देहरादून: प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही है. इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ा गई हैं. कोरोना की गंभीरता को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री तीरथ रावत से आग्रह किया है कि स्वयं मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य सचिव को हर दिन लोगों से बात कर उन्हें भरोसे दिलाना चाहिए, साथ ही उन्होंने प्रदेश को दिल्ली जैसी स्थिति से बचाने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं.
उन्होंने कहा सरकार कोरोना से जंग लड़ने के लिए प्रतिदिन कुछ प्रभावी कदम उठा रही है, लेकिन संक्रमण की तीव्रता और व्यापकता को देखते हुए कोविड जांच, बेड्स की उपलब्धता और ऑक्सीजन के अलावा दवाइयां कम पड़ती जा रही हैं. ऐसे में सरकार की ओर से यह संदेश होना चाहिए कि हम सक्षम हैं. हमारी जानकारी में जो चीजें और व्यवस्थाएं हैं, उसे प्रति घंटे जुटाया जा रहा है. हरीश रावत vs मुख्यमंत्री तीरथ रावत से आग्रह किया है कि उन्हें और स्वास्थ सचिव को प्रतिदिन वक्तव्य देकर लोगों तक भरोसे का संदेश पहुंचाना चाहिए.
पढ़ें- टीके के प्रति जागरूक नहीं हो पा रहे लोग, वैक्सीनेशन को पहुंच रहे सिर्फ एक चौथाई
उन्होंने दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर कहा कि दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार भी है, लेकिन समन्वय के अभाव में वहां स्थिति बिगड़ती जा रही है जो अब भी नहीं संभल रही है. दिल्ली जैसी स्थिति उत्तराखंड में न हो उसके लिए वो कुछ सुझाव दे रहे हैं.
हरीश रावत के सुझाव
- ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में एक ऐसा अस्पताल होना चाहिए जहां चिकित्सक, नर्सेज, ऑक्सीजन, ऑक्सीजन युक्त बेड उपलब्ध हो. ताकि मरीजों की जांच रिपोर्ट आने तक उनको प्राथमिक व मनोवैज्ञानिक उपचार मिल सके.
- अंतिम वर्ष के नर्सिंग छात्र, फार्मेसी के विद्यार्थियों को मिनिमम आवश्यक ट्रेनिंग देकर सहायक स्टाफ की कमी को दूर किया जा सकता है.
- प्राइवेट जगहों से ऑक्सीजन खरीद और मंगवाई जा सकती है. ऐसे में राज्य सरकार के स्तर पर अगले 1 माह के आकलन के अनुरूप ऑक्सीजन के ऑर्डर दिए जाने चाहिए. ताकि ऑक्सीजन की कमी को लेकर कोई भ्रम की स्थिति ना रहे.
- राज्य में जितने भी आईसीयू बेड हैं उतने ही ऑक्सिबेड की व्यवस्था होनी चाहिए.
- प्रत्येक जिलों में संक्रमण की गंभीर स्थिति तक वहां के जिलाधिकारियों की कमांड में पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन फीडेड एंबुलेंस रहनी चाहिए.
- आईसीएमआर और दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड की परिस्थितियों के अनुरूप संक्रमण की विभिन्न स्टेजेस में क्या करना है क्या नहीं करना है, इसका एक प्रोटोकोल एम्स ऋषिकेश से जारी करवाया जाये, ताकि होम आइसोलेशन की स्थिति में संक्रमणीय दवाओं और अन्य उपायों का किस सीमा तक उपयोग करना है इसका पालन किया जा सके.
- कोरोना की लड़ाई में प्रोटीन फैक्टर पर जोर दिया जाना चाहिए, ऐसे में प्रमुख सहकारी संस्थाओं में प्रोटीन और लौह युक्त दाल कम कीमत पर बेचनी चाहिए. ताकि लोग दालों का उपयोग भरपूर मात्रा में कर सकें.
- भोजन के 1 घंटे बाद पेट के बल लेटने को ऑक्सीजन लेवल के सुधार के लिए आवश्यक बताया जा रहा है, इसलिए नागरिक क्षेत्रों में इसका प्रचार करने के लिए होर्डिंग लगाई जाये. इन होर्डिंग में मुख्यमंत्री की अपील भी होनी चाहिए.
यूथ कांग्रेस ने शुरू की हेल्पलाइन सेंटर की व्यवस्था
वहीं, दूसरी ओर यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हेल्पलाइन सेंटर की व्यवस्था की है. इस सहायता केंद्र के माध्यम से कार्यकर्ता कोविड-19 से प्रभावित लोगों उनके परिजनों की सहायता कर रहे हैं. इसके साथ ही अस्पतालों के बाहर भोजन का वितरण करने के साथ ही कोविड-19 के मरीजों को प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों की जानकारी भी दे रहे हैं. आज से युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने निशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने की व्यवस्था भी की है, ताकि कोरोना संक्रमित मरीजों को थोड़ी राहत मिल सके.
पढ़ें- कोरोनाकाल में संवेदनहीन हुए सांसद ! मिन्नत का भी असर नहीं
युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र नेगी के मुताबिक हेल्पलाइन सेंटर का मकसद कोरोना संक्रमित मरीजों और उनके परिजनों की सहायता करना है.