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लापरवाही: ब्लैक लिस्टेड कंपनी से दवाइयों की खरीद, स्वास्थ्य महानिदेशक को नहीं मामले की जानकारी - देहरादून न्यूज

स्वास्थ्य महकमे में दवाई खरीदने से जुड़ा एक गंभीर मामला प्रकाश में आया है. खबर है कि दूसरे राज्य में ब्लैक लिस्ट हो चुकी कंपनी को उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमा खूब हाथों हाथ ले रहा है और ऐसी कंपनी से ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी दवाई खरीदी गई हैं.

स्वास्थ्य महकमे
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Published : Aug 10, 2019, 11:03 PM IST

Updated : Aug 10, 2019, 11:08 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे में ऐसे कई घोटाले और गड़बड़ी के मामले हैं जो समय-समय पर उजागर होते रहे हैं. ताजा मामला दवाइयों की खरीद से जुड़ा है. चर्चा है कि पोद्दार फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड करीब 1 साल से ब्लैक लिस्ट सूची में है. बावजूद इसके ब्लैक लिस्ट हो चुकी कंपनी से दवाइयां खरीदने की खबर सामने आई हैं.

उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे पर नियम के विपरीत दवा खरीदी का आरोप.

हरिद्वार की इस फर्म को कर्नाटक में ब्लैक लिस्टेड बताया गया है. बावजूद इसके उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे द्वारा इससे दवाइयां खरीदी गईं हैं. उत्तराखंड की नीति के अनुसार स्वास्थ्य महकमा ऐसी किसी भी कंपनी से दवाइयां नहीं खरीद सकता जो किसी भी राज्य में ब्लैक लिस्टेड हो.

यह भी पढ़ेंः देवभूमि की खूबसूरत वादियां बनी बॉलीवुड की पहली पसंद, देखिए Etv भारत की खास रिपोर्ट

मामला सामने आने के बाद जब ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य महानिदेशक से इस पर जानकारी चाही तो विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले महानिदेशक ने मामले की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया. साथ ही क्रय नीति के खिलाफ खरीदारी होने पर ऐसी खरीद को रोकने की भी बात कही.

स्वास्थ्य विभाग की क्रय नीति में दवाइयों की खरीद को लेकर बनाए गए नियमों की अनदेखी एक गंभीर मामला है और इससे भी गंभीर बात यह है कि स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी ही नीति के खिलाफ हो रही खरीद पर पूरी तरह जानकारी नहीं रखते.

देहरादूनः उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे में ऐसे कई घोटाले और गड़बड़ी के मामले हैं जो समय-समय पर उजागर होते रहे हैं. ताजा मामला दवाइयों की खरीद से जुड़ा है. चर्चा है कि पोद्दार फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड करीब 1 साल से ब्लैक लिस्ट सूची में है. बावजूद इसके ब्लैक लिस्ट हो चुकी कंपनी से दवाइयां खरीदने की खबर सामने आई हैं.

उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे पर नियम के विपरीत दवा खरीदी का आरोप.

हरिद्वार की इस फर्म को कर्नाटक में ब्लैक लिस्टेड बताया गया है. बावजूद इसके उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे द्वारा इससे दवाइयां खरीदी गईं हैं. उत्तराखंड की नीति के अनुसार स्वास्थ्य महकमा ऐसी किसी भी कंपनी से दवाइयां नहीं खरीद सकता जो किसी भी राज्य में ब्लैक लिस्टेड हो.

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मामला सामने आने के बाद जब ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य महानिदेशक से इस पर जानकारी चाही तो विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले महानिदेशक ने मामले की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया. साथ ही क्रय नीति के खिलाफ खरीदारी होने पर ऐसी खरीद को रोकने की भी बात कही.

स्वास्थ्य विभाग की क्रय नीति में दवाइयों की खरीद को लेकर बनाए गए नियमों की अनदेखी एक गंभीर मामला है और इससे भी गंभीर बात यह है कि स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी ही नीति के खिलाफ हो रही खरीद पर पूरी तरह जानकारी नहीं रखते.

Intro:Summary- स्वास्थ्य महकमे में दवाई खरीदने से जुड़ा एक गंभीर मामला प्रकाश में आया है... खबर है कि दूसरे राज्य में ब्लैक लिस्ट हो चुकी कंपनी को उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमा खूब हाथों हाथ ले रहा है और ऐसी कंपनी से ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी दवाई खरीदी गई हैं। 


उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे में दवाइयों की खरीद को लेकर नीति तय होने के बावजूद भी ब्लैक लिस्ट हो चुकी कंपनी से दवाइयां लिए जाने की खबरें सामने आई है। 




Body:उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे में ऐसे कई घोटाले और गड़बड़ी के मामले हैं जो समय-समय पर उजागर होते रहे हैं...ताजा मामला दवाइयों की खरीद से जुड़ा है...चर्चा है कि पोद्दार फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड करीब 1 साल से ब्लैक लिस्ट सूची में है... हरिद्वार की इस फर्म को कर्नाटक में ब्लैक लिस्टेड बताया गया है.. बावजूद इसके उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे द्वारा इससे दवाइयां खरीदी गई है। उत्तराखंड के नीति के अनुसार स्वास्थ्य महकमा ऐसी किसी भी कंपनी से दवाइयां नहीं खरीद सकता जो किसी भी राज्य में ब्लैक लिस्टेड हो। मामला सामने आने के बाद जब ईटीवी भारत में स्वास्थ्य महानिदेशक से इस पर जानकारी चाही तो विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले महानिदेशक ने मामले की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया। साथ ही क्रय नीति के खिलाफ खरीदारी होने पर ऐसी खरीद को रोकने की भी बात कही। 


बाइट आर के पांडे स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखंड




Conclusion:स्वास्थ्य विभाग की क्रय नीति में दवाइयों की खरीद को लेकर बनाए गए नियमों की अनदेखी एक गंभीर मामला है और इससे भी गंभीर बात यह है कि स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी ही नीति के खिलाफ हो रही खरीद पर पूरी तरह जानकारी नही रखते।
Last Updated : Aug 10, 2019, 11:08 PM IST
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