देहरादून: उत्तराखंड में जब खंडूड़ी की सरकार थी तो उन्होंने जमीन खरीद की लिमिट 500 वर्ग मीटर से 250 वर्ग मीटर कर दी थी. त्रिवेंद्र सरकार ने इन सारी बाध्यताओं को खत्म कर दिया था. इन दिनों उत्तराखंड में भू-कानून की मांग जोर-शोर से उठ रही है. ये 2022 का चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है. ईटीवी भारत ने भू-कानून पर सारी बंदिशें खत्म करने वाले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत से एक्सक्लूसिव बात की.
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि नारायण दत्त तिवारी की सरकार में 500 वर्ग मीटर जमीन खरीद को मंजूरी मिली थी. उसके बाद बीसी खंडूड़ी की सरकार में इसे 250 वर्ग मीटर तक सीमित कर दिया गया था. दरअसल लोग भू-कानून को लेकर स्पष्ट ही नहीं हैं.
त्रिवेंद्र रावत ने सवाल किया कि जो लोग भू-कानून की मांग कर रहे हैं वो बताएं कि हमारे बनाए भू-कानून में कहां खामी है. उनका कहना है कि इन्वेस्टर हवा में इन्वेस्ट नहीं करेगा. इन्वेस्ट जमीन पर ही होगा. हमारा राज्य पर्यटन प्रदेश है. यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं.
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राज्य निर्माण के समय उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा गया था. लेकिन ऊर्जा प्रोजेक्ट में तमाम बाधाएं आई हैं. अब देश सोलर ऊर्जा की ओर जा रहा है. सोलर ऊर्जा काफी सस्ती पड़ती है. त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि रोजगार के कई प्रोजेक्ट राज्य में संभव हैं. हमें अच्छे शिक्षण संस्थानों की जरूरत है. अच्छे स्वास्थ्य केंद्रों की जरूरत है. अच्छे पर्यटन गृह और होटल, रिजॉर्ट्स चाहिए जो किसी थीम पर हों. इनसे उत्तराखंड में रोजगार बढ़ेगा. ये सारी चीजें भविष्य को संवारेंगी.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक से काम रुकेगा. उन्होंने सवाल किया कि जमीन नहीं बेचेंगे तो कारोबार कहां होगा ? पूर्व सीएम ने कहा कि हमें हर एंगल पर सोचना होगा.
त्रिवेंद्र रावत ने बताया कि जो भूमि खरीदेंगे वो 'विशेष भूमिधर' होंगे. विशेष भूमिधर का मतलब दो साल में जमीन पर कारोबार करना होगा. अगर उन्होंने दो साल में कारोबार शुरू नहीं किया तो वो भूमि सरकार ले लेगी. दरअसल लोगों को कानून की असली जानकारी नहीं है.
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-कानून पर लोग ऐसे ही राय दे रहे हैं. ये राय निगेटिव या पॉजिटिव आ रही है. मेरी लोगों से गुजारिश है कि राय देने से पहले भू-कानून के बारे में पढ़ लें. जब त्रिवेंद्र रावत से सवाल किया गया कि लोग हिमाचल जैसे भू-कानून की मांग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हिमाचल में भी लोग जमीन खरीद सकते हैं. ऐसा नहीं है कि वहां जमीन खरीद पर कोई रोक है. हां उसके लिए नियम हैं. हमारे यहां भी हिमाचल जैसा ही प्रावधान है.