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गंगोत्री और यमुनोत्री धाम का ढांचा बना रहा है उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड

पहले चरण में यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में स्टाफ रखा जाएगा. इसके बाद अन्य मंदिरों को बारे में विचार किया जाएगा है. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि मंदिरों की संपत्ति मंदिरों के नाम ही रहेगी.

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गंगोत्री और यमुनोत्री
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Published : Sep 3, 2020, 3:37 PM IST

देहरादून: अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड चारों धाम समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुट गया है. पहले चरण में देवस्थानम बोर्ड गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में स्टाफ की नियुक्ति का ढांचा तैयार कर रहा है. इसके साथ ही चारों धामों के हकहकूक धारियों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए उनके दस्तावेजों का परीक्षण किया जाएगा. यही नहीं बदरी-केदार मंदिर समिति के अधीन परिसंपत्तियों को देवस्थानम बोर्ड के अधीन लाने की कवायद भी की जा रही है.

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि बोर्ड की अधिसूची के अनुसार बोर्ड में 51 मंदिरों को शामिल किया गया है. हालांकि, एक्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जो मंदिरों के हक हकूक और दायित्वधारी थे, उनके अधिकारों को यथावत रखा गया है. लिहाजा इन मंदिरों का देख-रेख वही लोग करेंगे.

पढ़ें- अल्मोड़ा: मटेला में जल शोधन टैंक बनने की कवायद शुरू, मिलेगा 35 गांवों को साफ पानी

सीईओ रमन ने कहा कि श्री बदरी-केदार मंदिर समिति का दायरा बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर के अलावा पंच बदरी व पंच केदार मंदिर तक ही सीमित था. ऐसे में जो अन्य मंदिर है उसके लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी. फिलहाल, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

सीईओ रमन ने मुताबिक, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में स्टाफ की जरूरत है, ऐसे में देवस्थानम बोर्ड पहले इन दोनों धाम के लिए ढांचा तैयार कर रहा है. जिसे स्वीकृति के लिए जल्द ही शासन को भेजा जाएगा. मंदिरों में हक हकूकधारियों के अधिकार संरक्षित रहे इसके लिए दस्तावेज का परीक्षण किया जा रहा है. ताकि मंदिरों में एक बेहतर व्यवस्था को लागू किया जा सके. जिसमें परिसंपत्तियों का मेंटेनेंस, रोड एप्रोच और सफाई व्यवस्था के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाना है.

मंदिरों के नाम ही रहेंगी संपत्ति

यह नहीं बदरी-केदार मंदिर समिति के जो दायित्व थे वो अब बोर्ड में निश्चित होंगे. ऐसे में बीकेटीसी की जो परिसंपत्तियां है, वह सभी बोर्ड में शामिल हो जाएंगी. हालांकि, मंदिर से जुड़े आभूषण और पैसे मंदिर के ही नाम ही रहेंगे. पहले से चली आ रही प्रक्रिया के तहत थी सिर्फ उसकी देखरेख की जाएगी. बीकेटीसी के जो परिसंपत्तियां राज्य सरकार या फिर जिला पंचायतों के माध्यम से दी गयी है, वो सभी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अधीन आ जाएगी.

देहरादून: अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड चारों धाम समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुट गया है. पहले चरण में देवस्थानम बोर्ड गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में स्टाफ की नियुक्ति का ढांचा तैयार कर रहा है. इसके साथ ही चारों धामों के हकहकूक धारियों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए उनके दस्तावेजों का परीक्षण किया जाएगा. यही नहीं बदरी-केदार मंदिर समिति के अधीन परिसंपत्तियों को देवस्थानम बोर्ड के अधीन लाने की कवायद भी की जा रही है.

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि बोर्ड की अधिसूची के अनुसार बोर्ड में 51 मंदिरों को शामिल किया गया है. हालांकि, एक्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जो मंदिरों के हक हकूक और दायित्वधारी थे, उनके अधिकारों को यथावत रखा गया है. लिहाजा इन मंदिरों का देख-रेख वही लोग करेंगे.

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सीईओ रमन ने कहा कि श्री बदरी-केदार मंदिर समिति का दायरा बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर के अलावा पंच बदरी व पंच केदार मंदिर तक ही सीमित था. ऐसे में जो अन्य मंदिर है उसके लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी. फिलहाल, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

सीईओ रमन ने मुताबिक, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में स्टाफ की जरूरत है, ऐसे में देवस्थानम बोर्ड पहले इन दोनों धाम के लिए ढांचा तैयार कर रहा है. जिसे स्वीकृति के लिए जल्द ही शासन को भेजा जाएगा. मंदिरों में हक हकूकधारियों के अधिकार संरक्षित रहे इसके लिए दस्तावेज का परीक्षण किया जा रहा है. ताकि मंदिरों में एक बेहतर व्यवस्था को लागू किया जा सके. जिसमें परिसंपत्तियों का मेंटेनेंस, रोड एप्रोच और सफाई व्यवस्था के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाना है.

मंदिरों के नाम ही रहेंगी संपत्ति

यह नहीं बदरी-केदार मंदिर समिति के जो दायित्व थे वो अब बोर्ड में निश्चित होंगे. ऐसे में बीकेटीसी की जो परिसंपत्तियां है, वह सभी बोर्ड में शामिल हो जाएंगी. हालांकि, मंदिर से जुड़े आभूषण और पैसे मंदिर के ही नाम ही रहेंगे. पहले से चली आ रही प्रक्रिया के तहत थी सिर्फ उसकी देखरेख की जाएगी. बीकेटीसी के जो परिसंपत्तियां राज्य सरकार या फिर जिला पंचायतों के माध्यम से दी गयी है, वो सभी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अधीन आ जाएगी.

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