देहरादून: अशोक कुमार के उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद से रिटायर्ड होने के बाद उत्तराखंड पुलिस की कमान अब नए कार्यकारी डीजीपी आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार के हाथ में है. आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार को एक तेजतर्रार अधिकारी के तौर पर जाना जाता है. आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार को डीजीपी के तौर पर जितनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है, उनकी चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी हैं.
पहली चुनौती भूमाफिया पर लगाम लगाना: ये बात किसी से छिपी नहीं है कि बीते कुछ सालों से राज्य में अपराधियों की सक्रियता तो बढ़ी ही है, साथ ही उनके क्राइम का तरीका भी बदला है. मौजूदा समय में सबसे अधिक अगर पुलिस के पास शिकायत किसी अपराध की आ रही है तो वो है जमीनों से जुड़े मामलों की. देहरादून और हरिद्वार सहित तराई के इलाकों में बीते कुछ सालों से जमीन के विवादित मामलों ने अपराध का रंग लिया है, तब से पुलिस का काम इस ओर भी बढ़ गया है.
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राजधानी में रोजाना आ रहे 6 से 7 मामले: उत्तराखंड के अन्य जिलों की बात ही छोड़ दीजिए. राजधानी देहरादून में ही रोजाना 6 से 7 जमीनों की धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं. कई बार तो देखने में आया है कि जमीनों पर अपना अवैध कब्जा जमाने के लिए भू माफिया किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं.
आंकड़ों पर गौर करें तो देहरादून में ही 250 से अधिक प्रॉपर्टी डीलर जेल की सलाखों के पीछे हैं. उत्तराखंड में जमीनों की खरीद-फरोख्त में हो रहे फर्जीवाड़ों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी काफी गंभीर हैं. हाल ही में सीएम धामी ने खुद देहरादून रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर इसी तरह के एक फर्जीवाड़े से पर्दा उठाया था. कुल मिलाकर कहा जाए तो जमीनों की खरीद-फरोख्त में हो रहे फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाना डीजीपी अभिनव कुमार के सामने एक बड़ी चुनौती है.
देवभूमि में महिलाओं की सुरक्षा: उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़े खुद इसकी तस्दीक करते हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में उत्तराखंड के अंदर रेप के 856 मामले दर्ज किए गए थे. प्रदेश में रेप के सबसे ज्यादा केस उधमसिंह नगर जिले में दर्ज हुए हैं. हरिद्वार और राजधानी देहारदून की स्थिति भी कोई अच्छी नहीं है. ऐसे में देवभूमि में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है.
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जेल से चल रहा अपराधियों का धंधा: राज्य में बीते कुछ सालों से जेलों से अपराधियों का साम्राज्य भी खूब चल रहा है. ऐसे में ये अपराध भी अधिक ना हों इसका भी कुछ समाधान नए डीजीपी को जल्द निकालना होगा. राज्य में सबसे अधिक जेल से अपराध हरिद्वार, देहरादून और रुड़की के साथ-साथ उधमसिंह नगर की जेलों से चल रहा है. अपराधी जेल में ही बैठकर अपना नेटवर्क चला रहे हैं. अपराधियों का ये नेटवर्क आए दिन सामने आता रहता है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अपराधी जो राज्य की जेलों में बंद हैं, उन्हें वहीं से बाहर आतंक मचाया हुए हैं. इस दिशा में पुलिस लगातार काम करती हुई नजर भी आती है, लेकिन फिर भी जेल में बंद अपराधियों के नेटवर्क को अभीतक पूरी तरह नहीं तोड़ा जा सका है.
कई बार हरिद्वार और रुड़की की जेलों में अपराधियों के पास मोबाइल मिले हैं, जो इस तरफ साफ इशारा करता है. हालांकि डीजीपी का पद संभालते ही अभिनव कुमार साफ कह चुके हैं कि जेल में बंद अपराधी अगर ऐसा कोई कृत्य करते पाए जाते हैं तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.
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अवैध खनन: उत्तराखंड में अवैध खनन हमेशा से बड़ा मुद्दा बनकर उठता रहा है. अवैध खनन को लेकर प्रदेश में जमकर राजनीति भी होती है. हालांकि अवैध खनन रोकना सीधे तौर पर पुलिस का काम नहीं है, लेकिन इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर भी अक्सर सवाल खड़े होते रहते हैं, जिससे डीजीपी अभिनव कुमार को बेहतर ढंग से निपटना होगा.
अपराधियों की पनाहगाह बनता जा रहा उत्तराखंड: वैसे तो उत्तराखंड अपनी शांत वादियों के लिए जाना जाता है, लेकिन बीते कुछ सालों में कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिनको देखकर कहा जा सकता है कि उत्तराखंड अपराधियों की पनाहगाह बनता जा रहा है. आसपास के राज्यों के बड़े अपराधियों के साथ साथ कई आतंकी भी उत्तराखंड से पकड़े जा चुके हैं. उधमसिंह नगर जिले में खालिस्तानी आतंकी कई बार पकड़े गए हैं. हरिद्वार और देहरादून में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस को अपना खुफिया नेटवर्क और मजबूत करना होगा.
बता दें कि उत्तराखंड में नए डीजीपी अभिनव कुमार ने बीती 30 नवंबर को अपना पदभार ग्रहण किया है. अभिनव कुमार 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी उस वक्त जम्मू कश्मीर में आईपीएस अधिकारी के तौर पर अभिनव कुमार एक प्रमुख हिस्सा थे. अभिनव कुमार डीजीपी बनने से पहले उत्तराखंड में खुफिया विभाग के चीफ भी थे. हालांकि उनके पास यह पद अभी भी मौजूद है. वह उत्तराखंड में कई जिलों के कप्तान रह चुके हैं. डीआईजी गढ़वाल के साथ-साथ केंद्रीय प्रतिनिधि के तौर पर वह सीआरपीएफ में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. कार्यवाहक डीजीपी के साथ-साथ वह फिलहाल मुख्यमंत्री के विशेष सचिव भी हैं. आईपीएस बनने से पहले अभिनव कुमार पत्रकार भी रह चुके हैं.