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बढ़ती बेरोजगारी को लेकर हरदा ने केंद्र और राज्य सरकार पर साधा निशाना - central government

मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने बेरोजगारी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

Dehradun
बढ़ती बेरोजगारी को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने साधा केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना
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Published : Jul 28, 2020, 10:26 PM IST

देहरादून: मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने बेरोजगारी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि पूरे देश और विशेष रूप से प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार परेशान हैं. 2017 से भर्तियां रुकी हुई हैं. वहीं, अध्याचित पद भी अब गैर अध्याचित पद हो गए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा शासन काल में शिक्षित बेरोजगारों की पीड़ा को जाहिर करते हुए कहा कि परीक्षाएं हो रही है मगर किसी ना किसी बहाने उनको रद्द कर दिया जा रहा है. भर्ती की विज्ञप्तियां निकाली जा रही हैं, लेकिन फिर तारीख बदल दी जा रही है. हरीश रावत ने कहा कि वन विभाग से लेकर हर महकमे का यही हाल है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे बेरोजगारों को लॉलीपॉप दिखाए जा रहे हैं और फिर हटा दिए जा रहे हैं.

उन्होंने बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों और शारीरिक योग्यता के साथ डिप्लोमा होल्डरों की समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि योगा सिखाने वाले लोग परेशान हैं, क्योंकि योगा का विस्तार करने की बजाय सरकार ने कांग्रेस कार्यकाल के दौरान अल्मोड़ा में एक योगा सर्किट बनाया गया था, उसको भी समाप्त कर दिया है. जबकि, ऋषिकेश के योगा सर्किट को संकुचित कर दिया गया है.

पढ़े- लॉकडाउन के बाद बढ़ी सेकेंड हैंड कार की डिमांड, इन गाड़ियों की डिमांड में उछाल

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एमबीबीएस छात्रों का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि एमबीबीएस के चयनित छात्र आज फीस को लेकर परेशान हैं. सरकार ने एमबीबीएस कोर्स के लिए इतनी फीस निर्धारित कर दी है कि उनकी नातिन और पोती के लिए पीजी कोर्स करना मुश्किल हो गया. हरीश रावत ने कहा कि सबसे ज्यादा मुश्किल मेडिकल के क्षेत्र में जाने वाले अधिकांश मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों के सामने खड़ी हो गई है. हरीश रावत ने आयुर्वेदिक छात्रों का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि फीस वृद्धि से आयुर्वेदिक छात्र-छात्राएं भी परेशान हैं. आयुर्वेदिक के क्षेत्र में जिनके प्रशिक्षण संस्थान है वे सभी सरकारी हैं, ऐसे में सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का है.

पढ़े- कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद सख्त हुई पुलिस, कंपनी प्रबंधन पर मुकदमा दर्ज

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शिक्षित बेरोजगारों, बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों, योग में डिप्लोमा होल्डरों, फीस वृद्धि पर आयुर्वेदिक छात्र-छात्राओं की परेशानियों को उठाते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर निशाना साधा है.

देहरादून: मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने बेरोजगारी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि पूरे देश और विशेष रूप से प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार परेशान हैं. 2017 से भर्तियां रुकी हुई हैं. वहीं, अध्याचित पद भी अब गैर अध्याचित पद हो गए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा शासन काल में शिक्षित बेरोजगारों की पीड़ा को जाहिर करते हुए कहा कि परीक्षाएं हो रही है मगर किसी ना किसी बहाने उनको रद्द कर दिया जा रहा है. भर्ती की विज्ञप्तियां निकाली जा रही हैं, लेकिन फिर तारीख बदल दी जा रही है. हरीश रावत ने कहा कि वन विभाग से लेकर हर महकमे का यही हाल है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे बेरोजगारों को लॉलीपॉप दिखाए जा रहे हैं और फिर हटा दिए जा रहे हैं.

उन्होंने बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों और शारीरिक योग्यता के साथ डिप्लोमा होल्डरों की समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि योगा सिखाने वाले लोग परेशान हैं, क्योंकि योगा का विस्तार करने की बजाय सरकार ने कांग्रेस कार्यकाल के दौरान अल्मोड़ा में एक योगा सर्किट बनाया गया था, उसको भी समाप्त कर दिया है. जबकि, ऋषिकेश के योगा सर्किट को संकुचित कर दिया गया है.

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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एमबीबीएस छात्रों का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि एमबीबीएस के चयनित छात्र आज फीस को लेकर परेशान हैं. सरकार ने एमबीबीएस कोर्स के लिए इतनी फीस निर्धारित कर दी है कि उनकी नातिन और पोती के लिए पीजी कोर्स करना मुश्किल हो गया. हरीश रावत ने कहा कि सबसे ज्यादा मुश्किल मेडिकल के क्षेत्र में जाने वाले अधिकांश मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों के सामने खड़ी हो गई है. हरीश रावत ने आयुर्वेदिक छात्रों का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि फीस वृद्धि से आयुर्वेदिक छात्र-छात्राएं भी परेशान हैं. आयुर्वेदिक के क्षेत्र में जिनके प्रशिक्षण संस्थान है वे सभी सरकारी हैं, ऐसे में सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का है.

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बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शिक्षित बेरोजगारों, बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों, योग में डिप्लोमा होल्डरों, फीस वृद्धि पर आयुर्वेदिक छात्र-छात्राओं की परेशानियों को उठाते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर निशाना साधा है.

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