देहरादून: उत्तराखंड में पहाड़ी जिले भले ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हो, लेकिन शिक्षा के लिहाज से पहाड़ी जिलों के छात्रों की परफॉर्मेंस मैदानों की तुलना में अव्वल ही रही है. पिछले दिनों बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों ने इस बात को पुख्ता भी कर दिया है. इससे मैदानी जिलों के शिक्षकों पर भी उंगली उठने लगी है.
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में शिक्षकों की तैनाती को लेकर हमेशा महकमा मशक्कत करता हुआ दिखाई देता है. पहाड़ी जिलों में शिक्षकों की भारी कमी भी किसी से छुपी नहीं है. यहीं नहीं पहाड़ी जिलों से मैदानों में जाने के लिए शिक्षकों की होड़ के बारे में भी सभी जानते हैं. लेकिन इस सब के बावजूद भी बोर्ड की परीक्षा परिणाम में जो कुछ सामने आया. वह खासा चौंकाने वाला था.
दरअसल, इस साल बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में पहाड़ी जनपदों के ही छात्रों ने बाजी मारी है. जबकि, कुल प्रतिशत भी पहाड़ी जनपदों के ही हक में दिखाई देता है. राज्य में हाईस्कूल की बात करें तो यहां चंपावत जैसे पहाड़ी जिले में पास होने वाले परीक्षार्थियों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है. चंपावत में कुल 84.93% छात्र-छात्राएं पास हुए है. दूसरे नंबर पर बागेश्वर जिला है. जहां कुल 84. 23% छात्र पास हुए. तीसरे स्थान पर पहाड़ी जिला रुद्रप्रयाग, जहां 83.02% छात्रों ने सफलता हासिल की है.
उधर, हाईस्कूल में सबसे अंतिम पायदान पर उधम सिंह नगर जो एक मैदानी जिला है रहा. इस जिले में कुल 72.39% छात्र उत्तीर्ण हुए. मैदानी जिला हरिद्वार भी फिसड्डी साबित हुआ, जहां 73.5% छात्र ही उत्तीर्ण हुए. इंटरमीडिएट में पहाड़ी जिलों का ही दबदबा रहा.
उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा के परिणामों में इंटरमीडिएट में राजधानी देहरादून का जिला सबसे फिसड्डी साबित हुआ. यहां 72.12% छात्र ही उत्तीर्ण हो पाए. उधर इंटरमीडिएट में सबसे ज्यादा पास होने वाले परीक्षार्थी बागेश्वर जिले के रहे जो कि एक पहाड़ी जिला है. बागेश्वर जिले में कुल 90% छात्रों ने परीक्षा उत्तीर्ण की. उत्तीर्ण होने वाले छात्रों में दूसरे नंबर पर भी पहाड़ी जिला रहा है.
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वहीं, रुद्रप्रयाग जिले में कुल 89. 55% छात्रों ने परीक्षा उत्तीर्ण की. राज्य में तीसरे नंबर पर अल्मोड़ा जिला रहा जहां 86.5% छात्र उत्तीर्ण हुए. इन आंकड़ों को देखकर साफ है कि मैदानी जिलों ने उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं दोनों ही परीक्षाओं में टॉप 3वें स्थान पर नहीं आ सके.