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सड़कों पर मोमबत्ती और माचिस बेचने को मजबूर करन, ईटीवी भारत ने की मदद

दीपावली का पर्व हर किसी के लिए खास होता है. इस पर्व का लोग साल भर बेसब्री से इंतजार करते हैं. लेकिन कई लोग ऐसे भी जो तंगहाली चलते दीपावली को सेलिब्रेट नहीं कर पाते.

देहरादून
मोमबत्ती और माचिस बेचने को मजबूर करन
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Published : Nov 14, 2020, 2:27 PM IST

Updated : Nov 14, 2020, 5:16 PM IST

देहरादून: दीपावली का त्योहार जीवन में खुशियों और समृद्धि का प्रकाश लेकर आता है. पूरे देश में दिवाली बड़ें हर्षोउल्लास के साथ मनायी जाती है. इस दिन लोग एक दूसरे को उपहार, मिठाईयां और शुभकामनाएं देते हैं. वहीं, कुछ लोग और परिवार ऐसे भी हैं, जो गुरबत में जी रहे हैं और उनकी दिवाली फीकी ही रह जाती है. दीपावली में चारों तरफ जगमग प्रकाश होने के बावजूद इन लोगों के घरों में मायूसी और अंधकार रहता है. आज हम आपकों एक ऐसे ही लड़के की कहानी दिखाने जा रहे हैं. जो दिवाली पर मोमबती बेच रहा है, ताकि उसके चोटिल उंगली का इलाज हो सके.

करन की कहानी, उसकी जुबानी

पेट की भूख और गरीबी की लाचारी में ऐसे लोग दीपावली मनाने से वंचित रह जाते हैं. जी हां, हम ऐसे ही मासूम करन उर्फ लक्की की बात कर रहे हैं, जो अपनी उंगली में लगी चोट का इलाज को लेकर इन दिनों देहरादून की सड़कों पर 10 रुपये में मोमबत्ती और माचिस बेचने को मजबूर है. झंडाजी इलाके में सड़क किनारे अपने छोटे भाई और मां के साथ रहने वाला करन बताता है कि अगर मोमबत्ती और माचिस बेचने से कुछ पैसे अलग से बचेंगे तो वह कुछ पटाखे खरीद कर अपने भाई के साथ दिवाली मनाएगा.

ये भी पढ़ें: खुशखबरी: कल से खुल रहा है कॉर्बेट पार्क का ढिकाला जोन, तैयारियां हुईं पूरी

महज 50 रुपए के लिए करन कर रहा मेहनत

करन ने बताया कि कुछ दिन पहले एक साइकिल के पहिए में उसकी उंगली आ जाने से चोट लग गई थी. जिसकी वजह से वह अपनी मां की काम में सही से मदद नहीं कर पा रहा है. ऐसे में वह दीपावली में कुछ पैसे जमा करने के लिए मोमबत्ती और माचिस की डिब्बी बेच रहा है. वहीं, उसने बताया कि उंगली के मरहम पट्टी के लिए हर दूसरे और तीसरे दिन ₹50 की जरूरत होती है. इसी के चलते वह पैसे जमा कर रहा है.

बिना पैसे कैसे मनेगी करन की दिवाली ?

वहीं, जब करन से पूछा गया कि वह दिवाली कैसे मनाएंगा तो उसने कहा हम सड़क किनारे रहते हैं. हम कहां से दिवाली मना सकते हैं. पटाखे खरीदने का मन तो बहुत है, लेकिन पैसे नहीं है. मोमबत्ती और माचिस बेचकर कुछ पैसे अलग से बचेंगे तो छोटे भाई के लिए पटाखे जरूर ले जाऊंगा. कटी उंगली के मरहम पट्टी के लिए भी हर तीसरे दिन 50 रुपयों की जरूरत होती है.

ईटीवी भारत की मदद से करन का चेहरा खिल उठा

सड़क किनारे पटाखों की दुकान के बाहर आते जाते लोगों से मोमबत्ती और माचिस खरीदने की गुहार लगाते करन की स्थिति को देख ईटीवी भारत ने मदद करने का प्रयास किया. ताकि इस दीपावली पर उसका घर भी रोशन हो सके और वह अपने भाई के साथ पटाखे फोड़ सकें. हमारी टीम ने करन को उंगली के मरहम पट्टी के लिए भी पैसे दिए. साथ ही उसके और उसके भाई के लिए पटाखे भी खरीद कर दिए.

बहरहाल, गरीबी और तंगहाल जीवन जीने वाले करन जैसे कितने ही मासूम बच्चे हैं, जो दीपावली के त्योहार में भी अपनी पेट की भूख के लिए सड़कों पर खाक छानते नजर आते हैं. इसलिए हम सभी का फर्ज बनता है कि जरुरतमंदों की मदद करें, ताकि इस दिवाली उनका भी घर रोशन हो सके.

देहरादून: दीपावली का त्योहार जीवन में खुशियों और समृद्धि का प्रकाश लेकर आता है. पूरे देश में दिवाली बड़ें हर्षोउल्लास के साथ मनायी जाती है. इस दिन लोग एक दूसरे को उपहार, मिठाईयां और शुभकामनाएं देते हैं. वहीं, कुछ लोग और परिवार ऐसे भी हैं, जो गुरबत में जी रहे हैं और उनकी दिवाली फीकी ही रह जाती है. दीपावली में चारों तरफ जगमग प्रकाश होने के बावजूद इन लोगों के घरों में मायूसी और अंधकार रहता है. आज हम आपकों एक ऐसे ही लड़के की कहानी दिखाने जा रहे हैं. जो दिवाली पर मोमबती बेच रहा है, ताकि उसके चोटिल उंगली का इलाज हो सके.

करन की कहानी, उसकी जुबानी

पेट की भूख और गरीबी की लाचारी में ऐसे लोग दीपावली मनाने से वंचित रह जाते हैं. जी हां, हम ऐसे ही मासूम करन उर्फ लक्की की बात कर रहे हैं, जो अपनी उंगली में लगी चोट का इलाज को लेकर इन दिनों देहरादून की सड़कों पर 10 रुपये में मोमबत्ती और माचिस बेचने को मजबूर है. झंडाजी इलाके में सड़क किनारे अपने छोटे भाई और मां के साथ रहने वाला करन बताता है कि अगर मोमबत्ती और माचिस बेचने से कुछ पैसे अलग से बचेंगे तो वह कुछ पटाखे खरीद कर अपने भाई के साथ दिवाली मनाएगा.

ये भी पढ़ें: खुशखबरी: कल से खुल रहा है कॉर्बेट पार्क का ढिकाला जोन, तैयारियां हुईं पूरी

महज 50 रुपए के लिए करन कर रहा मेहनत

करन ने बताया कि कुछ दिन पहले एक साइकिल के पहिए में उसकी उंगली आ जाने से चोट लग गई थी. जिसकी वजह से वह अपनी मां की काम में सही से मदद नहीं कर पा रहा है. ऐसे में वह दीपावली में कुछ पैसे जमा करने के लिए मोमबत्ती और माचिस की डिब्बी बेच रहा है. वहीं, उसने बताया कि उंगली के मरहम पट्टी के लिए हर दूसरे और तीसरे दिन ₹50 की जरूरत होती है. इसी के चलते वह पैसे जमा कर रहा है.

बिना पैसे कैसे मनेगी करन की दिवाली ?

वहीं, जब करन से पूछा गया कि वह दिवाली कैसे मनाएंगा तो उसने कहा हम सड़क किनारे रहते हैं. हम कहां से दिवाली मना सकते हैं. पटाखे खरीदने का मन तो बहुत है, लेकिन पैसे नहीं है. मोमबत्ती और माचिस बेचकर कुछ पैसे अलग से बचेंगे तो छोटे भाई के लिए पटाखे जरूर ले जाऊंगा. कटी उंगली के मरहम पट्टी के लिए भी हर तीसरे दिन 50 रुपयों की जरूरत होती है.

ईटीवी भारत की मदद से करन का चेहरा खिल उठा

सड़क किनारे पटाखों की दुकान के बाहर आते जाते लोगों से मोमबत्ती और माचिस खरीदने की गुहार लगाते करन की स्थिति को देख ईटीवी भारत ने मदद करने का प्रयास किया. ताकि इस दीपावली पर उसका घर भी रोशन हो सके और वह अपने भाई के साथ पटाखे फोड़ सकें. हमारी टीम ने करन को उंगली के मरहम पट्टी के लिए भी पैसे दिए. साथ ही उसके और उसके भाई के लिए पटाखे भी खरीद कर दिए.

बहरहाल, गरीबी और तंगहाल जीवन जीने वाले करन जैसे कितने ही मासूम बच्चे हैं, जो दीपावली के त्योहार में भी अपनी पेट की भूख के लिए सड़कों पर खाक छानते नजर आते हैं. इसलिए हम सभी का फर्ज बनता है कि जरुरतमंदों की मदद करें, ताकि इस दिवाली उनका भी घर रोशन हो सके.

Last Updated : Nov 14, 2020, 5:16 PM IST
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