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हरक की तल्खी के बावजूद BJP क्यों है नरम, मदन के घर बुलाने के क्या हैं सिसायी मायने - Uttarakhand Latest News

साल 2016 में भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस के 9 विधायक शामिल हुए थे. दिग्गज नेताओं के इतनी बड़ी संख्या में शामिल होने का नतीजा यह रहा कि भाजपा प्रदेश में 57 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज हो गई. वहीं इस बार ये नेता बिखरते हुए दिख रहे हैं. यदि ऐसे हुआ तो बीजेपी को चुनाव में बड़े नुकसान का डर सता रहा है. ऐसे में बीजेपी हरक की तल्खी के बावजूद नरमी बरते हुए है.

Madan Kaushik
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Published : Oct 26, 2021, 6:55 PM IST

Updated : Oct 26, 2021, 8:55 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का अपना एक अलग ही कद है. यही कारण है कि उनके थोड़े से भी तल्ख मिजाज से बीजेपी परेशान हो जाती है और उन्हें मनाने में लग जाती है. इन दिनों सियासी हल्कों में चर्चा है कि हरक सिंह रावत बीजेपी सरकार और संगठन दोनों से नाराज चल रहे हैं और पार्टी उन्हें मनाने की पूरी कोशिश कर रही है. हरक के गरम तेवर का एक नजारा मंगलवार को भी देखने को मिला.

दरअसल, मंगलवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत को ब्रेकफास्ट पर बुलाया, लेकिन हरक सिंह रावत नहीं आए. इसके बाद मदन कौशिक ने फोन कर हरक सिंह रावत को लंच पर बुलाया. मदन कौशिक लंच पर हरक सिंह रावत का इंतजार करते रहे, लेकिन वो नहीं आए है.

हरक की तल्खी के बावजूद BJP क्यों है नरम

पढ़ें- बागियों में फूट से BJP को राहत! हरक और बहुगुणा खेमे में बंटे विधायक

तब तक ये खबर सियासी हल्कों में आग की तरह फैल गई. यहां तक कहा जाने लगा कि हरक सिंह रावत पार्टी से नाराज से चल रहे हैं और वे मदन कौशिक से भी नहीं मिलना चाह रहे हैं. हालांकि शाम होते-होते हरक ने मदन का न्यौता स्वीकार कर लिया और वे शाम को साढ़े चार बजे मदन कौशिक के घर गए. यहां दोनों ने चाय पर चर्चा की.

इस दौरान दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक चर्चा हुई. जब इस मुलाकात को लेकर दोनों से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ये एक सामान्य मुलाकात थी. दोनों ने सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी के कार्यक्रमों को लेकर बातचीत हुई है, जिसके सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. उन्होंने सियासी गलरियों की सुर्खियों को नकार दिया है.

पढ़ें- ब्रेकफास्ट से लंच तक कौशिक को कराया इंतजार, शाम को 'चाय पर चर्चा' करने पहुंचे हरक

यहां एक सवाल खड़ा होता है कि हरक सिंह रावत के तल्ख तेवरों के बावजूद पार्टी उन्हें इतनी तवज्जो क्यों दे रही है. क्योंकि बीते दिनों भी जब हरक सिंह रावत की नाराजगी की बात सामने आई तो हाईकामन ने उन्हें दिल्ली बुलाया था और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे खुद मुलाकात की थी. हरक सिंह रावत के साथ बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ भी गए थे.

दरअसल, इसके पीछे की एक बड़ी वजह ये भी मानी जा रही है कि चुनाव के ठीक पहले हरीश रावत और हरक सिंह रावत में भाई-भाई वाला प्यार भी उमड़ रहा है. दोनों जहां एक दूसरे पर सियासी तीर चल रहे हैं तो वहीं एक-दूसरे के प्रति नरमी दिखाते हुए भाई-भाई भी बता रहे हैं, जिससे बीजेपी ज्यादा बेचैन लग रही है.

बीजेपी को डर सता रहा है कि यशपाल आर्य की तरह यदि हरक सिंह रावत भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए तो उन्हें बड़ा नुकसान होगा. इतना ही नहीं उत्तराखंड के चुनाव में हरक सिंह रावत और हरीश रावत की जोड़ी कोई बड़ी इबारत भी लिख सकती है. इस कारण बीजेपी ज्यादा चितिंत नजर आ रही है. इसके अलावा हरीश रावत अपने साथ कई और नेताओं को भी कांग्रेस में ले जा सकते हैं. यही कारण है कि बीजेपी हरक सिंह रावत को मनाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है.

पढ़ें- सियासी अटकलों के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले हरक और काऊ, पार्टी में बढ़ सकता है कद

देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का अपना एक अलग ही कद है. यही कारण है कि उनके थोड़े से भी तल्ख मिजाज से बीजेपी परेशान हो जाती है और उन्हें मनाने में लग जाती है. इन दिनों सियासी हल्कों में चर्चा है कि हरक सिंह रावत बीजेपी सरकार और संगठन दोनों से नाराज चल रहे हैं और पार्टी उन्हें मनाने की पूरी कोशिश कर रही है. हरक के गरम तेवर का एक नजारा मंगलवार को भी देखने को मिला.

दरअसल, मंगलवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत को ब्रेकफास्ट पर बुलाया, लेकिन हरक सिंह रावत नहीं आए. इसके बाद मदन कौशिक ने फोन कर हरक सिंह रावत को लंच पर बुलाया. मदन कौशिक लंच पर हरक सिंह रावत का इंतजार करते रहे, लेकिन वो नहीं आए है.

हरक की तल्खी के बावजूद BJP क्यों है नरम

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तब तक ये खबर सियासी हल्कों में आग की तरह फैल गई. यहां तक कहा जाने लगा कि हरक सिंह रावत पार्टी से नाराज से चल रहे हैं और वे मदन कौशिक से भी नहीं मिलना चाह रहे हैं. हालांकि शाम होते-होते हरक ने मदन का न्यौता स्वीकार कर लिया और वे शाम को साढ़े चार बजे मदन कौशिक के घर गए. यहां दोनों ने चाय पर चर्चा की.

इस दौरान दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक चर्चा हुई. जब इस मुलाकात को लेकर दोनों से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ये एक सामान्य मुलाकात थी. दोनों ने सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी के कार्यक्रमों को लेकर बातचीत हुई है, जिसके सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. उन्होंने सियासी गलरियों की सुर्खियों को नकार दिया है.

पढ़ें- ब्रेकफास्ट से लंच तक कौशिक को कराया इंतजार, शाम को 'चाय पर चर्चा' करने पहुंचे हरक

यहां एक सवाल खड़ा होता है कि हरक सिंह रावत के तल्ख तेवरों के बावजूद पार्टी उन्हें इतनी तवज्जो क्यों दे रही है. क्योंकि बीते दिनों भी जब हरक सिंह रावत की नाराजगी की बात सामने आई तो हाईकामन ने उन्हें दिल्ली बुलाया था और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे खुद मुलाकात की थी. हरक सिंह रावत के साथ बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ भी गए थे.

दरअसल, इसके पीछे की एक बड़ी वजह ये भी मानी जा रही है कि चुनाव के ठीक पहले हरीश रावत और हरक सिंह रावत में भाई-भाई वाला प्यार भी उमड़ रहा है. दोनों जहां एक दूसरे पर सियासी तीर चल रहे हैं तो वहीं एक-दूसरे के प्रति नरमी दिखाते हुए भाई-भाई भी बता रहे हैं, जिससे बीजेपी ज्यादा बेचैन लग रही है.

बीजेपी को डर सता रहा है कि यशपाल आर्य की तरह यदि हरक सिंह रावत भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए तो उन्हें बड़ा नुकसान होगा. इतना ही नहीं उत्तराखंड के चुनाव में हरक सिंह रावत और हरीश रावत की जोड़ी कोई बड़ी इबारत भी लिख सकती है. इस कारण बीजेपी ज्यादा चितिंत नजर आ रही है. इसके अलावा हरीश रावत अपने साथ कई और नेताओं को भी कांग्रेस में ले जा सकते हैं. यही कारण है कि बीजेपी हरक सिंह रावत को मनाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है.

पढ़ें- सियासी अटकलों के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले हरक और काऊ, पार्टी में बढ़ सकता है कद

Last Updated : Oct 26, 2021, 8:55 PM IST
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