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मसूरी में धूमधाम से मनाई गई गुरु नानक जयंती, लंगर का आयोजन - Guru Nanak Jayanti news

पहाड़ों की रानी मसूरी में गुरु नानक जी की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई. इस दौरान लंगर और शबद कीर्तन का भी आयोजन हुआ.

Guru Nanak Jayanti
मसूरी में धूमधाम से मनाई गई गुरु नानक जयंती,
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Published : Nov 19, 2021, 3:22 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 9:10 PM IST

मसूरी: गुरु नानक जी की जयंती मसूरी में धूमधाम के साथ मनाई गई. इस मौके पर गुरुद्वारों में शबद कीर्तन और लंगर का आयोजन किया गया. गुरु सिंह सभा गांधी चौक और लंढौर के तत्वाधान में गुरूद्वारे में अरदास के बाद शबद कीर्तन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और गुरु नानक देव जी के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लिया.

सिख धर्म में गुरु नानक जयंती बहुत बड़ा त्यौहार माना जाता है. गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे. उनकी जयंती हिंदू कैलेंडर अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरी दुनिया में मनाई जाती है. इस साल उनकी 552वीं जयंती आज मनाई जा रही है. इसे प्रकाश उत्सव या गुरु परब भी कहा जाता है.

गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर के पास राय भोई की तलवंडी (अब ननकाना साहिब) में हुआ था. गुरु नानक जयंती उत्सव पूर्णिमा दिवस से दो दिन पहले शुरू हो जाता है जिसमें अखंड पाठी, नगर कीर्तन जैसे अनुष्ठान शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: Chandra Grahan 2021: चंद्र ग्रहण इन राशि वालों की चमकाएगा किस्मत, ये रहें सावधान

समारोह के वास्तविक दिन से पहले अनुष्ठानों की पूरी श्रृंखला होती है. पहले दिन अखंड पाठ होता है जो जयंती से दो दिन पहले गुरुद्वारों और घरों में होता है. इस मौके पर गुरुद्वारों को फूलों और रोशनी से भी सजाया जाता है. मुख्य दिन अमृत वेला में उत्सव शुरू होता है. सुबह भजनों का पाठ होता है जिसके बाद कथा और कीर्तन होता है. प्रार्थना के बाद सिख लंगर के लिए इकट्ठा होते हैं. लंगर के बाद, कथा और कीर्तन का पाठ जारी रहता है, रात में गुरबानी के गायन के साथ उत्सव का समापन होता है.

मसूरी: गुरु नानक जी की जयंती मसूरी में धूमधाम के साथ मनाई गई. इस मौके पर गुरुद्वारों में शबद कीर्तन और लंगर का आयोजन किया गया. गुरु सिंह सभा गांधी चौक और लंढौर के तत्वाधान में गुरूद्वारे में अरदास के बाद शबद कीर्तन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और गुरु नानक देव जी के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लिया.

सिख धर्म में गुरु नानक जयंती बहुत बड़ा त्यौहार माना जाता है. गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे. उनकी जयंती हिंदू कैलेंडर अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरी दुनिया में मनाई जाती है. इस साल उनकी 552वीं जयंती आज मनाई जा रही है. इसे प्रकाश उत्सव या गुरु परब भी कहा जाता है.

गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर के पास राय भोई की तलवंडी (अब ननकाना साहिब) में हुआ था. गुरु नानक जयंती उत्सव पूर्णिमा दिवस से दो दिन पहले शुरू हो जाता है जिसमें अखंड पाठी, नगर कीर्तन जैसे अनुष्ठान शामिल हैं.

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समारोह के वास्तविक दिन से पहले अनुष्ठानों की पूरी श्रृंखला होती है. पहले दिन अखंड पाठ होता है जो जयंती से दो दिन पहले गुरुद्वारों और घरों में होता है. इस मौके पर गुरुद्वारों को फूलों और रोशनी से भी सजाया जाता है. मुख्य दिन अमृत वेला में उत्सव शुरू होता है. सुबह भजनों का पाठ होता है जिसके बाद कथा और कीर्तन होता है. प्रार्थना के बाद सिख लंगर के लिए इकट्ठा होते हैं. लंगर के बाद, कथा और कीर्तन का पाठ जारी रहता है, रात में गुरबानी के गायन के साथ उत्सव का समापन होता है.

Last Updated : Nov 19, 2021, 9:10 PM IST
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