देहरादून: इस साल 2022 में उत्तराखंड चारधाम यात्रा ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. एक तरफ जहां रिकॉर्ड तोड़ संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड चारधाम यात्रा में पहुंचे तो वहीं चारधाम यात्रा में इस बार सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत भी हुई है. जिसकी वजह से सरकार को किरकीरी का सामना भी करना पड़ा. हालांकि पहले तो नहीं, लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग की मान रहा है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की मौत हुई हैं.
हाल ही में संपन्न हुए चारधाम यात्रा में करीब 281 श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक समेत कई अन्य कारणों से मौत हुई है, जो स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव को सीधे तौर पर इंगित करता है. वहीं स्वास्थ्य सचिव आर राजेश ने भी इस बात को माना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में श्रद्धालुओं को मौतें हुई है. हालांकि अपनी गलतियों को सुधारते हुए सरकार भविष्य के लिए तैयार हो रही है और चारधाम यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में आपात स्थिति में तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराये जाने के लिए रोड मैप तैयार किया जा रहा है. ये प्रोजेक्ट एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से तैयार किया जा रहा है.
बता दें कि इस यात्रा सीजन में साढ़े 15 लाख से अधिक यात्री बाबा केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे, जिसमे से 150 श्रद्धालुओं की मौत हुई. वहीं, यमुनोत्री धाम में 48, गंगोत्री में 17 और बदरीनाथ में 66 श्रद्धालुओं की मौत बीमारियों के कारण हुई थी, जबकि साल 2019 में चार धाम यात्रा के दौरान मात्रा 91 लोगों की मौत हुई थी.
इस बार की गलतियों से सबक लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने चारधाम में श्रद्धालुओं की बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है. स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि उत्तराखंड चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ावों पर श्रद्धालुओं को इस तरह की सुविधा मुहैया कराई जाए कि तबीयत खराब होने पर मरीजों को तत्काल हायर सेंटर रेफर कर दिया जाए.
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वहीं, स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि चार धाम यात्रा के दौरान यात्रियों के मौतों के कई वजह है. हालांकि मेडिकल रेसलर यूनिट चारधाम यात्रा के अलग-अलग जगहों पर मौजूद है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी, मैनपावर और तैनाती के साथ ही इक्विपमेंट उपलब्ध नहीं होने के चलते यात्रियों की मौतें हुई हैं.
लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग आगामी चारधाम यात्रा से पहले डेडिकेटेड हाई एटीट्यूड मेडिकल सिस्टम विकसित करने की कोशिश कर रहा है. जिसको 3000 से 7000 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में विकसित की जाएगी. साथ ही सचिव ने बताया कि कोशिश है कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक जहां लोग जाते हैं या रहते हैं, उन्हें स्वास्थ्य उठाएं उपलब्ध कराई जाएं.