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पूर्व CM त्रिवेंद्र ने भी की राजस्व पुलिस को खत्म करने की मांग, पटवारी सिस्टम की ही भेंट चढ़ी थी अंकिता

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh) ने भी अब राजस्व पुलिस सिस्टम को खत्म करने की मांग उठाई (revenue police system in uttarakhand) है. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई नई चौकी और थानों को खुलवाया था. आज के समय में राजस्व पुलिस (abolish revenue police system) से क्राइम को कंट्रोल कर पाना मुमकिन नहीं है.

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Published : Sep 28, 2022, 4:59 PM IST

देहरादून: अंकिता भंडारी हत्याकांड (ankita bhandari murder) ने उत्तराखंड के राजस्व पुलिस सिस्टम (पटवारी) (revenue police system in uttarakhand) पर फिर से सवाल खड़े किए हैं. वहीं उत्तराखंड में एक बार फिर से राजस्व पुलिस सिस्टम को खत्म करने की मांग उठने लगी (abolish revenue police system) है. लोगों की इस मांग को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh) ने भी सही ठहराया है. उन्होंने भी राजस्व पुलिस सिस्टम (पटवारी) पर सवाल खड़े किए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने जो सवाल उठाए हैं, उसकी वास्तव में प्रदेश को जरूरत है. क्योंकि पहले ऐसा होता था कि जब पटवारी गांव में जाता था और आरोपी को पूरी सज्जनता के साथ इस बात को बोलता था कि आप की गिरफ्तारी हो गई है. आप घर से कहीं भी नहीं जाएंगे और ऐसी नैतिकता तब होती थी. लेकिन आज स्थिति यह है कि अगर पटवारी कहीं ऐसे बोलने जाता है तो उसके ऊपर ही हमला हो जाता है. इसलिए पटवारी व्यवस्था पर पूरी गंभीरता के साथ पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. लिहाजा अब इस पटवारी व्यवस्था को समाप्त कर पुलिस व्यवस्था को लागू करना चाहिए.
पढ़ें- अंकिता भंडारी हत्याकांड: आरोपियों की पैरवी करने से वकीलों का इनकार, जमानत पर सुनवाई टली

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने भी अपने कार्यकाल में काफी जगह पर थाने और चौकियां खुलवाई थी. इस तरह की घटनाएं जहां पहले होती हैं, वहां पर राजस्व व्यवस्था को हटाकर पुलिस व्यवस्था को लागू करना चाहिए. इस तरह आगामी चार से पांच सालों में प्रदेश से राजस्व व्यवस्था समाप्त हो जाएगी.

राजस्व पुलिस सिस्टम की भेंट चढ़ी अंकिता: उत्तराखंड की 19 साल की बेटी अंकिता भंडारी हत्याकांड में राजस्व पुलिस की बड़ी खामी सामने आई थी. यदि राजस्व पुलिस समय से कार्रवाई करती तो शायद आज अंकिता जिंदा होती और उसकी मौत के बाद ही हत्यारे पांच दिन तक बाहर नहीं घूमते.

क्या है मामला: दरअसल, 19 साल अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में स्थिति बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य के रिसॉर्ट वनंत्रा में रिसेप्शनिस्ट थी, जो 18 सिंतबर को रिसॉर्ट से ही रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी. ये क्षेत्र राजस्व पुलिस (पटवारी) के अंतर्गत आता है. इसीलिए अंकिता ने पिता ने राजस्व पुलिस चौकी में अंकिता भंडारी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दी थी और पुलकित आर्य समेत तीन लोगों के खिलाफ भी शिकायत की थी, लेकिन राजस्व पुलिस (पटवारी) ने मुकदमा दर्ज नहीं किया था और नहीं इस मामले की जांच की थी. हालांकि बाद में अंकिता के परिजनों के दबाव में जब ये मामला रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर किया गया तो करीब 6 दिन बाद अंकिता की लाश चिला नगर से मिली और पुलिस ने पुलकित आर्य, रिसॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और अन्य कर्मचारी अंकित गुप्ता को गिरप्तार किया.
पढ़ें- अंकिता भंडारी केस: सरकारी खजाने से परिजनों को 25 लाख देने पर कुमार विश्वास बोले, ...पर क्यों?

आखिर क्या है राजस्व पुलिस व्यवस्था: अब आपको बताते हैं कि आखिर राजस्व पुलिस व्यवस्था क्या है. उत्तराखंड के कई इलाकों में पटवारी पुलिस व्यवस्था है. इसे राजस्व पुलिस व्यवस्था भी कहा जाता है. ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1861 में सरकारी खर्चों में कटौती करने और राजस्व अधिकारी का उपयोग पुलिसकर्मियों की भूमिका में करने के लिए इस व्यवस्था को लागू किया था/ इन्हें शुरुआत में पटवारी पुलिस के नाम से जाना जाता था. फिर इस व्यवस्था को राजस्व पुलिस का नाम दिया गया. उत्तराखंड के कई हिस्से राजस्व पुलिस क्षेत्र में आते हैं. यह पुलिस संबंधित जिलाधिकारी के अधीन होती है. देश में उत्तराखंड एक मात्र राज्य है, जहां पर राजस्व पुलिस लागू है.

देहरादून: अंकिता भंडारी हत्याकांड (ankita bhandari murder) ने उत्तराखंड के राजस्व पुलिस सिस्टम (पटवारी) (revenue police system in uttarakhand) पर फिर से सवाल खड़े किए हैं. वहीं उत्तराखंड में एक बार फिर से राजस्व पुलिस सिस्टम को खत्म करने की मांग उठने लगी (abolish revenue police system) है. लोगों की इस मांग को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh) ने भी सही ठहराया है. उन्होंने भी राजस्व पुलिस सिस्टम (पटवारी) पर सवाल खड़े किए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने जो सवाल उठाए हैं, उसकी वास्तव में प्रदेश को जरूरत है. क्योंकि पहले ऐसा होता था कि जब पटवारी गांव में जाता था और आरोपी को पूरी सज्जनता के साथ इस बात को बोलता था कि आप की गिरफ्तारी हो गई है. आप घर से कहीं भी नहीं जाएंगे और ऐसी नैतिकता तब होती थी. लेकिन आज स्थिति यह है कि अगर पटवारी कहीं ऐसे बोलने जाता है तो उसके ऊपर ही हमला हो जाता है. इसलिए पटवारी व्यवस्था पर पूरी गंभीरता के साथ पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. लिहाजा अब इस पटवारी व्यवस्था को समाप्त कर पुलिस व्यवस्था को लागू करना चाहिए.
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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने भी अपने कार्यकाल में काफी जगह पर थाने और चौकियां खुलवाई थी. इस तरह की घटनाएं जहां पहले होती हैं, वहां पर राजस्व व्यवस्था को हटाकर पुलिस व्यवस्था को लागू करना चाहिए. इस तरह आगामी चार से पांच सालों में प्रदेश से राजस्व व्यवस्था समाप्त हो जाएगी.

राजस्व पुलिस सिस्टम की भेंट चढ़ी अंकिता: उत्तराखंड की 19 साल की बेटी अंकिता भंडारी हत्याकांड में राजस्व पुलिस की बड़ी खामी सामने आई थी. यदि राजस्व पुलिस समय से कार्रवाई करती तो शायद आज अंकिता जिंदा होती और उसकी मौत के बाद ही हत्यारे पांच दिन तक बाहर नहीं घूमते.

क्या है मामला: दरअसल, 19 साल अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में स्थिति बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य के रिसॉर्ट वनंत्रा में रिसेप्शनिस्ट थी, जो 18 सिंतबर को रिसॉर्ट से ही रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी. ये क्षेत्र राजस्व पुलिस (पटवारी) के अंतर्गत आता है. इसीलिए अंकिता ने पिता ने राजस्व पुलिस चौकी में अंकिता भंडारी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दी थी और पुलकित आर्य समेत तीन लोगों के खिलाफ भी शिकायत की थी, लेकिन राजस्व पुलिस (पटवारी) ने मुकदमा दर्ज नहीं किया था और नहीं इस मामले की जांच की थी. हालांकि बाद में अंकिता के परिजनों के दबाव में जब ये मामला रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर किया गया तो करीब 6 दिन बाद अंकिता की लाश चिला नगर से मिली और पुलिस ने पुलकित आर्य, रिसॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और अन्य कर्मचारी अंकित गुप्ता को गिरप्तार किया.
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आखिर क्या है राजस्व पुलिस व्यवस्था: अब आपको बताते हैं कि आखिर राजस्व पुलिस व्यवस्था क्या है. उत्तराखंड के कई इलाकों में पटवारी पुलिस व्यवस्था है. इसे राजस्व पुलिस व्यवस्था भी कहा जाता है. ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1861 में सरकारी खर्चों में कटौती करने और राजस्व अधिकारी का उपयोग पुलिसकर्मियों की भूमिका में करने के लिए इस व्यवस्था को लागू किया था/ इन्हें शुरुआत में पटवारी पुलिस के नाम से जाना जाता था. फिर इस व्यवस्था को राजस्व पुलिस का नाम दिया गया. उत्तराखंड के कई हिस्से राजस्व पुलिस क्षेत्र में आते हैं. यह पुलिस संबंधित जिलाधिकारी के अधीन होती है. देश में उत्तराखंड एक मात्र राज्य है, जहां पर राजस्व पुलिस लागू है.

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