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ऋषिकेश में छतों पर झूल रहे हाईटेंशन तार, विद्युत विभाग की लापरवाही पड़ सकती है भारी

ऋषिकेश मुनि की रेती के कैलाश गेट क्षेत्र अंतर्गत डेढ़ दर्जन से अधिक घरों की छतों पर बिजली की हाईटेंशन लाइन लटक रही है, जो आए दिन हादसों को दावत दे रही है. वहीं स्थानीय लोगों ने कहा कि विभागीय अधिकारियों को बताने के बाद भी उनकी समस्याओं पर गौर नहीं किया जा रहा है. उन्होंने हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने की मांग की है.

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Published : Sep 3, 2022, 10:08 AM IST

Updated : Sep 3, 2022, 12:36 PM IST

ऋषिकेश: मुनि की रेती (Rishikesh Munikireti) के कैलाश गेट क्षेत्र अंतर्गत डेढ़ दर्जन से अधिक घरों की छतों पर बिजली की हाईटेंशन लाइन लटक रही है. हाईटेंशन लाइन (Rishikesh High Tension Line) की चपेट में आकर एक 11 वर्षीय बालक की मौत भी हो चुकी है. हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए लगातार मांग की जा रही है. यूपीसीएल ने हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए 2.80 लाख रुपए का बजट बनाया है. जिसमें 84 हजार विधायक निधि से भी विभाग को मिल चुके हैं. फिर भी अभी तक विभाग ने हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. ऐसे में विभाग की कार्यशैली पर स्थानीय लोगों ने कई सवाल खड़े किए हैं.

इस संबंध में कैलाश गेट (Kailash Gate area Rishikesh) स्थित एक कार्यालय में स्थानीय लोगों ने मिलकर प्रेस वार्ता की. जिसमें स्थानीय निवासी अनिल रावत ने बताया कि ओंकारानंद स्कूल के पीछे डेढ़ दर्जन से अधिक घरों कि छत पर हाईटेंशन लाइन झूल रही हैं. जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर कुछ महीने पहले दूसरे शहर से आए एक बालक की दर्दनाक मौत भी हो चुकी है. मामले में यूपीसीएल की ओर से अभी तक बालक के परिजनों को कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया है. हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए कई बार विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई जा चुकी है.

ऋषिकेश में छतों पर झूल रहे हाईटेंशन तार.
पढ़ें-नौकरियों में धांधली: अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर ABVP, 'होश में आओ' के लगाए नारे

क्षेत्रीय विधायक और सरकार में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल (cabinet minister Subodh Uniyal) को भी इस समस्या से अवगत कराया गया है. समस्या का संज्ञान लेकर कैबिनेट मंत्री ने विभाग को हाईटेंशन लाइन हटाने के निर्देश दिए. विभाग ने हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने के लिए 2.80 लाख रुपए का बजट बनाया. जिसमें बतौर मदद के रूप में विधायक निधि से सुबोध उनियाल ने 84 हजार रुपए भी दिए. यह रकम विभाग को दो साल पहले मिल चुकी है. फिर भी अभी तक विभाग ने हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. इस संबंध में कई बार विभाग को पत्राचार किया जा चुका है. बीते 25 अगस्त 2022 को भी उपखंड अधिकारी मुनि की रेती को हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने के संबंध में ज्ञापन दिया गया है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के प्रति गंभीर नहीं है. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
पढ़ें-उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भर्तियों पर उठे सवालों पर प्रबंधन ने दी सफाई, कही ये बात

हाईटेंशन लाइन के बगल में कई ऊंची ऊंची बिल्डिंग भी खड़ी हो चुकी हैं. डर के चलते सर्दियों में लोग घरों की छतों पर धूप सेंकने और कपड़े सुखाने के लिए नहीं आते हैं. अनिल रावत ने बताया कि यदि जल्दी ही विभाग ने हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने की दिशा में कार्रवाई नहीं की तो स्थानीय लोगों के साथ मिलकर विभाग के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. इस संबंध में यूपीसीएल टिहरी के अधिशासी अभियंता अर्जुन प्रताप सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने मामला संज्ञान में नहीं होने की बात कही. कहा कि अभी वह एक मीटिंग में व्यस्त हैं. ऑफिस जाकर जानकारी करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इतने सारे पत्राचार और गंभीर मामला होने के बावजूद अधिकारी मामला संज्ञान में नहीं होने की बात कहकर खुद ही अपनी कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

ऋषिकेश: मुनि की रेती (Rishikesh Munikireti) के कैलाश गेट क्षेत्र अंतर्गत डेढ़ दर्जन से अधिक घरों की छतों पर बिजली की हाईटेंशन लाइन लटक रही है. हाईटेंशन लाइन (Rishikesh High Tension Line) की चपेट में आकर एक 11 वर्षीय बालक की मौत भी हो चुकी है. हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए लगातार मांग की जा रही है. यूपीसीएल ने हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए 2.80 लाख रुपए का बजट बनाया है. जिसमें 84 हजार विधायक निधि से भी विभाग को मिल चुके हैं. फिर भी अभी तक विभाग ने हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. ऐसे में विभाग की कार्यशैली पर स्थानीय लोगों ने कई सवाल खड़े किए हैं.

इस संबंध में कैलाश गेट (Kailash Gate area Rishikesh) स्थित एक कार्यालय में स्थानीय लोगों ने मिलकर प्रेस वार्ता की. जिसमें स्थानीय निवासी अनिल रावत ने बताया कि ओंकारानंद स्कूल के पीछे डेढ़ दर्जन से अधिक घरों कि छत पर हाईटेंशन लाइन झूल रही हैं. जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर कुछ महीने पहले दूसरे शहर से आए एक बालक की दर्दनाक मौत भी हो चुकी है. मामले में यूपीसीएल की ओर से अभी तक बालक के परिजनों को कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया है. हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए कई बार विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई जा चुकी है.

ऋषिकेश में छतों पर झूल रहे हाईटेंशन तार.
पढ़ें-नौकरियों में धांधली: अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर ABVP, 'होश में आओ' के लगाए नारे

क्षेत्रीय विधायक और सरकार में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल (cabinet minister Subodh Uniyal) को भी इस समस्या से अवगत कराया गया है. समस्या का संज्ञान लेकर कैबिनेट मंत्री ने विभाग को हाईटेंशन लाइन हटाने के निर्देश दिए. विभाग ने हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने के लिए 2.80 लाख रुपए का बजट बनाया. जिसमें बतौर मदद के रूप में विधायक निधि से सुबोध उनियाल ने 84 हजार रुपए भी दिए. यह रकम विभाग को दो साल पहले मिल चुकी है. फिर भी अभी तक विभाग ने हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. इस संबंध में कई बार विभाग को पत्राचार किया जा चुका है. बीते 25 अगस्त 2022 को भी उपखंड अधिकारी मुनि की रेती को हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने के संबंध में ज्ञापन दिया गया है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के प्रति गंभीर नहीं है. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
पढ़ें-उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भर्तियों पर उठे सवालों पर प्रबंधन ने दी सफाई, कही ये बात

हाईटेंशन लाइन के बगल में कई ऊंची ऊंची बिल्डिंग भी खड़ी हो चुकी हैं. डर के चलते सर्दियों में लोग घरों की छतों पर धूप सेंकने और कपड़े सुखाने के लिए नहीं आते हैं. अनिल रावत ने बताया कि यदि जल्दी ही विभाग ने हाईटेंशन लाइन शिफ्ट करने की दिशा में कार्रवाई नहीं की तो स्थानीय लोगों के साथ मिलकर विभाग के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. इस संबंध में यूपीसीएल टिहरी के अधिशासी अभियंता अर्जुन प्रताप सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने मामला संज्ञान में नहीं होने की बात कही. कहा कि अभी वह एक मीटिंग में व्यस्त हैं. ऑफिस जाकर जानकारी करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इतने सारे पत्राचार और गंभीर मामला होने के बावजूद अधिकारी मामला संज्ञान में नहीं होने की बात कहकर खुद ही अपनी कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 3, 2022, 12:36 PM IST
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