देहरादून: उत्तराखंड में आज गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट का त्योहार मनाया जा रहा है. यह पर्व दीपावली के ठीक एक दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन गौ पूजा का खास महत्व माना जाता है. साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग भी लगाया जाता है.
मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाया था. जिससे हजारों जीव-जतुंओं और ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था. जिसके बाद इंद्र देव का घमंड चूर-चूर हुआ था. उन्होंने गोवर्द्धन पर्वत की पूजा भी की थी. तब से ही इस पर्व को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है. उत्तराखंड में भी गोवर्धन पूजा धूमधाम से की जा रही है. जहां लोग गाय की पूजा कर उन्हें अन्न खिला रहे हैं. कई जगहों पर मंदिरों और घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए गए हैं.
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माना जाता है कि गोवर्धन पूजा के दिन गौ पूजा करने और गाय को अन्न, वस्त्र उपहार स्वरूप देने से घर में सुख-समृद्धि आती है. जिसे लेकर लोग सुबह से ही गाय की सेवा और पूजा में जुटे हैं. मंदिरों में भी विधि-विधान के साथ गोवर्धन पूजा की जा रही है. इस दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं.
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए. घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं. पास में ग्वाल बाल, पेड़-पौधों की भी चित्र बनाएं. उसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख दें. इसके बाद भगवान कृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत का पूजन करें. पकवान और पंचामृत का भोग लगाएं. गोवर्धन पूजा की कथा सुनें. कथा सुनने के बाद लोगों में प्रसाद बांटने चाहिए.