देहरादून: विश्व हृदय दिवस पर इस बार सबसे ज्यादा चर्चा कोरोना काल के असर की है. सब जानते हैं कि कोविड-19 वायरस का खतरा सबसे ज्यादा दिल के मरीजों को ही है. लेकिन महामारी के इस दौर में कुछ ऐसी बातें भी आई हैं, जो दिल की बीमारियों को लेकर कुछ राहत भरी हैं.
हृदय रोगियों की संख्या में आई गिरावट
संक्रमण के दौरान अस्पतालों में हृदय रोगियों की संख्या अचानक बेहद कम हो गई है. दुनिया भर में कोरोना के मरीजों की संख्या पिछले 6 महीनों के दौरान साढ़े तीन करोड़ के आसपास हो गई है. उधर मरने वालों का भी आंकड़ा 10 लाख पार कर गया है. चिंता की बात सबसे ज्यादा दिल के उन मरीजों के लिए है, जो कोरोना की चपेट में आने के कारण गंभीर अवस्था में पहुंच गए हैं.
कोरोना की वजह से श्वसन की समस्या
दरअसल कोरोना इंसान की श्वसन क्रिया को प्रभावित करता है, जो दिल के मरीजों के लिए सबसे खतरनाक है. यही कारण है दिल के मरीजों के कोरोना संक्रमित होने पर जान का खतरा बना रहता है. ऐसे में जरूरी है कि दिल के मरीज कोरोना संक्रमण को लेकर ज्यादा एहतियात बरतें और संक्रमण को लेकर जरूरी नियमों का बेहद सख्ती से पालन करें.
दिल की बीमारी का उम्र से नहीं लेना देना
आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि दिल की बीमारी का उम्र से कोई लेना-देना नहीं है. क्योंकि बदले परिवेश और जीवन शैली में अब युवा भी बड़ी संख्या में दिल के मरीज बन रहे हैं. एक आकलन के अनुसार हर साल हार्ट अटैक से लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. भारत में दिल के मरीजों की संख्या करीब 5 करोड़ के आस-पास है. चिंताजनक आंकड़ा यह भी है कि हर साल दिल के मरीजों के मौत के आंकड़े में भी काफी इजाफा हो रहा है.
हार्ट अटैक से मौत मामले में 34 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी
पिछले 10 से 15 सालों में हार्ट अटैक से मौत मामलों में 34 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है. इससे भी ज्यादा चिंता की बात आकलन में सामने आयी है कि सौ मरीजों में 25 मरीज 40 साल से कम उम्र के होते हैं. भारत में ही हर मिनट में 4 लोगों को हार्ट अटैक आता है. जबकि 1 दिन में 30 साल तक की उम्र के 9 सौ युवा हार्ट अटैक से जान गंवा देते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि संक्रमण के दौरान अस्पतालों में दिल के मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है. दुनिया भर में हृदय रोगियों का अस्पतालों में आंकड़ा कम दर्ज किया गया है. भारत की बात करें तो यहां भी हार्ट अटैक के मामले करीब 30 से 70% तक कम हुए हैं.
लॉकडाउन की वजह से दिल की बीमारी में आई कमी
कोरोनेशन अस्पताल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय ने बताया कि यह काफी चौंकाने वाली बात है कि अस्पताल में अब दिल के मरीजों की संख्या कम हुई है और हार्टअटैक के मामले भी कम हो रहे हैं. हालांकि, इसके पीछे भी एक तर्क दिया जा रहा है कि कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के चलते लोगों में ऑफिस को लेकर स्ट्रेस कम हुआ. साथ ही खानपान में भी समय बद्धता आयी. संक्रमण के खतरे के डर से शराब और धूम्रपान को भी संभवत: लोगों ने छोड़ा. यही कारण है कि इन दिनों दिल के मरीजों की संख्या और हार्ट अटैक के मामले कम हुए हैं.
डॉक्टरों की सलाह जरूर लें
हालांकि, डॉक्टर यह भी मानते हैं कि कोरोना के डर से भी लोग अस्पतालों में नहीं आ रहे हैं. ज्यादा तबीयत बिगड़ने के बाद ही वह अस्पताल का रुख कर रहे हैं, लेकिन ऐसा करना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसलिए जैसे ही सीने में दर्द हो या कोई दूसरे लक्षण दिखें तो फौरन अस्पताल में आकर डॉक्टर की सलाह जरूर लें. वहीं, कार्डियोलॉजिस्ट बताते हैं कि अब समय बीतने के साथ रोजगार की चिंता और अव्यवस्थित खानपान फिर से लोगों में समस्या बढ़ा सकता है.
दिल के मरीज इन बातों का रखें ख्याल
- दिल के मरीजों को अपनी दवाइयों को जारी रखना है.
- संक्रमण से बचने के लिए घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए.
- समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेते रहें.
- संक्रमित मरीज के संपर्क में आने या किसी लक्षण के महसूस होने पर फौरन डॉक्टर को जांच करवाएं.
हृदय रोग से बचने के लिए क्या करें ?
- नियमित रूप से व्यायाम करें, योग भी कर सकते हैं.
- सिगरेट और शराब को त्यागें.
- खानपान को नियंत्रित करें और कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए हेल्दी फूड लें.