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उत्तराखंड: सरकारी अस्पताल ही लगा रहे अटल आयुष्मान योजना को पलीता, मरीज बेहाल

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सरकार भले ही कई योजनाओं को धरातल पर ले आए, लेकिन सरकारी अस्पतालों की बदहाल हालत इन योजनाओं को फिसड्डी साबित कर देते हैं.

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फिसड्डी साबित हो रहे सरकारी अस्पताल
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Published : Feb 24, 2020, 8:26 AM IST

Updated : Feb 24, 2020, 12:34 PM IST

देहरादून: सूबे की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार भले ही कई योजनाएं क्रियान्वित कर ले, लेकिन प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की बदहाल हालत इन योजनाओं का पलीता निकाल देती है. प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के मकसद से शुरू की गई अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना आज भी कई सरकारी अस्पताल के कारण बदहाली की भेंट चढ़ रही है. सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव में लोग इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, जिससे अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं पर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

गौर हो कि उत्तराखंड राज्य सरकार ने 25 दिसम्बर 2018 को अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरूआत प्रदेश के सरकारी अस्पतालों से की गई थी. इसके बाद इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के तमाम प्राइवेट अस्पतालों को भी शामिल किया गया, जिससे मरीजों को सही और सुरक्षित तरीके से पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल सके.

फिसड्डी साबित हो रहे सरकारी अस्पताल

राजधानी के कई सरकारी अस्पताल ऐसे हैं, जिनके पास पर्याप्त व्यवस्थाएं न हो पाने के कारण मरीजों को पर्याप्त इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है. ऐसे में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों का मुंह ताकना पड़ रहा है. सरकारी अस्पतालों में कम लोगों का इलाज होना यह दर्शाता है कि लोग, सरकारी अस्पतालों पर कम ही भरोसा करते हैं.

सरकारी अस्पतालों की बदहाली का उदाहरण राजधानी देहरादून का राजकीय दून मेडिकल अस्पताल है, जहां रोजाना 30 से 35 अटल आयुष्मान से जुड़े मामले सामने आते हैं. लिहाजा एक साल से अधिक समय होने के बाद भी अभी तक करीब साढ़े 6 हजार लोगों का इलाज किया गया. कोरोनेशन अस्पताल में रोजाना अटल आयुष्मान के तहत रोजाना 20 से 25 मरीज इलाज करने आते हैं, लेकिन अभी तक 2,800 लोगों का ही इस योजना के तहत इलाज किया जा चुका है. इसके साथ ही प्रत्येक दिन 7 से 8 मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: भूमि विवाद में मारपीट का वीडियो हो रहा वायरल, पीड़िता ने की कार्रवाई की मांग

वहीं, देहरादून स्थित महंत इंद्रेश अस्पताल में इस योजना के तहत रोजाना 30 से 40 मरीज एडमिट होते हैं. अभी तक इस अस्पताल में 16 हजार मरीजों का इलाज हो चुका है. इस मामले पर सरकारी अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों का मानना है कि लोग सरकारी अस्पतालों में लगातार आ रहे हैं. अस्पताल में किसी मरीज के लिए किसी सामान की आवश्यकता होती है तो उसकी आपूर्ति करवा दी जाती है. साथ ही बताया कि अस्पताल में मशीनों की कमी जरूर है जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.

सरकारी अस्पताल से लगातार जनता के उठते भरोसे और सुविधाओं के अभाव के सवाल पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि सरकार कोशिश कर रही है कि अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से रजिस्टर्ड सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा सके.

देहरादून: सूबे की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार भले ही कई योजनाएं क्रियान्वित कर ले, लेकिन प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की बदहाल हालत इन योजनाओं का पलीता निकाल देती है. प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के मकसद से शुरू की गई अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना आज भी कई सरकारी अस्पताल के कारण बदहाली की भेंट चढ़ रही है. सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव में लोग इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, जिससे अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं पर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

गौर हो कि उत्तराखंड राज्य सरकार ने 25 दिसम्बर 2018 को अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरूआत प्रदेश के सरकारी अस्पतालों से की गई थी. इसके बाद इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के तमाम प्राइवेट अस्पतालों को भी शामिल किया गया, जिससे मरीजों को सही और सुरक्षित तरीके से पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल सके.

फिसड्डी साबित हो रहे सरकारी अस्पताल

राजधानी के कई सरकारी अस्पताल ऐसे हैं, जिनके पास पर्याप्त व्यवस्थाएं न हो पाने के कारण मरीजों को पर्याप्त इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है. ऐसे में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों का मुंह ताकना पड़ रहा है. सरकारी अस्पतालों में कम लोगों का इलाज होना यह दर्शाता है कि लोग, सरकारी अस्पतालों पर कम ही भरोसा करते हैं.

सरकारी अस्पतालों की बदहाली का उदाहरण राजधानी देहरादून का राजकीय दून मेडिकल अस्पताल है, जहां रोजाना 30 से 35 अटल आयुष्मान से जुड़े मामले सामने आते हैं. लिहाजा एक साल से अधिक समय होने के बाद भी अभी तक करीब साढ़े 6 हजार लोगों का इलाज किया गया. कोरोनेशन अस्पताल में रोजाना अटल आयुष्मान के तहत रोजाना 20 से 25 मरीज इलाज करने आते हैं, लेकिन अभी तक 2,800 लोगों का ही इस योजना के तहत इलाज किया जा चुका है. इसके साथ ही प्रत्येक दिन 7 से 8 मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: भूमि विवाद में मारपीट का वीडियो हो रहा वायरल, पीड़िता ने की कार्रवाई की मांग

वहीं, देहरादून स्थित महंत इंद्रेश अस्पताल में इस योजना के तहत रोजाना 30 से 40 मरीज एडमिट होते हैं. अभी तक इस अस्पताल में 16 हजार मरीजों का इलाज हो चुका है. इस मामले पर सरकारी अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों का मानना है कि लोग सरकारी अस्पतालों में लगातार आ रहे हैं. अस्पताल में किसी मरीज के लिए किसी सामान की आवश्यकता होती है तो उसकी आपूर्ति करवा दी जाती है. साथ ही बताया कि अस्पताल में मशीनों की कमी जरूर है जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.

सरकारी अस्पताल से लगातार जनता के उठते भरोसे और सुविधाओं के अभाव के सवाल पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि सरकार कोशिश कर रही है कि अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से रजिस्टर्ड सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा सके.

Last Updated : Feb 24, 2020, 12:34 PM IST
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