देहरादून: उत्तराखंड में बिजली संकट गहराने जा रहा है. शायद यही कारण है कि अब करीब 6 महीने से बंद पड़े गैस आधारित बिजली प्लांट्स को शुरू करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही राज्य के दो गैस आधारित संयंत्र बंद होने के कगार पर आ गए थे, लेकिन अब बिजली संकट के गहराने की आशंका के बीच उन्हें फिर से शुरू करने की कोशिश हो रही है.
उत्तराखंड में गैस आधारित दो बिजली के संयंत्र काफी समय से बंद हैं. इसकी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया भर में रूस से मिलने वाली गैस का बाधित होना माना जा रहा है. उत्तराखंड के इन गैस आधारित बिजली संयंत्र से करीब 300 मेगा वाट से भी ज्यादा बिजली का उत्पादन होता था, जिससे राज्य को बिजली आपूर्ति को लेकर कुछ राहत दी जाती थी, लेकिन इन संयंत्र के बंद होने से राज्य पर भारी दबाव है. ऐसे में केंद्र से राज्य को मदद के लिए हाथ फैलाने पड़ रहे हैं.
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अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्यों को गैस आधारित संयंत्रों से बिजली की मांग पूरी करने के लिए सुझाव दिए हैं. ऐसे में उत्तराखंड अपने दो प्लांट को फिर से सुचारू करने के प्रयास में जुट गया है. गैस आधारित बिजली संयंत्र श्रावन्ति से 214 मेगावाट तक कि बिजली पैदा हो सकती है. वही गामा संयंत्र से 107 मेगावाट की बिजली उत्पादन किया जा सकता है. इस तरह देखा जाए तो करीब 300 मेगावाट से ज्यादा की बिजली राज्य को इन 2 प्लांट से मिल सकती है.
उत्तराखंड सरकार गैस की आपूर्ति को लेकर केंद्र सरकार से बात कर सकती है. ताकि प्लांट्स को शुरू किया जा सके. हालांकि, यह दोनों ही प्राइवेट प्लांट बताए जा रहे हैं. जिनसे उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड बिजली खरीदता है. इसके अलावा उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड कोयला आधारित प्रोजेक्ट शुरू करने पर भी विचार कर रहा है. ऐसे प्रोजेक्ट उन राज्यों में शुरू किए जा सकते हैं, जहां आसानी से कोयले की उपलब्धता होती है.