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पहाड़ों पर हादसे रोकने के लिए RTO विभाग अलर्ट, DL बनवाने के लिए पास करना होगा ये टेस्ट - आरटीओ विभाग उत्तराखंड

आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी. इस परीक्षा के दौरान चालकों को पहाड़ के ढलान-चढ़ाई के साथ ही घाटियों में खतरनाक मोड़ पर गाड़ी चलाने की परीक्षा देनी होगी. इस प्रक्रिया को लागू किए जाने के बाद ही महज उन्हीं चालकों को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा.

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Published : Oct 18, 2019, 6:16 PM IST

देहरादूनः पहाड़ों पर लगातार हो रहे सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लगाने के लिए आरटीयो विभाग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को जटिल करने जा रहा है. यह प्रक्रिया आरटीओ विभाग कुछ ही दिनों में शुरू करेगा. इसके तहत आवेदक को हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी. वहीं, आरटीओ विभाग का मानना है कि इस प्रक्रिया के बाद हादसों पर काफी हद तक लगाम लग सकेगा.

बता दें कि, वर्तमान में आरटीओ विभाग में आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए इंस्टिट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रेनिंग रिसर्च (आईडीटीआर) में एस फॉरमेशन, समांतर पार्किंग, बैग पार्किंग की परीक्षा देनी पड़ रही है, लेकिन अब पर्वतीय इलाकों में आए दिन होने वाले हादसों को रोकने के लिए हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी.

ये भी पढे़ंः पौड़ीः सुमाड़ी में कल होगा NIT के स्थायी परिसर का शिलान्यास, तैयारियां तेज

इस परीक्षा के दौरान चालकों को पहाड़ के ढलान-चढ़ाई के साथ ही घाटियों में खतरनाक मोड़ पर गाड़ी चलाने की परीक्षा देनी होगी. इस प्रक्रिया को लागू किए जाने के बाद ही महज उन्हीं चालकों को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा.

एआरटीओ अरविंद पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि पर्वतीय इलाकों में अकसर हादसे होते हैं. ऐसे में इन हादसों को रोकने के लिए हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी. जो चालक पर्वतीय इलाकों में गाड़ी चलाने में परफेक्ट होंगे, उनका ही लाइसेंस जारी किया जाएगा.

देहरादूनः पहाड़ों पर लगातार हो रहे सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लगाने के लिए आरटीयो विभाग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को जटिल करने जा रहा है. यह प्रक्रिया आरटीओ विभाग कुछ ही दिनों में शुरू करेगा. इसके तहत आवेदक को हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी. वहीं, आरटीओ विभाग का मानना है कि इस प्रक्रिया के बाद हादसों पर काफी हद तक लगाम लग सकेगा.

बता दें कि, वर्तमान में आरटीओ विभाग में आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए इंस्टिट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रेनिंग रिसर्च (आईडीटीआर) में एस फॉरमेशन, समांतर पार्किंग, बैग पार्किंग की परीक्षा देनी पड़ रही है, लेकिन अब पर्वतीय इलाकों में आए दिन होने वाले हादसों को रोकने के लिए हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी.

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इस परीक्षा के दौरान चालकों को पहाड़ के ढलान-चढ़ाई के साथ ही घाटियों में खतरनाक मोड़ पर गाड़ी चलाने की परीक्षा देनी होगी. इस प्रक्रिया को लागू किए जाने के बाद ही महज उन्हीं चालकों को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा.

एआरटीओ अरविंद पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि पर्वतीय इलाकों में अकसर हादसे होते हैं. ऐसे में इन हादसों को रोकने के लिए हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी. जो चालक पर्वतीय इलाकों में गाड़ी चलाने में परफेक्ट होंगे, उनका ही लाइसेंस जारी किया जाएगा.

Intro:पिछले दिनों में लगातार पर्वत क्षेत्रो में हादसों के मामले सामने आ रहा है ओर इन हादसों के कारण कई लोगो की जान भी चली गई है।लेकिन अब आरटीओ विभाग पर्वत क्षेत्रो में आये दिन होने वाले हादसों पर लगाम लगने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया काफी अधिक जटिल करने जा रहा है।और यह प्रक्रिया आरटीओ विभाग कुछ ही दिनों में प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।वही आरटीओ विभाग का मानना है कि इस तरह की प्रक्रिया करने पर हादसों पर काफी हद तक लगाम लग सकेगा।


Body:वर्तमान में आरटीओ विभाग में आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिये इंस्टिट्यूट ऑफ़ ड्राइविंग एंड ट्रेनिंग रिसर्च यानी आईडीटीआर में एस फॉरमेशन, समांतर पार्किंग बैग पार्किंग की परीक्षा देनी पड़ रही है। लेकिन अब परिवर्ती इलाकों में आए दिन होने वाले हादसों को रोकने के लिए हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी।इस परीक्षा के दौरान चालकों को पहाड़ के ढलान चढ़ाई के साथ ही घाटियों में खतरनाक मोड़ पर गाड़ी चलाने की परीक्षा देनी होगी।इस प्रक्रिया को लागू किए जाने के बाद ही महज उन्हीं चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जा सकेगा।


Conclusion:एआरटीओ अरविंद पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि पर्वतीय इलाकों में आए दिन होने वाले हादसों पर अंकुश लगाने के लिए अब हिल ट्रैक परीक्षा पास करनी होगी।और इस प्रक्रिया को लागू किए जाने के बाद महज़ उन्ही चालको को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जा सकेगा जो वाकई में पर्वतीय इलाकों में गाड़ी चलाने में परफेक्ट हैं।ऐसा होने से पर्वतीय इलाकों में होने वाले हादसों को काफी हद तक रोका जा सकेगा।
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