आज से हिमालयन कॉन्क्लेव शुरू हो रहा है. सम्मेलन में उत्तराखंड में पहली बार सभी हिमालयी राज्य के मुखिया एक साथ एक ही मंच पर नजर आएंगे. इस कॉन्क्लेव में नॉर्थ ईस्ट और उत्तर भारत सहित 11 राज्यों के मुखिया को बुलाया गया है, जो हिमालयी राज्यों से जुडे़ विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करेंगे.

सवॉय दरअसल 19वीं शताब्दी का एक स्कूल था. जिसका नाम बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया गया था. जिसके बाद 1902 में जर्जर हो चुकी स्कूल की इमारत को लंदन के मशहूर होटल सवॉय की तर्ज पर बनाया गया. इस होटल में 121 कमरे, बॉल रुम, आलीशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट मौजूद था. एक दौर था जब इस होटल की शामें गुलजार हुआ करती थी. इस दौरान अंग्रेज बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद लेते थे. इतिहास की मानें तो दूसरे विश्व युद्ध के वक्त सवॉय अमेरिका और ब्रिटिश फौजियों का ठिकाना था.

पढ़ें-11 लाख की लागत से बना व्यायामशाला 14 साल बाद भी नहीं हुआ हैंडओवर, गिर रहे प्लास्टर

लेकिन बदलते समय के साथ-साथ इस होटल की लोकप्रियता भी कम होती गई. रही सही कसर इस होटल में हुई एक ब्रिटिश महिला की हत्या ने पूरी कर दी. जिसके बाद से सवॉय एक हॉन्टेड होटेल के रूप में जाना जाने लगा. लेकिन कहते हैं न कि वर्षों आबाद रहने वाली इमारत को विरानी की आदत एकदम से नहीं होती. लिहाजा आज भी सवॉय में पर्यटकों की हलचल देखी जा सकती है. तथाकथित तौर पर हॉन्टेड होने के बावजूद भी सवॉय की कशिश होटल प्रेमियों को अपनी और खींचती है. जिसके कारण आज भी ये होटल मसूरी में एक अलग पहचान रखता है.

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी का जिक्र आते ही जहन में सुंदर वादियां, झरने और बर्फ का ख्याल दिल में उमड़ने लगता है. मसूरी की नैसर्गिक सुंदरता अनायास ही लोगों को अपनी ओर खींचती है. यही कारण है कि मसूरी देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक फेमस हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है. जहां छोटे से लेकर बड़े-बड़े होटल और रिसॉर्ट मौजूद हैं. जो कि अपनी-अपनी खूबियों और खासियत के लिए अलग पहचान रखते हैं. इन्हीं में से एक है होटल सवॉय, जो कि अपने इतिहास के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है.

मसूरी होटल सवॉय.
गौर हो कि उत्तराखंड के मसूरी में रविवार यानि आज से हिमालयन कॉन्क्लेव शुरू हो रहा है. सम्मेलन में उत्तराखंड में पहली बार सभी हिमालयी राज्य के मुखिया एक साथ एक ही मंच पर नजर आएंगे. इस कॉन्क्लेव में नॉर्थ ईस्ट और उत्तर भारत सहित 11 राज्यों के मुखिया को बुलाया गया है, जो हिमालयी राज्यों से जुडे़ विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करेंगे.

सवॉय दरअसल 19वीं शताब्दी का एक स्कूल था. जिसका नाम बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया गया था. जिसके बाद 1902 में जर्जर हो चुकी स्कूल की इमारत को लंदन के मशहूर होटल सवॉय की तर्ज पर बनाया गया. इस होटल में 121 कमरे, बॉल रुम, आलीशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट मौजूद था. एक दौर था जब इस होटल की शामें गुलजार हुआ करती थी. इस दौरान अंग्रेज बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद लेते थे. इतिहास की मानें तो दूसरे विश्व युद्ध के वक्त सवॉय अमेरिका और ब्रिटिश फौजियों का ठिकाना था.

पढ़ें-11 लाख की लागत से बना व्यायामशाला 14 साल बाद भी नहीं हुआ हैंडओवर, गिर रहे प्लास्टर

लेकिन बदलते समय के साथ-साथ इस होटल की लोकप्रियता भी कम होती गई. रही सही कसर इस होटल में हुई एक ब्रिटिश महिला की हत्या ने पूरी कर दी. जिसके बाद से सवॉय एक हॉन्टेड होटेल के रूप में जाना जाने लगा. लेकिन कहते हैं न कि वर्षों आबाद रहने वाली इमारत को विरानी की आदत एकदम से नहीं होती. लिहाजा आज भी सवॉय में पर्यटकों की हलचल देखी जा सकती है. तथाकथित तौर पर हॉन्टेड होने के बावजूद भी सवॉय की कशिश होटल प्रेमियों को अपनी और खींचती है. जिसके कारण आज भी ये होटल मसूरी में एक अलग पहचान रखता है.

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मसूरी के भूतिया होटल में हो रहा हिमालयी राज्यों का सम्मेलन,

himalayan state conclave to happen in this ghost village

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी का जिक्र आते ही जहन में सुंदर वादियां, झरने और बर्फ का ख्याल दिल में उमड़ने लगता है. मसूरी की नैसर्गिक सुंदरता अनायास ही लोगों को अपनी ओर खींचती है. यही कारण है कि मसूरी देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक फेमस हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है. जहां छोटे से लेकर बड़े-बड़े होटल और रिसॉर्ट मौजूद हैं. जो कि अपनी-अपनी  खूबियों और खासियत के लिए अलग पहचान रखते हैं. इन्हीं में से एक है होटल सवॉय, जो कि अपने इतिहास के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है.

गौर हो कि उत्तराखंड के मसूरी में रविवार यानी आज से से हिमालयन कॉन्क्लेव शुरू हो रहा है. सम्मेलन में उत्तराखंड में पहली बार सभी हिमालयी राज्य के मुखिया एक साथ एक ही मंच पर नजर आएंगे. इस कॉन्क्लेव में नॉर्थ ईस्ट और उत्तर भारत सहित 11 राज्यों के मुखिया को बुलाया गया है, जो हिमालयी राज्यों से जुडे़ विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करेंगे.

सवॉय दरअसल 19वीं शताब्दी का एक स्कूल था. जिसका नाम बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया गया था. जिसके बाद 1902 में जर्जर हो चुकी स्कूल की इमारत को लंदन के मशहूर होटल सवॉय की तर्ज पर बनाया गया. इस होटल में 121 कमरे, बॉल रुम, आलीशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट मौजूद था.  

एक दौर था जब इस होटल की शामें गुलजार हुआ करती थी. इस दौरान अंग्रेज बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद लेते थे. इतिहास की मानें तो दूसरे विश्व युद्ध के वक्त सेवॉय अमेरिका और ब्रिटिश फौजियों का ठिकाना था.लेकिन बदलते समय के साथ-साथ इस होटल की लोकप्रियता भी कम होती गई. रही सही कसर इस होटल में हुई एक ब्रिटिश महिला की हत्या ने पूरी कर दी. जिसके बाद से सवॉय एक हॉन्टेड होटेल के रूप में जाना जाने लगा.

लेकिन कहते हैं न कि वर्षों आबाद रहने वाली इमारत को विरानी की आदत एकदम से नहीं होती. लिहाजा आज भी सवॉय में पर्यटकों की हलचल देखी जा सकती है. तथाकथित तौर पर हॉन्टेड होने के  बावजूद भी सवॉय की कशिश होटल प्रेमियों को अपनी और खींचती है. जिसके कारण आज भी ये होटल मसूरी में एक अलग पहचान रखता है.  

 


Conclusion:
Last Updated : Jul 28, 2019, 12:40 PM IST
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