देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को लेकर तैयारियां अपने आखिरी चरण में हैं. इस बार यात्रियों की भारी संख्या के अनुमान को देखते हुए बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए विशेष हेल्प सेंटर बनाए जा रहे हैं.साथ ही मंदिर परिसरों में श्रद्धालुओं को सुरक्षित और विश्वासपात्र जानकारी मिले इसके लिए मंदिर समिति अपने वॉलिंटियर के ड्रेस कोड को लेकर भी विचार कर रही है.
चारधाम यात्रा 2022 को लेकर जहां एक तरफ सरकार से लेकर शासन तक सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद की जा रही हैं तो वहीं धामों में तीर्थ यात्रियों के दर्शन को लेकर को लेकर भी किसी तरह की अफरा-तफरी ना हो इसको लेकर मंदिर समिति द्वारा लगातार एक्सरसाइज की जा रही है. सुचारू रूप से मंदिर में दर्शन के लिए अलग-अलग तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि इस बार यात्रा सीजन को लेकर भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में मंदिर में दर्शन को लेकर व्यवस्थाएं बनी रहे, इसको लेकर मंदिर समिति व्यवस्थाओं को लेकर सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं.
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बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया जब भी श्रद्धालु बदरीनाथ-केदारनाथ पहुंचता है तो उसके मन में पूजा अर्चना, दर्शन या फिर कपाट खुलने-बंद होने को लेकर तमाम तरह के सवाल होते हैं. लंबी यात्रा पूरी करने के बाद जब श्रद्धालु अपने मुकाम पर पहुंचता है और उसे इतनी लंबी यात्रा करने के बाद ठीक से दर्शन करने को ना मिले तो उसका मनोबल गिरता है. ऐसे में मंदिर समिति इस बार श्रद्धालुओं के लिए अलग से सहायता केंद्र स्थापित करेगी. जिनसे श्रद्धालुओं को काफी मदद मिलेगी.
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बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया मंदिर समिति ने निर्णय लिया है कि हेलीपैड के पास और मंदिर परिसर में जहां पर श्रद्धालु प्रवेश करते हैं वहां बदरी-केदार मंदिर समिति के सहायता केंद्र लगाए जाएंगे. जिनसे श्रद्धालुओं को दर्शन पूजा-अर्चना और धाम को लेकर सभी जानकारियां मिलेंगी.
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ड्रेस कोड पर भी चल रहा है विचार: बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और विश्वासपात्र जानकारी मिले इसके लिए मंदिर समिति अपने वॉलिंटियर के ड्रेस कोड को लेकर भी विचार कर रही है. मंदिर समिति का कहना है कि बदरी-केदार धाम में स्वयं सेवकों को एक विशेष प्रकार की ड्रेस पहनाने की योजना है. जिसके जरिए श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और विश्वासपात्र व्यक्ति मंदिर परिसर में मिलेगा. जिससे श्रद्धालु किसी भी तरह की मदद ले सकते हैं. उन्होंने बताया ड्रेस कोड को आस्था और भौगोलिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई जा रही है. जल्द ही इस पर समिति आखिरी फैसला लेगी.