देहरादून: देशभर में चुनावी चकल्लस के साथ चुनावी वादों और दावों का शोर है. राजनीतिक दल चुनाव की चुनौती से निपटने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. शह और मात के इस खेल में हर कोई अपनी-अपनी बाजीगरी दिखा कर बहुमत का ताज अपने सिर पर सजाना चाहता हैं. ऐसे में सत्ता, सियासत और सीटों के गुणा-भाग से लेकर चुनावी समीकरणों पर डालते हैं एक नजर, देखिए खास रिपोर्ट...
बता दें कि गढ़वाल लोकसभा सीट पर इस समय गढ़वाल लोकसभा पर बीजेपी का कब्जा है और मेजर जरनल भुवन चंद्र खंडूड़ी यहां से सांसद हैं. उन्होंने 2014 में कांग्रेस के कद्दावर नेता हरक सिंह रावत को बड़े अंतर से गढ़वाल लोकसभा सीट पर हराया था. गढ़वाल लोकसभा में चार जिलों की 14 विधानसभाएं आती हैं.
गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल तक फैला है. बावन गढ़ों वाली यह सीट हिंदुओं के पवित्र तीर्थ बद्रीनाथ से शुरू होकर केदारनाथ के साथ ही सिक्खों के पवित्र हेमकुंड साहिब से होते हुए मैदान की ओर उतरती है. जिसके बाद तराई में रामनगर व कोटद्वार पहुंचकर समाप्त होती है. बात गढ़वाल सीट की करें तो 1557 में हुए परिसीमन के बाद ये सीट अस्तित्व में आई थी . इस सीट पर अमूमन बीजेपी और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. ये सीट शुरू से ही सैनिक बाहुल्य सीट मानी जाती है. आजादी 1952 से 1977 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ लहर के दौरान कांग्रेस को यहां हार का मुंह देखना पड़ा और जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा यहां से चुनाव जीते.
साल | पार्टी | सांसद का नाम |
1952 | कांग्रेस | भक्त दर्शन |
1957 | कांग्रेस | भक्त दर्शन |
1962 | कांग्रेस | भक्त दर्शन |
1967 | कांग्रेस | भक्त दर्शन |
1971 | कांग्रेस | प्रताप सिंह नेगी |
1977 | जनता पार्टी | जगन्नाथ शर्मा |
1980 | जनता पार्टी(सेकुलर) | हेमवती नंदन बहुगुणा |
1984 | कांग्रेस | चंद्र मोहन सिंह नेगी |
1989 | कांग्रेस | चंद्र मोहन सिंह नेगी |
1991 | बीजेपी | भुवन चंद्र खंडूड़ी |
1996 | कांग्रेस | सतपाल महाराज |
1998 | बीजेपी | भुवन चंद्र खंडूड़ी |
1999 | बीजेपी | भुवन चंद्र खंडूड़ी |
2004 | बीजेपी | भुवन चंद्र खंडूड़ी |
2007 | बीजेपी | तेज पाल सिंह रावत |
2009 | कांग्रेस | सतपाल महाराज |
2014 | बीजेपी | भुवन चंद्र खंडूड़ी |
वहीं, अब सत्रहवीं लोकसभा के चुनावों में गढ़वाल सीट पर मुकाबला बेहद ही रोचक होने वाला है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान है. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी ने प्रत्याशी के तौर पर तीरथ सिंह को उतारा है जो कि भुवन चंद्र खंडूड़ी के शिष्य हैं. इनके अलावा इस सीट पर 7 और प्रत्याशी चुनावी में मैदान में हैं.
मनीष खंडूड़ी | कांग्रेस |
तीरथ सिंह रावत | बीजेपी |
शांति प्रसाद भट्ट | यूकेडी |
पुरुष | 6,52,083 |
महिला | 6,16,192 |
कुल | 12, 69, 083 |
भौगोलिक कारणों की वजह से यहां पर शहरीकरण की रफ्तार काफी धीमी है. जिसके कारण इस संसदीय क्षेत्र की ज्यादातर जनता ग्रामीण इलाकों में निवास करती है. यहां पर अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 18.76 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.13 प्रतिशत है. साल 2014 में इस सीट पर मतदान प्रतिशत 53.74 रहा था. बातअगर इस बार होने वाले चुनावों की करें तो इस बार गढ़वाल सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 13, 37, 306 लाख है. जिनमें पुरुषों की संख्या 6, 65, 589 है. जबकि महिलाओं मतदाताओं कीसंख्या 6, 38, 050 है.
पुरुष | 6, 65, 589 |
महिला | 6, 38, 050 |
कुल | 13, 37, 306 |
बहरहाल, 2019 में होने वाले मतदान के लिए कुल 2253 पोलिंग बूथ बनाए गये हैं. चुनाव आयोग लगातार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए नये-नये प्रयास कर रहा है. जो कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक सराहनीय कदम है. सैनिक बाहुल्य सीट कही जाने वाली गढ़वाल लोकसभा में आने वाले चुनावों में 'महाभारत' देखने को मिलेगा. इस सीट पर पिता, पुत्र के साथ ही शिष्य चुनावी मैदान में है. जहां 'पिता' प्रचारक की भूमिका में होंगे तो वहीं शिष्य और पुत्र चुनावी समर के योद्धा के रूप में एक दूसरे के आमने सामने होंगे. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि रिटायर्ड मेजर जरनल की इस हॉट सीट पर कौन उनका बाजी मारता है.