रामनगर: सियासत में कौन-कब-किसका दुश्मन बन जाए और कब दुश्मन का ही हाथ थाम ले, कहा नहीं जा सकता है. ऐसा ही कुछ दो पुराने करीबियों के बीच देखने को मिल रहा है. दरअसल, पूर्व सीएम हरीश रावत और उनके करीबी रहे पूर्व विधायक रणजीत रावत में मतभेद की तलवारें खिंच गई हैं. राजनीति में 'जय-वीरू' की जोड़ी पूर्व सरकार में काफी सुर्खियों में रही है लेकिन अब मतभेद ऐसे हैं कि रणजीत ने पूर्व सीएम हरीश रावत पर ही तंज कसा है.
गौर हो कि हरीश सरकार के वक्त कांग्रेस नेता रणजीत रावत की तूती बोलती थी. इसे हालात ही कहेंगे कि हरीश रावत का साथ छोड़कर रणजीत रावत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के करीब पहुंच गए हैं. सूत्र बताते हैं कि दोनों नेताओं के रिश्तों में दरार आना साल 2017 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुई और यूथ कांग्रेस के चुनाव के बाद यह दरार खाई में तब्दील हो गई. 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने पिछले दिनों पार्टी का चेहरा घोषित करने की मांग सोशल मीडिया में उठाकर पार्टी में भूचाल ला दिया है. इससे पार्टी के अंदर गुटबाजी साफ देखी जा सकती है.
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रणजीत रावत ने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की हर दीवार पर लिखवा दिया था कि- 'सबकी चाहत हरीश रावत', इसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला था जबकि सरकार हमारी थी और राज्य हमारे कब्जे में था. साथ ही हरीश रावत 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वघोषित सीएम चेहरा थे. आज प्रदेश में डबल इंजन की सरकार चल रही है, खेत तो उनके पास हैं हम तो ओड़े डालने का कार्य कर रहे हैं. आज जरूरत उस खेत को बीजेपी से छुड़ाने की है. जिसके लिए कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश प्रभारी जुटे हुए हैं.
वहीं, हरीश रावत का कहना है कि पार्टी जिसे भी उम्मीदवार घोषित करेगी, उसके पीछे मैं पूरी तरह से खड़ा रहूंगा. पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के बयान पर अडिग हैं. उनकी इस मांग का पार्टी के नेता ही खुलकर मुखालफत कर रहे हैं.