ETV Bharat / state

हरीश रावत ने कहा- माफी मांगें प्रह्लाद जोशी, यूक्रेन में पढ़ रहे मेडिकल छात्रों को लेकर दिया था बयान

जहां एक ओर भारत सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, वहीं इसी बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का वहां पढ़ रहे मेडिकल छात्रों को लेकर विवादित बयान सामने आया है. इस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने निशाना साधते हुआ कहा कि मंत्री माफी मांगें.

Former CM Harish Rawat
Former CM Harish Rawat
author img

By

Published : Mar 2, 2022, 10:27 AM IST

देहरादून: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों (Indians in Ukraine) को निकालने के लिए भारत सरकार जोर-शोर से अभियान चलाए हुए है. इसी बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) ने एक विवादित बयान दिया है. जिस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी है. हरीश रावत ने ट्वीट कर लिखा कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी जी का बहुत ही कष्ट पहुंचाने वाला बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि यूक्रेन में पढ़ रहे बच्चे जो वहां मेडिकल एजुकेशन लेने के लिए गए हैं वो अक्षम हैं, वो भारत में नीट की परीक्षा भी पास नहीं कर सकते हैं.

हरीश रावत ने आगे लिखा है कि प्रह्लाद जोशी जी इस समय प्रश्न यह नहीं है कि वो नीट की परीक्षा पास कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं! प्रश्न यह है कि उनकी जिंदगी को बचाने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है? पहले ही आपने बहुत विलंब कर दिया और जब साक्षात उनके सर पर मौत खड़ी है तो आप इस तरीके का बेहयाई पूर्ण बयान देकर भारत के प्रबुद्धजन मानस को कष्ट पहुंचा रहे हैं, प्रह्लाद जोशी अपने इस बयान के लिए क्षमा मांगें, वो संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते केंद्र सरकार के प्रवक्ता भी हैं. उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिन बच्चों की निकासी की व्यवस्था एक माह पहले से प्रारंभ हो जानी चाहिए थी, उनकी आज जिंदगी खतरे में है, तब भी बहुत कम संख्या में उनको बाहर निकाला जा सक रहा है. एक कर्नाटक के विद्यार्थी की जान भी चली गई है.
पढ़ें-वफादार यारी: भारत सरकार ने यूक्रेन से ऋषभ के डॉगी को लाने की दी NOC, ईटीवी भारत का जताया आभार

प्रह्लाद जोशी जी, लोग यूक्रेन या बाहर अध्ययन करने इसलिए नहीं जाते हैं कि वो परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सकते हैं, वो इसलिये भी जाते हैं क्योंकि वहां 25-30 लाख रुपये में मेडिकल शिक्षा मिल जाती है और भारत सरकार ने भी उसको मान्यता दे रखी है और भारत में वही शिक्षा उनको डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा रुपया खर्च करके मिल पाती है. एक निम्न मध्यम वर्ग के परिवार के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की व्यवस्था करना एवरेस्ट चढ़ने जैसा कठिन कार्य है. आप लोगों की बेबसी का मजाक मत उड़ाइये, उस मां का मजाक मत उड़ाइये जो अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए हर पल आंखों में आंसू भरे हुए है और वो मां या टेलीविजन को निहार रही है या अखबार खोज रही है कि कब मेरा बेटा, मेरी बेटी यूक्रेन से सकुशल वापस भारत आ जाएंगे.

प्रह्लाद जोशी ने क्या कहा था: बता दें कि केंद्रीय संसदीय कार्य एवं खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया बचाव अभियान एक बड़ी चुनौती है. इसी के साथ उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 'विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले 90 प्रतिशत भारतीय भारत में योग्यता परीक्षा पास करने में फेल होते हैं. हालांकि जोशी ने कहा कि यह बहस करने का सही वक्त नहीं है कि छात्र मेडिकल की स्टडी करने के लिए देश के बाहर क्यों जा रहे हैं?

देहरादून: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों (Indians in Ukraine) को निकालने के लिए भारत सरकार जोर-शोर से अभियान चलाए हुए है. इसी बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) ने एक विवादित बयान दिया है. जिस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी है. हरीश रावत ने ट्वीट कर लिखा कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी जी का बहुत ही कष्ट पहुंचाने वाला बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि यूक्रेन में पढ़ रहे बच्चे जो वहां मेडिकल एजुकेशन लेने के लिए गए हैं वो अक्षम हैं, वो भारत में नीट की परीक्षा भी पास नहीं कर सकते हैं.

हरीश रावत ने आगे लिखा है कि प्रह्लाद जोशी जी इस समय प्रश्न यह नहीं है कि वो नीट की परीक्षा पास कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं! प्रश्न यह है कि उनकी जिंदगी को बचाने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है? पहले ही आपने बहुत विलंब कर दिया और जब साक्षात उनके सर पर मौत खड़ी है तो आप इस तरीके का बेहयाई पूर्ण बयान देकर भारत के प्रबुद्धजन मानस को कष्ट पहुंचा रहे हैं, प्रह्लाद जोशी अपने इस बयान के लिए क्षमा मांगें, वो संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते केंद्र सरकार के प्रवक्ता भी हैं. उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिन बच्चों की निकासी की व्यवस्था एक माह पहले से प्रारंभ हो जानी चाहिए थी, उनकी आज जिंदगी खतरे में है, तब भी बहुत कम संख्या में उनको बाहर निकाला जा सक रहा है. एक कर्नाटक के विद्यार्थी की जान भी चली गई है.
पढ़ें-वफादार यारी: भारत सरकार ने यूक्रेन से ऋषभ के डॉगी को लाने की दी NOC, ईटीवी भारत का जताया आभार

प्रह्लाद जोशी जी, लोग यूक्रेन या बाहर अध्ययन करने इसलिए नहीं जाते हैं कि वो परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सकते हैं, वो इसलिये भी जाते हैं क्योंकि वहां 25-30 लाख रुपये में मेडिकल शिक्षा मिल जाती है और भारत सरकार ने भी उसको मान्यता दे रखी है और भारत में वही शिक्षा उनको डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा रुपया खर्च करके मिल पाती है. एक निम्न मध्यम वर्ग के परिवार के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की व्यवस्था करना एवरेस्ट चढ़ने जैसा कठिन कार्य है. आप लोगों की बेबसी का मजाक मत उड़ाइये, उस मां का मजाक मत उड़ाइये जो अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए हर पल आंखों में आंसू भरे हुए है और वो मां या टेलीविजन को निहार रही है या अखबार खोज रही है कि कब मेरा बेटा, मेरी बेटी यूक्रेन से सकुशल वापस भारत आ जाएंगे.

प्रह्लाद जोशी ने क्या कहा था: बता दें कि केंद्रीय संसदीय कार्य एवं खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया बचाव अभियान एक बड़ी चुनौती है. इसी के साथ उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 'विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले 90 प्रतिशत भारतीय भारत में योग्यता परीक्षा पास करने में फेल होते हैं. हालांकि जोशी ने कहा कि यह बहस करने का सही वक्त नहीं है कि छात्र मेडिकल की स्टडी करने के लिए देश के बाहर क्यों जा रहे हैं?

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.