देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना से देश की जनता को बचाने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन 4.0 की शुरुआत हो गई है. लॉकडाउन के दौरान देश के छोटे व्यापारियों की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 3.0 के शुरुआती दौर में ही राहत दे दी थी. जिसके लिए 4 मई से प्रदेश के सभी छोटे व्यापारियों को अपनी दुकानें खोलने की अनुमति दी गई थी.
जिसके बाद से धीरे-धीरे छोटे व्यापारियों की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है. ऐसे में सरकार द्वारा दी गई इस छूट से रेड़ी-पटरी और सड़क किनारे दुकान वालों की क्या है स्थिति, क्या वास्तव में लॉकडाउन में मिली छूट के बाद इनकी आर्थिकी पर फर्क पड़ा है या नहीं? देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट...
22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद 25 मार्च से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू करने का एलान किया था. जिसके बाद लॉकडाउन को बढ़ाते हुए 15 अप्रैल से लॉकडाउन के दूसरे चरण की शुरुआत की गई थी. लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण के दौरान केंद्र सरकार ने मात्र एसेंशियल सेवाओं की दुकानों को ही खोलने की अनुमति दी थी. जिसके चलते तमाम छोटे व्यापारियों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था. लॉकडाउन के कारण उन्हें आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा था. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण में 4 मई से छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देते हुए दुकानें खोलने की अनुमति दी थी.
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सरकार की अनुमति के बाद सड़कों पर छोटे व्यापारियों ने अपनी ठेलियां तो लगानी शुरू कर दी लेकिन ग्राहकों के न पहुंचने के कारण इनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. फिलहाल इनकी दुकानों और ठेलियों पर ग्राहक ना के बराबर ही आ रहे हैं.
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जहां एक और तपती गर्मी का सितम इन छोटे व्यापारियों को सता रहा है तो वहीं दूसरी ओर सामानों की बिक्री न होने के चलते इनका आर्थिक संकट भी गहराता जा रहा है. जिसके चलते अब छोटे व्यापारी, राज्य सरकार से किसी अन्य विकल्प की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी रोजी-रोटी चलती रहे.
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ईटीवी भारत को एक ठेली चालक ने बताया कि इस तपती गर्मी में जितने समान की बिक्री नहीं होती है उससे ज्यादा समान खराब हो जाता है. जिससे उन्हें ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. यही नहीं मंडियों से सामान लाने में भी उन्हें तमाम तरह की दिक्कतें हो रही हैं. ऐसे में अब उनके सामने रोजी- रोटी का संकट गहराता जा रहा है.