देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत अपने बचपन की यादों को सहेजकर उनको साझा किया है. इस बार हरीश रावत को गांव के हिसालू फल की याद आई है. साथ ही उन्होंने बचपन की यादों को सोशल मीडिया से लोगों से साझा भी किया है. साथ ही वे पहाड़ी फलों के फायदे के बारे में बताते दिखे.
गौर हो कि उत्तराखंड में हिसालू फल बहुआयत में पाया जाता है, जो अपने स्वाद के लिए लोगों में खासा प्रिय है. लोग अक्सर जंगलों और खेतों की पगडंडियों से इस फल को चुन कर घर ले आते हैं और बड़े चाव के साथ खाते हैं. हिसालू फल अपने रसीले स्वाद के लिए जाना जाता है. जो देवभूमि के लोक गीतों में भी रचा बसा है. हरीश रावत ने ट्वीट कर लिखा कि 'मेरे गांव मैं भी हिसालू है! बचपन में हम हिसालू लोटे में भरकर लाते थे और बाद में एक-एक मुट्ठी सब खाते थे.
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बताते चलें कि हरीश रावत 18 मई को मोहनरी अल्मोड़ा में काफल मेले के लिए लोगों को न्योता दे रहे हैं. हरीश रावत इस दौरान सांकेतिक रूप से काफल फल को बेचते हुए भी दिखाई देंगे. हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर बीते दिन लिखा कि 18 मई को मोहनरी में काफल मेले मैं प्रातः 11 बजे से गांव में लोगों को काफल की दावत दूंगा और अपराह्न 3 बजे भतरौजखान जो हमारे गांव का बाजार है, वहां पर सांकेतिक रूप से काफल बेचूंगा. आप सबसे मेरा आग्रह है कि अपने गांव में जाइए नरेंद्र सिंह नेगी का "ठंडो-ठंडो पानी पीजिए और काफल का स्वाद लीजिए", पेट की सारी समस्याओं का समाधान निकल आएगा.