देहरादून: हर साल की तरह इस साल भी एक बार फिर ऊर्जा निगम सरकारी विभागों, निजी संस्थाओं और उद्योगों को नोटिस भेज कर बकाया बिल का भुगतान करने का दबाव बना रहा है. लेकिन ऊर्जा निगम के लिए बकाये बिल की रिकवरी का ये काम इतना आसान भी नहीं है. क्योंकि सरकारी विभागों, बड़े संस्थानों व उद्योगों पर करीब 761 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया है. वहीं इनमें से कई सरकारी महकमे, बड़े उद्योग और संस्थान ऐसे भी हैं जिन्होंने बीते कई सालों से बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है.
सरकारी विभागों और उद्योगों से बकाया बिजली का बिल वसूलने के बारे में ऊर्जा सचिव राधिका झा ने बताया कि विभाग की ओर से सभी बकायेदारों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं. कोरोना संकट के दौर में हुए आर्थिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की ओर से फिक्स चार्ज में भी छूट दी गई है. ऐसे में यदि किसी सरकारी महकमे या फिर निजी संस्था या उद्योग की ओर से विद्युत खपत की गई है तो उसे अनिवार्य रूप से इसका भुगतान करना होगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऊर्जा निगम करोड़ों रुपये के बकाया विद्युत बिल से सबक लेते हुए निकट भविष्य में प्रीपेड मीटर लगाने की भी योजना बना रहा है. जिसे लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
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आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील गुप्ता बताते हैं कि ऊर्जा निगम जिन प्रीपेड मीटर को लगाने की योजना बना रहा है उन मीटर की गुणवत्ता और खरीद पर पहले ही बढ़े घोटाले की बू आ रह रही है. ऐसे में यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब उर्जा विभाग किसी आम नागरिक द्वारा बिजली बिल समय पर जमा न करने पर उसका कनेक्शन तक काट देता है तो आखिर सरकारी महकमे और बड़े उद्योगों को विभाग इतनी रियायत क्यों देता है?