देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सुर्खियों में रहना बखूबी आता है. हरीश रावत अपनी गतिविधियों से यह साबित करने की कोशिश करते दिखते हैं कि वे इस उम्र में भी कितने सक्रिय हैं. अब हरीश रावत ने लोगों से जुमलेबाज पार्टियों और उनके नेताओं से सावधान रहने की अपील की है. हरीश रावत का कहना है कि आजकल कुछ पार्टी अपने विचारों को बूस्ट अप करवाने के लिए सोशल मीडिया ग्रुपों का सहारा ले रही हैं और उनमें इंटरनल वोटिंग करवाकर अपने लिए लोगों की पसंद को ज्यादा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने ऐसे लोगों से सचेत रहने को कहा है.
हरदा ने कहा कि यह चुनाव के दिनों में एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. मगर आप सबको सावधान रहकर इस तरीके के किसी भी वोटिंग में अपने पसंद और सोच को जरूर जाहिर करना चाहिए और अपने इर्द-गिर्द हो रहे ऐसे कार्यों से सावधान रहें. इसका एक तरफा दूसरे लोग लाभ उठा ले जाएं, उससे हमें बचना चाहिए. क्योंकि यह स्पॉन्सर्ड पोल और सर्वे हैं और ऐसे पोल और सर्वे का उद्देश्य स्पष्ट है. मगर, हमारा भी उद्देश्य साफ है कि वे प्रचार के लिए इसका लाभ न उठा पाएं.
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इसलिए हमारे लोग भी ऐसे पोल्स में सहभागिता करें और अपनी पसंद को इंगित करें. उन्होंने जुमलेबाज पार्टी और उनके नेताओं से सावधान रहने की सलाह भी दी है, रोजगार को लेकर उन्होंने आम आदमी पार्टी पर भी निशाना साधा है. हरीश रावत का कहना है कि जो उत्तराखंड में आकर रोजगार के बड़े दावे कर रहे हैं वहीं दिल्ली में उन्होंने केवल हमारी नकल करके कुछ अंशकालिक शिक्षक रखें. इसके अलावा उनका और कोई नौकरी का ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है.
हरीश रावत ने भाजपा को सरकारी नौकरी का दुश्मन बताते हुए कहा कि चतुर्थ श्रेणी में पहले भर्तियां होती थी, जिसमें निर्धन व दलित परिवार के बच्चे नौकरी पाते थे. लेकिन भाजपा ने सरकारी नौकरियों की चतुर्थ श्रेणी की भर्ती को समाप्त कर दिया और अब रिक्त पड़े पदों को भी मृत घोषित कर रहे हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर लाखों पद रिक्त पड़े हुए हैं.
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उन्होंने भाजपा और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग बड़े-बड़े दावे करते हुए दूसरों से पूछ रहे हैं कि तुम्हारा रोड मैप क्या है? ऐसे में मैं सभी दावेदारों से कहना चाहता हूं कि पहले उस विषय पर अपना रोड मैप बताएं तब दूसरों से सवाल करें.
हरीश रावत ने उत्तराखंड को परिभाषित करते हुए कहा कि उत्तराखंड की तुलना किसी दूसरे राज्य से नहीं हो सकती. क्योंकि हर राज्य की अपनी अपनी भिन्न परिस्थितियां हैं और जीवन यापन व आय के स्रोत अपने-अपने हैं. इसलिए उत्तराखंड के संदर्भ में जब कोई बात कहें तो उत्तराखंड के हितों को ध्यान में रखकर कहें कि यह उनका रोडमैप है. अगर ऐसे लोग बताने में अक्षम साबित होंगे तो मैं बिजली, रसोई गैस, रोजगार के विषय में अपना रोड मैप राज्य की जनता के समक्ष रखूंगा.