देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून सीजन आने में अभी समय है, लेकिन बेमौसम बारिश की वजह से हालात बिगड़ गए हैं. सूबे में बीते दिनों हुई बारिश ने जमकर कहर बरपाया है. गढ़वाल और कुमाऊं के कई हिस्सों में बारिश के बाद भयावह तस्वीरें सामने आई हैं. जिसने स्थानीय लोगों के साथ ही सरकार को भी सकते में ला दिया है. प्रदेश में अप्रैल माह में मॉनसून सीजन जैसे हालात दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में खुद सीएम धामी को स्थिति जानने के लिए आपदा प्रबंधन की बैठक लेनी पड़ी. ताकि, किसी भी आपात स्थिति से तत्काल निपटा जा सके.
मसूरी में सबसे ज्यादा नुकसानः इस बेमौसम बारिश का कहर सबसे ज्यादा मसूरी में टूटा है. यहां बारिश के वजह से सवॉय होटल के पास पुश्ता ढह गया. जिसकी वजह से सड़क जाम होने से लेकर कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई. मसूरी में इस तरह की घटना कोई पहली नहीं है, बीते कुछ सालों में भी सड़क धंसने और पहाड़ी से मलबा आने की घटनाएं मसूरी में बढ़ी हैं. मसूरी में लगातार भूस्खलन हो रहा है. देहरादून मसूरी रोड पर गलोगी पावर हाउस के पास भूस्खलन नासूर बना हुआ है. बीते साल यहां पर कई बार मलबा आने की वजह से यातायात बाधित रहा था. यहां साल 2018 से लगातार भूस्खलन हो रहा है. जिसके ट्रीटमेंट की घोषणा खुद सीएम धामी भी कर चुके हैं. इसके अलावा कई क्षेत्रों में पुश्ता ढहने की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
वहीं, मार्च के अंतिम हफ्ते और अप्रैल की शुरुआत में बारिश होने से मसूरी में एक बार फिर से ठंडक लौट आई है. जबकि, मैदानी इलाकों में गर्मी से परेशान लोग पहाड़ों का रुख कर रहे हैं. मसूरी में लोगों को गर्मी से राहत तो मिल ही रही है, साथ ही उन्हें खूबसूरत नजारों का दीदार करने का मौका मिल रहा है. साथ ही मौसम को लेकर जारी अलर्ट के बाद सैलानी मसूरी आने से बच रहे हैं. जिस पर प्रशासन का कहना है कि जो सैलानी मसूरी में होटल बुकिंग आदि करा चुके हैं, वो बिना डर के आ सकते हैं.
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रामनगर में सवारियों से भरी बस नाले में पलटी: नैनीताल के रामनगर में बीते 31 मार्च को बारिश की वजह से टेड़ा बरसाती नाला उफान पर आ गया. इसी बीच बरसाती नाले को पार करने के चक्कर में सवारियों से भरी बस पलट गई. सवारी किसी तरह शीशा तोड़कर बाहर निकले और अपनी जान बचाने की कोशिश करते दिखे. गनीमत रही की समय पर उनका रेस्क्यू कर लिया गया और नाले का प्रवाह ज्यादा तेज नहीं था.
रामनगर में कई ऐसे बरसाती नाले हैं, जो मॉनसून सीजन में हर बार जिंदगी लील लेते हैं. यहां धनगढ़ी नाला, पनोद नाला, टेड़ा नाला, बेलगढ़ नाला, सांवलदे नाला, ढेला नदी आदि ऐसे नाले हैं, जो मॉनसून सीजन में उफान पर आ जाते हैं. जहां कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. बीते साल भी ढेला नदी में पंजाब के पर्यटकों से भरी एक गाड़ी बह गई थी, जिसमें 9 पर्यटकों की जान चली गई थी. प्रशासन की ओर से स्थानीय लोगों और पर्यटकों को नाले को पार न करने की अपील की जाती है. लेकिन कुछ लोग अपील को नजरअंदाज कर नाले को पार करने की गलती कर जाते हैं. जिसकी वजह से उनकी जिंदगी सांसत में आ जाती है. कई बार जल्दबाजी की वजह से लोगों की जान तक चली जाती है.
देहरादून और हरिद्वार में भी हालत बिगड़ेः बारिश की वजह से देहरादून की सड़कों पर मलबा बहने लगा. इसके अलावा कई सड़कें कीचड़ से पट गई तो कई जगहों पर जलभराव हो गया. ऐसा ही नजारा बनबसा और काली नदी के आसपास के इलाकों में भी देखने को मिला. जहां बारिश की वजह से नदी उफान पर आ गई और सड़कें जलमग्न नजर आई. इसके अलावा हरिद्वार के रानीपुर मोड़ पर पानी भर गया. जिससे कई गाड़ियां फंस गई. कमोबेश यही हालत प्रदेश के अन्य जगहों पर भी देखने को मिला. बरहाल, उत्तराखंड में अचानक बदले मौसम के बाद लोग डरे हुए हैं. क्योंकि, मौसम विभाग ने जिस तरह की चेतावनी दी है, उससे डर पैदा होना लाजिमी है. उत्तराखंड मौसम विभाग की मानें तो अगले कुछ दिन बारिश और ओलावृष्टि की संभावना है.
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बर्फबारी से भी बढ़ी मुश्किलेंः जहां एक ओर बारिश मुसीबत बनकर बरस रही है तो वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी ने परेशानी बढ़ाई है. खासकर केदारनाथ में बर्फबारी के चलते पुनर्निर्माण कामों पर ब्रेक लगा हुआ है. इसके अलावा चारधाम यात्रा के शुरू होने में भी अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं, ऐसे में बारिश और बर्फबारी से उन तैयारियों पर ब्रेक लग रहा है. केदारनाथ और पैदल मार्ग पर बर्फ तो हटाया जा रहा है. लेकिन बार-बार ताजा बर्फबारी से परेशानी बढ़ रही है.
सीएम पुष्कर धामी ने दिए ये निर्देशः उत्तराखंड में मौसम के अलर्ट को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तमाम अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अलग-अलग माध्यमों से वार्ता की है. साथ ही ये निर्देश जारी किए हैं कि सभी अधिकारी अपने-अपने इलाकों में नजर बनाकर रखें. भारी बर्फबारी, ओलावृष्टि और बारिश होने पर तत्काल प्रभाव से अपने स्तर से एक्शन लें. राहत और बचाव कार्य में लगी टीमों को अलर्ट मोड पर रखें और कोई भी अधिकारी अपना फोन बंद न करें.