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उत्तराखंड: 9 दिसंबर को मनाया जाएगा 'हिमालय दिवस', पर्यावरणविद् करेंगे मंथन

उत्तराखंड सरकार 9 सितंबर को हिमालय दिवस के रूप में मनाती है. राज्य सरकार ने 'हिमालय दिवस' मनाने की शुरुआत 2010 में की थी.

Uttarakhand Himalaya Day
प्रसिद्ध पर्यावरणविद अनिल जोशी
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Published : Sep 5, 2021, 7:34 AM IST

Updated : Sep 5, 2021, 8:10 AM IST

देहरादून: हर साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस देशभर में मनाया जाएगा. हिमालय के करीब 2,500 किलोमीटर लंबे और करीब 300 किलोमीटर चौड़े इलाके के संरक्षण और संवर्धन के लिए हिमालय दिवस मनाया जाता है. इस दिन पर्यावरणविद् हिमालय को श्रद्धांजलि देने के साथ उन तमाम मुद्दों जो हिमालयी राज्यों में आज तक नकारे हुए हैं, उनके प्रति देश दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हैं.

9 दिसंबर को मनाया जाएगा 'हिमालय दिवस'.

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् अनिल जोशी का कहना है कि इस बार का हिमालय दिवस 'हिमालय ज्ञान और विज्ञान' पर केंद्रित होगा. उन्होंने कहा हमें यह भी सिखाना पड़ेगा कि हमारे देश में ज्ञान विज्ञान का केंद्र स्रोत रहा है. उन्होंने कहा कि हिमालय अध्यात्म, आस्था संस्कृति, संस्कार से देश दुनिया को जोड़ता है. इतना ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध बड़ी नदियां जैसे गंगा, यमुना ब्रह्मपुत्र हिमालय की ही देन है. जो करीब 1.9 बिलियन लोगों को पाल रही है. इसके अलावा हवा मिट्टी भी हिमालय की देन है, जो देश को कई तरह के लाभ देती है. उनमें से हरित क्रांति और श्वेत क्रांति मुख्य है.

उन्होंने कहा कि इस बार का हिमालय दिवस देश में करीब 200 से ज्यादा स्थानों पर मनाया जाएगा और यह पहल हमारी ओर से भी की जा रही है. इस पहल में हर वर्षों की तरह देश के विभिन्न पहाड़ी राज्यों में संदर्भित मुद्दों पर बातचीत कर हिमालय के लिए जहां एक तरफ संरक्षण के मुद्दे खड़े करेगा, तो वहीं दूसरी तरफ इसके ज्ञान और विज्ञान को एक बड़ी बहस बनाएगा.

पढ़ें: सरोवर नगरी नैनीताल पर मंडरा रहा खतरा, भूस्खलन से संकट में अस्तित्व

इस बार उत्तराखंड के विभिन्न केंद्रीय संस्थानों जिसमें वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, वाडिया इंस्टीट्यूट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट आयुर्वेद विश्वविद्यालय हिमालयी विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों से हिमालय दिवस को मनाने का अनुरोध किया गया है. इसके अलावा हम यानी हिमालयी यूनाइटेड मिशन की ओर से एक वर्चुअल वेबीनार का भी आयोजन किया गया है. जिसमें हजारों की संख्या में लोगों को जोड़ने का प्रयत्न किया गया है. इसमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे.

क्यों मनाया जाता है हिमालय दिवस: उत्तराखंड सरकार प्रतिवर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस के रूप में मनाती है. हिमालय के करीब 2,500 किलोमीटर लंबे और करीब 300 किलोमीटर चौड़े इलाके के संरक्षण और संवर्धन के लिए हिमालय दिवस मनाया जाता है. हिमालय दिवस की शुरुआत 2010 में हुई. बड़े पर्यावरण विदों और जल-जंगल-जमीन के लिए काम करने वाले लोगों ने इसकी शुरुआत की. इन लोगों में सुंदर लाल बहुगुणा, अनिल जोशी और राधा बहन समेत कई लोग शामिल थे. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी शुरुआत 9 सितंबर 2014 को उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने की थी.

हिमालयी क्षेत्रों का ध्यान में रखकर होना चाहिए विकास: हिमालयी क्षेत्रों में भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ आना आम बात है और इसे कभी भी रोका नहीं जा सकता है, लेकिन पहले से ही स्टडी कर इस बात को बताया जा सकता है कि कौन-कौन से क्षेत्र भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ के लिए संवेदनशील हैं. लिहाजा, इन बातों को ध्यान में रखकर अगर विकास किया जाता है तो वह विकास प्रकृति को ध्यान में रखकर किया गया विकास होगा, जिससे नुकसान भी नहीं होगा. यही नहीं, हिमालय क्षेत्र में तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें हम अलग-अलग तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें मुख्य रूप से पर्यटन भी शामिल है.

पढ़ें: रामनगर में पर्यटकों की कार नाले में बही, ऐसे बची जान

क्लाइमेट चेंज का ग्लेशियरों पर पड़ रहा है फर्क: मौजूदा समय में जिस तरह से क्लाइमेट चेंज हो रहा है उसका सीधा असर ग्लेशियरों पर पड़ रहा है. उत्तराखंड और हिमाचल दोनों ही जगह के ग्लेशियर पिघल रहे हैं. इनका आकार दिन प्रतिदिन छोटा होता जा रहा है. ऐसे में जब हिमालय के संरक्षण की बात करते हैं तो मुख्य रूप से इन बिंदुओं पर भी फोकस करने की जरूरत हैं. क्लाइमेट चेंज होने की मुख्य वजह मानवीय लापरवाही ही है, क्योंकि अपनी सुविधाओं और विकास के लिए यह भूल जाते हैं कि जितना कार्बन प्रोड्यूस कर रहे हैं उसका सीधा असर क्लाइमेट पर पड़ रहा है.

पानी को संरक्षित करने की है जरूरत: हिमालय के रिसोर्सेज में शामिल पानी जीव-जंतुओं के लिए बहुत जरूरी है. मैदानी क्षेत्रों में करोड़ों लोग हिमालय से निकलने वाले पानी का ही इस्तेमाल करते हैं. हिमालय से निकलने वाला पानी सिंचाई और हाइड्रोपावर के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. ऐसे में हिमालय के पानी को भी संरक्षित करने की जरूरत है. इसे संरक्षित करने के लिए ग्लेशियर नेचुरल स्प्रिंग्स आदि पर ध्यान देने की जरूरत है.

देहरादून: हर साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस देशभर में मनाया जाएगा. हिमालय के करीब 2,500 किलोमीटर लंबे और करीब 300 किलोमीटर चौड़े इलाके के संरक्षण और संवर्धन के लिए हिमालय दिवस मनाया जाता है. इस दिन पर्यावरणविद् हिमालय को श्रद्धांजलि देने के साथ उन तमाम मुद्दों जो हिमालयी राज्यों में आज तक नकारे हुए हैं, उनके प्रति देश दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हैं.

9 दिसंबर को मनाया जाएगा 'हिमालय दिवस'.

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् अनिल जोशी का कहना है कि इस बार का हिमालय दिवस 'हिमालय ज्ञान और विज्ञान' पर केंद्रित होगा. उन्होंने कहा हमें यह भी सिखाना पड़ेगा कि हमारे देश में ज्ञान विज्ञान का केंद्र स्रोत रहा है. उन्होंने कहा कि हिमालय अध्यात्म, आस्था संस्कृति, संस्कार से देश दुनिया को जोड़ता है. इतना ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध बड़ी नदियां जैसे गंगा, यमुना ब्रह्मपुत्र हिमालय की ही देन है. जो करीब 1.9 बिलियन लोगों को पाल रही है. इसके अलावा हवा मिट्टी भी हिमालय की देन है, जो देश को कई तरह के लाभ देती है. उनमें से हरित क्रांति और श्वेत क्रांति मुख्य है.

उन्होंने कहा कि इस बार का हिमालय दिवस देश में करीब 200 से ज्यादा स्थानों पर मनाया जाएगा और यह पहल हमारी ओर से भी की जा रही है. इस पहल में हर वर्षों की तरह देश के विभिन्न पहाड़ी राज्यों में संदर्भित मुद्दों पर बातचीत कर हिमालय के लिए जहां एक तरफ संरक्षण के मुद्दे खड़े करेगा, तो वहीं दूसरी तरफ इसके ज्ञान और विज्ञान को एक बड़ी बहस बनाएगा.

पढ़ें: सरोवर नगरी नैनीताल पर मंडरा रहा खतरा, भूस्खलन से संकट में अस्तित्व

इस बार उत्तराखंड के विभिन्न केंद्रीय संस्थानों जिसमें वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, वाडिया इंस्टीट्यूट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट आयुर्वेद विश्वविद्यालय हिमालयी विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों से हिमालय दिवस को मनाने का अनुरोध किया गया है. इसके अलावा हम यानी हिमालयी यूनाइटेड मिशन की ओर से एक वर्चुअल वेबीनार का भी आयोजन किया गया है. जिसमें हजारों की संख्या में लोगों को जोड़ने का प्रयत्न किया गया है. इसमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे.

क्यों मनाया जाता है हिमालय दिवस: उत्तराखंड सरकार प्रतिवर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस के रूप में मनाती है. हिमालय के करीब 2,500 किलोमीटर लंबे और करीब 300 किलोमीटर चौड़े इलाके के संरक्षण और संवर्धन के लिए हिमालय दिवस मनाया जाता है. हिमालय दिवस की शुरुआत 2010 में हुई. बड़े पर्यावरण विदों और जल-जंगल-जमीन के लिए काम करने वाले लोगों ने इसकी शुरुआत की. इन लोगों में सुंदर लाल बहुगुणा, अनिल जोशी और राधा बहन समेत कई लोग शामिल थे. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी शुरुआत 9 सितंबर 2014 को उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने की थी.

हिमालयी क्षेत्रों का ध्यान में रखकर होना चाहिए विकास: हिमालयी क्षेत्रों में भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ आना आम बात है और इसे कभी भी रोका नहीं जा सकता है, लेकिन पहले से ही स्टडी कर इस बात को बताया जा सकता है कि कौन-कौन से क्षेत्र भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ के लिए संवेदनशील हैं. लिहाजा, इन बातों को ध्यान में रखकर अगर विकास किया जाता है तो वह विकास प्रकृति को ध्यान में रखकर किया गया विकास होगा, जिससे नुकसान भी नहीं होगा. यही नहीं, हिमालय क्षेत्र में तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें हम अलग-अलग तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें मुख्य रूप से पर्यटन भी शामिल है.

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क्लाइमेट चेंज का ग्लेशियरों पर पड़ रहा है फर्क: मौजूदा समय में जिस तरह से क्लाइमेट चेंज हो रहा है उसका सीधा असर ग्लेशियरों पर पड़ रहा है. उत्तराखंड और हिमाचल दोनों ही जगह के ग्लेशियर पिघल रहे हैं. इनका आकार दिन प्रतिदिन छोटा होता जा रहा है. ऐसे में जब हिमालय के संरक्षण की बात करते हैं तो मुख्य रूप से इन बिंदुओं पर भी फोकस करने की जरूरत हैं. क्लाइमेट चेंज होने की मुख्य वजह मानवीय लापरवाही ही है, क्योंकि अपनी सुविधाओं और विकास के लिए यह भूल जाते हैं कि जितना कार्बन प्रोड्यूस कर रहे हैं उसका सीधा असर क्लाइमेट पर पड़ रहा है.

पानी को संरक्षित करने की है जरूरत: हिमालय के रिसोर्सेज में शामिल पानी जीव-जंतुओं के लिए बहुत जरूरी है. मैदानी क्षेत्रों में करोड़ों लोग हिमालय से निकलने वाले पानी का ही इस्तेमाल करते हैं. हिमालय से निकलने वाला पानी सिंचाई और हाइड्रोपावर के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. ऐसे में हिमालय के पानी को भी संरक्षित करने की जरूरत है. इसे संरक्षित करने के लिए ग्लेशियर नेचुरल स्प्रिंग्स आदि पर ध्यान देने की जरूरत है.

Last Updated : Sep 5, 2021, 8:10 AM IST
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