देहरादूनः चीन में बने कांच के पुल की तर्ज पर अब भारत में पहला पारदर्शी पुल बनने जा रहा है. ये पुल केदारनाथ धाम के मुख्य पड़ाव रामबाड़ा में मंदाकिनी नदी के ऊपर बनाया जाएगा. जहां से पर्यटक और यात्री नए रोमांच और प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा सकेंगे. इसके लिए जिला प्रशासन कवायद में जुट गया है. वहीं, इस पुल के बनने से देवभूमि को देश-दुनिया में नई पहचान मिलेगी.
बता दें कि अभी तक आपने विदेशों में पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरते हुए या फिर समुंद्र के ऊपर बने बड़े-बड़े पुलों को तस्वीरों और इंटरनेट पर देखा होगा. ऐसे कारनामे करने वालों में पड़ोसी देश चीन समेत अन्य देश शामिल हैं. बीते साल चीन ने कांच का ब्रिज बनाकर खूब वाहवाही बटोरी थी. अब भारत में पहली बार इसी तर्ज पर एक कांच की ब्रिज बनने जा रहा है. ये ब्रिज उत्तराखंड के बाबा केदार के धाम में बनाया जाना है. केदार घाटी में साल 2013 की भीषण आपदा के बाद यात्रा पूरी तरह से पटरी से उतर गई थी. ऐसे में यात्रा को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए सरकार कई तरह की कोशिशों में जुटी है.
केदार घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार राज्य के संपर्क में रहते हैं. ऐसे में केदारधाम को पूरी तरह से मॉडल तरीके से विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है. श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी और रोमांचकारी पर्यटन के माध्यम से लोगों को केदारधाम की ओर की आकर्षित करने के लिए कई तरह की योजनाएं बनाई जा रही हैं. जहां पर श्रद्धालुओं को भक्ति के साथ रोमांच का लुत्फ ले सकें.
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इसी कड़ी में अब उत्तराखंड के केदारनाथ के मुख्य पड़ाव रामबाड़ा में मंदाकिनी नदी पर एक कांच का पुल बनाया जाना है. यह कांच का पुल चीन शैली पर बनाया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन कार्ययोजना बनाने में जुट गया है. इससे आपदा के बाद से वीरान पड़े रामबाड़ा को एक बार फिर देश-दुनिया में नई पहचान मिल सकेगी. मंदाकिनी नदी के ऊपर इस पुल के बनने से पर्यटक खूबसूरत वादियों का दीदार कर सकेंगे.
वहीं, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि इस पुल को बनाने के लिए चीन की कंपनी से जल्द ही संपर्क किया जाएगा. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि ये प्रस्ताव पास हो जाएगा. उनकी मानें तो इस पुल को बनाने में करीब 8 से 10 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है. वहीं, उम्मीद जताई जा रही है कि सबकुछ प्लान के मुताबिक हुआ तो साल 2020 तक श्रद्धालु इस पुल का आनंद ले सकेंगे.