मसूरी: कल्याण सिंह का शनिवार शाम लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में निधन हो गया. वह 89 साल के थे. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के बाद मसूरी में भी शोक की लहर है. मसूरी भाजपा के वरिष्ठ नेता मदन मोहन शर्मा बताते हैं कि 1994 में बतौर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अपने परिवार के साथ मसूरी पहुंचे थे, यहां पर लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में रुके थे.
उन्होंने बताया कि कल्याण सिंह अपने पोते के स्कूल में दाखिला के लिए मसूरी आए थे, जिसको लेकर कल्याण सिंह द्वारा उनको बुलाया गया था और मसूरी में बेहतर स्कूल के बारे में पूछा गया था, जिस पर उन्होंने मसूरी पब्लिक स्कूल का सुझाव दिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री होते हुए भी कल्याण सिंह बतौर अभिभावक मसूरी पब्लिक स्कूल पहुंचे और आम अभिभावक की तरह अपने बच्चे का दाखिला स्कूल में कराया. वहीं, अपने पोते के लोकल गार्जियन के तौर पर उनका नाम लिखवाया.
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मदन मोहन शर्मा बताते हैं कि कल्याण सिंह बहुत ही सादगी में रहने वाले व्यक्तित्व थे. मसूरी के लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में उनके द्वारा मसूरी में भाजपा की बैठक बुलाई गई. उस समय वह मसूरी भाजपा मंडल के अध्यक्ष हुआ करते थे. उस वक्त स्व. राधेश्याम तायल महामंत्री थे और विजय रमोला युवा मोर्चा के अध्यक्ष हुआ करते थे. उन्होंने बताया कि राम मंदिर को लेकर कल्याण सिंह काफी उत्साहित थे. कल्याण सिंह कहते थे कि चाहे कुछ भी हो जाए वह अयोध्या में राम मंदिर बना कर ही दम लेंगे.
उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनाने का सपना को लेकर वह लगातार काम करते रहे, आखिरी के समय पर उनका स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण वह शारीरिक तौर पर कुछ नहीं कर पाए. परंतु वह शीर्ष नेतृत्व से राम मंदिर को लेकर हमेश बात करते रहे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल्याण सिंह के सपने को पूरा करके दिखाया.
मदन मोहन शर्मा ने बताया कि कल्याण सिंह ने मसूरी में पार्टी कार्यकर्ता से बैठक कर पार्टी को मजबूत करने के लिये गुरूमंत्र भी दिये थे. उन्होंने बताया कि मसूरी कल्याण सिंह को मसूरी काफी पसंद थी. वह कई बार मसूरी आये और मसूरी के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ भी उठाया.
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लगभग तीन दशक पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह एक प्रमुख हिंदू नेता के तौर पर उभरे थे. हालांकि, उस घटना के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. कल्याण सिंह अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अक्सर सुर्खियों में रहे.
मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत में लंबी सुनवाई चली. इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे. राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सितंबर 2019 में वह लखनऊ लौटे और फिर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये. इस दौरान उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना किया. अदालत ने सितंबर 2020 में कल्याण सिंह समेत 31 आरोपियों को बरी कर दिया.